एक्शन फिल्म में भावभीनी बिदाई / जयप्रकाश चौकसे

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एक्शन फिल्म में भावभीनी बिदाई
प्रकाशन तिथि :09 अप्रैल 2015


हॉलीवुड की 'फास्ट एंड फ्यूरियस' और भारतीय जासूस कथा '...ब्योमकेश बक्शी' एक ही दिन लगीं और अगर ये सफल होती तो ब्योमकेश बक्शी एक ब्रैंड बनता तथा उसके कई भाग बनते जैसे 'फास्ट एंड फ्यूरियस' की यह सातवीं फिल्म है और अपने नाम के अनुरूप इसमें तेज भागने वाली कारें हैं, तीव्रतर गति के लड़ाकू ड्राइवर हैं तथा तीव्रतम गति की नायिका भी होती हैं। इस तेज गति के अजीबोगरीब मनोरंजन को आज की फास्ट मोबाइल इस्तेमाल करने वाली गति में मति रखने वाली पीढ़ी बहुत मजे लेकर देखती है। उन्हें एक्शन के साथ कुछ विटी संवादों में बहुत मजा आता है।

मैंने पहली आधा दर्जन फिल्में नहीं देखीं, क्योंकि गति में मेरी मति मनोरंजन नहीं पाती और मेरे पोते-पोतियां इसे बुढ़ापे का चिह्न मानते हैं। इस बार मैं शृंखला की सातवीं कड़ी देखने गया, क्योंकि इस फिल्म की शूटिंग पूरी होने के पहले एक नायक को अभिनीत करने वाले कलाकार पॉल वॉकर की मृत्यु हो गई थी और फिल्मकार ने फिल्म का क्लाइमैक्स इसी चरित्र के गिर्द बुनकर उसे आपने आदरांजलि दी है। संभवत: उन्होंने इस नए लिखे क्लाइमैक्स को शूट करने के लिए कम्प्यूटर जनित, छवि का इस्तेमाल किया है परंतु बड़ी भावभीनी बिदाई दी है। यहां तक कि उसका अंतिम संवाद भी कुछ इस आशय का है कि 'कभी अलविदा नहीं कहना' तथा इसी नाम की फिल्म करण जौहर ने भी रची थी। शायद करण के मन में ऋषिकेश मुखर्जी की अमर फिल्म आनंद थी , परंतु उनकी सृजन मिक्सी में ढलकर वह फूहड़ 'अलविदा' हो गई।

हॉलीवुड की इस फॉर्मूला फिल्म में अतिरेक की हद है कि आधा दर्जन तीव्र गति से चलने वाली कारें हवाई जहाज से नीचे फेंकी जाती हैं और अदृश्य रहने वाले पैराशूट से वे कारें सफलता से उसी रोड पर 'अवतरित' होती हैं, जहां उन्हें एक वैन का पीछा करके नायिका को बचाना है। जाने कैसे इस तरह के तकनीकी अजूबे लोगों का मनोरंजन करते हैं। इस फूहड़ फिल्म में कुछ संवाद अत्यंत विटी हैं और कुछ में छुपे अर्थ आज भी आपको ध्यान सांकेतिक ढंग से कठोर यथार्थ की ओर खींचते हैं। मसलन, एक सर्वशक्तिमान पात्र कहता है कि वह अपनी शक्ति कभी अपने सहायक साथियों को देना सुरक्षित नहीं समझता। एकल व्यक्ति में शक्ति के केंद्रीकरण के हादसों के चिह्न अभी उभरे मात्र हैं और बकौल शाहरुखी संवाद 'यह तो ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है दोस्तों।'

बहरहाल, 'फास्ट' की सातवीं कड़ी में टेक्नोलॉजी के एक काल्पनिक यंत्र पर अधिकार की लड़ाई है और इस यंत्र का कोड नाम 'ईश्वर की आंख' है अर्थात इस यंत्र से सब कुछ देखा जा सकता है चाहे वह दुनिया के किसी भी भाग में घटित हो। एक पात्र घबराकर यह कहता है कि क्या मेरे प्रेम-पत्र का ई-मेल भी गोपनीय नहीं रहेगा। हास्य के ढंग से कहा गया यह संवाद भयावह भविष्य को इंगित करता है। 'राडिया टेप' की तर्ज पर उससे कहीं अधिक भयावह बातें अभी 'गर्भस्थ' हैं। बंधु 'ट्रेलर' देखने के लिए अपने भीतरी आंख खोलें। दरअसल, यह फिल्म माध्यम का अपना जादू हैं कि फूहड़तम फिल्मों में भी कुछ सार्थक बातें होती हैं जैसे घटिया 'बन्डलबाज' में अपनी जादुई ताकत खोया हुआ 'जिन्न' नायक के साथ पहाड़ की चढ़ाई पर कहता है कि 'आज उसे मालूम हुआ कि आम आदमी बनकर जीना कितना कठिन है।' दूसरी ओर गंभीर 'प्यासा' और इन्टेंस 'मधुमति' में जॉनी वॉकर के हास्य गीत है- ' सर जो तेरा चकराए' और जंगल में मोर नाचा किसी ने नहीं देखा, हम जरा सी पीके झूमे सबने देखा'