एक्शन की छवि दोहरा रहे हैं टाइगर श्रॉफ / जयप्रकाश चौकसे

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एक्शन की छवि दोहरा रहे हैं टाइगर श्रॉफ
प्रकाशन तिथि :20 मई 2015


टाइगर श्रॉफ की पहली फिल्म अत्यंत सफल रही परंतु उन्हें अनेक निर्माताओं ने अनुबंधित नहीं किया, क्योंकि उनका चेहरा पारंपरिक नहीं है। वे अपने पिता जैकी श्रॉफ की तरह नहीं हैं। वे अपनी मां पर गए हैं। यही परेशानी डैनी डेन्जोंगपा के साथ भी हुई थी परंतु धीरे-धीरे दर्शकों ने उन्हें स्वीकार कर लिया। इसी तरह की रुकावट मिथुन चक्रवर्ती ने भी झेली परंतु उनका डिस्को डांसर स्वरूप चल पड़ा। अवाम का जीवन अनेक मान्यताअों से बंधा है और नया कुछ स्वीकार करने में उसे कष्ट होता है। जैसे अमीर आदमी गरीब जैसा जीवन नहीं जी पाता। वैसे ही गरीब भी हवेली के नरम गद्‌दों पर सो नहीं पाता। हम इस कदर आदतों के गुलाम हो जाते हैं कि एक परिवार वर्षों रेलवे स्टेशन के निकट रहा औैर अन्य स्थान पर उसे नींद नहीं आती थी तो उनके मित्र ने रेलवे की शंटिंग इत्यादि आवाजों का टेप उन्हें दिया, जिसे बजाकर वे सोने के आदी हो गए।

भूषण कुमार की निर्माणाधीन फिल्म में टाइगर श्रॉफ अपने एक्शन दृश्य खुद रच रहे हैं और अजीबोगरीब शारीरिक हरकतों के लिए घंटों रियाज करते हैं। उनके निर्देशक का कहना है कि टाइगर अपनी पहली फिल्म में मात्र तीस प्रतिशत उजागर हुए थे और नई फिल्म का एक्शन देखकर दर्शक दंग रह जाएंगे! उनके पहले निर्माता साजिद नडियाडवाला भी टाइगर को दोहरा रहे है। स्वयं टाइगर भी खुद को दोहरा रहे हैं। आजकल प्राय: सितारे स्टूडियो से अधिक समय जिम में बिताते हैं। एक तरह से टाइगर को एक्शन नायक का ब्रांड बनाया जा रहा है। बिकने वाली छवियां कलाकार को उभरने ही नहीं देती। टाइगर श्रॉफ का चेहरा गैर-पारंपरिक जरूर है परंतु चेहरे की मासूमियत उसे अधिकतम से जोड़ सकती है। मासूमियत का ब्रांड सदियों से सफल रहा है। आज क्रूरता के दौर में भी हम मासूमियत की कद्र करते हैं। अपने खोए हुए का मोल ज्यादा ही होता है। 'मिल जाए तो मिट्‌टी है, खो जाए तो सोना है।'

हमारे सिनेमा में चाकलेटी चेहरों को आसानी से स्वीकार किया जाता है। अब चाकलेट तो 'डार्क' भी होती है, अत: मलाई जैसा चेहरा कहा जा सकता है। इसके साथ ही कभी-कभी रफ-टफ और खुरदरेपन को भी स्वीकार किया जाता है। शेख मुख्तार पहले खुरदरे व्यक्ति थे, जिन्हें सितारा माना गया। उन्होंने मेहबूब खान की 'रोटी' में एक जनजाति के युवा की भूमिका की थी। ठीक इसी तरह मिथुन भी पहले जनजाति युवक की भूमिका में 'मृगया' में देखे गए थे। बाद में डिस्को डांसर से उन्हें वृहद मान्यता मिली। शेख मुख्तार ने लंबी पारी खेली और उम्रदराज होने पर वे पाकिस्तान चले गए। इसी तरह सुनील शेट्‌टी भी एक्शन फिल्मों द्वारा लोकप्रिय हुए। अब उनकी बेटी सलमान खान निर्मित 'हीरो' से अपना कॅरिअर शुरू कर रही हैं। जैकी श्रॉफ अभिनीत 'हीरो' के अधिकार खरीदकर यह फिल्म बनाई गई परंतु डायरेक्टर निखिल अडवानी ने मूल फिल्म की सरल-सीधी नायिका को इसमें लड़ाकू लड़की के रूप में प्रस्तुत किया है। संभवत: उन्हें जैकी की छवि याद थी और उसे उन्होंने सुनील शेट्‌टी की बेटी के पात्र में रोपित किया है। फिल्म जगत में एक पौधे को दूसरी जमीन पर रोपित किया जाता है।

'हीरो' के नए संस्करण में निर्माता सलमान खान दो गीत गा रहे हैं। वे आने वाले वर्षों में अपने गाए दर्जनभर गीतों को विदेश के स्टेज शो में प्रयोग करना चाहते हैं। नियमित कसरत से फौलादी शरीर बनाने वाले सलमान खान की आवाज मधुर है। उन्होंने चित्रकारी मां से और गायन अपने पिता से पाया है। आमिर खान ने अपनी चीन यात्रा में सहयोग निर्माण की पहल की है। टाइगर श्रॉफ जैकी चैन के छोटे भाई की भूमिका कर सकते हैं। शांताराम ने ख्वाजा अहमद अब्बास की सत्य घटना पर आधारित 'डॉ. कोटनीस की अमर कहानी' नामक फिल्म बनाई थी। उस फिल्म में डॉ. कोटनीस की शहादत के बाद उनकी चीनी पत्नी के भारत आने के दृश्य अद्‌भुत सिनेमाई प्रभाव के कविता जैसे दृश्य बने थे।