एकांत वास / अन्तरा करवड़े
उस धनाढ्य युवा व्यापारी की सफलता और आधुनिकता से लकदक जीवन शैली के किस्से मशहूर थे। उसकी बातचीत का तरीका¸ व्यापारिक समझ बूझ¸ एप्रोच आदी महत्वाकांक्षी युवाओं की फॉलो करने की चीजों में हिट लिस्ट पर थे।
देश विदेश में फैले व्यपार¸ लंबे लंबे सेमिनार्स¸ काँफ्रेंस और मैंनेजमेंट कमेटी की मीटींग्स में उलझे रहने के बावजूद कभी भी किसी ने उसे अपने व्यवहार को असंतुलित करते नहीं देखा। उसमें काम करने के लिये आवश्यक ऊर्जा और उत्साह हमेशा मौजूद रहता।
उसके बारे में मालूम करने वालों को जाने कहाँ से यह मालूम पड़ा कि वह हर दो महीने में एक हफ्ता भर एकांतवास में रहता है। और उसकी इसी तरीके से स्वयं को तरोताजा व एकाग्र रख पाता है। इसके अनुसार कई वे¸ जो उसके जैसा होना चाहते थे¸ उन्होने अपने गाँव के रिश्तेदारों¸ फार्म हाऊस आदि पर शरण ली। लेकिन उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली।
आखिर इसका एकांतवास है क्या?
एक उत्साहीलाल तो सीधा पूर्व निर्धारित समय लेकर उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने जा पहुँचा। उनकी कार्यशैली¸ निर्णयक्षमता आदी की तारीफें करने के बाद वह मन की बात पूछ ही बैठा।
"सर! हम सभी आपकी सतत् ऊर्जा और काम करते ही रहने के उत्साह के कायल है। आप हमारे आदर्श है और हमें मालूम हुआ है कि आपकी ऊर्जा का रहस्य है दो माह में एक सप्ताह का एकांतवास। सर प्लीज बताईये आप किस रिसोर्ट¸ गाँव या फार्म हाऊस में जाते है जहाँ सही एकांतवास मिल सके?"
उसकी बात सुनकर वह युवा उद्योगपति हँस पड़ा।
"एकांतवास के लिये ये जरूरी नहीं कि किसी एकांत स्थान पर ही जाया जाए। तुम सच ही जानना चाहते हो तो सुनो। शहर की सबसे घनी बस्ती के एक बहुमंजिला भवन की छठी मंजिल पर बने एक फ्लैट में मैं इस एकांतवास का सुख भोगता हूँ । सभी अपने आप में ही इतने व्यस्त होते है वहाँ कि आपको किसी का साथ या दखल चाहकर भी नहीं मिलता। बोलो! बड़े शहर का सा एकांत कहीं और है क्या?"
युवक निरूत्तर था।