एक अभिनेता जिसका अभिनय आज भी मानक है / नवल किशोर व्यास
दिलीप कुमार साहब बीमार है। उम्र का तकाजा है। इंटरनेट बहुत बार उनके निधन की गलत खबर वायरल करा चुका है। वो दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित हिंदी सिनेमा के गौरव है। साल 2000 में वे राज्य सभा सांसद भी रह चुके है। अभिनेत्री सायरा बानो से उनका विवाह बहुत धूमधाम से हुआ था। 22 साल छोटी सायरा बानो से हुए इस निकाह की अगुवानी पृथ्वीराज कपूर ने की थी और उनके दो खास दोस्त राज कपूर और देव आनंद हर समय उनके साथ मौजूद थे। देव-राज-दिलीप नाम के त्रिदेव भारतीय सिनेमा की महत्वपूर्ण धरोहर है। दिलीप कुमार आदर्श है अभिनय के। राजेन्द्र कुमार से लेकर शाहरुख खान तक ने उनके अभिनय से कुछ न कुछ लिया ही है। दिलीप कुमार उन अभिनेताओं में से एक रहे जिन्होंने पारसी लाउड अभिनय से इतर स्वभाविक एक्टिंग और स्पीच पर जोर दिया। इतने साल फिल्म इंड्रस्ट्री में रहने के बाद भी बहुत कम फिल्में की। क्वांटिटी की ज्यादा हमेशा क्वालिटी पर ध्यान दिया। उनके अभिनय को आज तक भी लोग फॉलो कर रहे है। हिंदी सिनेमा ने लो पिच पर इतनी महीन और उम्दा डायलॉग डिलीवरी किसी की नही सुनी होगी। दिलीप कुमार साहब के साथ एक खास बात ये भी है कि उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मनित किया जा चुका है। इस बात पर काफी हो-हल्ला हो चुका है।दोस्तो! हमारी तहज़ीब हमें सिखाती है कि जन्मभूमि माँ के बराबर होती है और जैसे हम बार बार लौट कर माँ की गोद में जाना चाहते हैं, ठीक उसी तरह हम बार बार लौट कर उस ज़मीन पर जाना चाहते हैं, जहाँ हमारा जन्म हुआ हो. ऎसी ही एक ख्वाहिश लेकर दिलीप कुमार पाकिस्तान गए. 1998 में उन्हें पाकिस्तान के सबसे बड़े नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ के लिए चुना गया. ये सम्मान लेने जब दिलीप कुमार पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद गए, तो अपनी जन्म भूमि पेशावर भी गए.
दिलीप कुमार का इस पाकिस्तान यात्रा में शाही मेहमान की तरह स्वागत हुआ. पेशावर में भी उन्हें वही सम्मान मिला. उन्होंने अपना शहर एक मुद्दत के बाद देखा था. क़िला बाला हिसार की बुलंदी पर खड़े होकर उन्होंने अपने पेशावर को इस तरह निहारा, जैसे कोई बरसों का बिछड़ा अपना, फिर से मिल गया हो.
पर पेशावर जाने का असली मकसद था, कि उस घर, उस चौखट उस आँगन को देख सकें, छू सकें, चूम सकें, जहाँ वे पैदा हुए, खेले और बड़े हुए.
उनका पुश्तैनी मकान पेशावर के बाज़ार क़िस्साख़ानी के मोहल्ला ख़ुदादाद में था. उनकी इस मोहल्ले की यात्रा को सुरक्षा की दृष्टि से गुप्त रखा गया था. पर खुशबू को फैलने से भला कौन रोक सकता है? दिलीप कुमार के आने से पहले ही वहाँ हज़ारों की संख्या में उनके चाहने वाले पहुँच गए. भीड़ इस क़दर बेक़ाबू हो गई कि सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ने लगी. स्थिति प्रशासन के नियंत्रण से बाहर होने लगी. मजबूरन दिलीप कुमार को बाज़ार से ही लौट जाना पड़ा. अपने घर को दुबारा देखने की ख्वाहिश अधूरी ही रह गई और इस हसरत को दिल में लिए ही दिलीप कुमार वापस लौट गए.
इस घर में अब इकरामुल्लाह इशाक नाम का एक शख्स अपने आपको दिलीप कुमार का रिश्तेदार बताते हुए रह रहा है, और मकान अदालती मामले में उलझा हुआ है. पकिस्तान सरकार ने इस मकान को राष्ट्रीय विरासत घोषित कर दिया है और इस विरासत को खैबर पख्तूनख्वा सरकार की मदद से ख़ाली कराया जा रहा है. हमारे देश के गौरव दिलीप कुमार के इस पुश्तैनी घर को पाकिस्तान में नेशनल हेरिटेज के रूप में बदलने की कवायद भी शुरू हो गई है।
अभिनेत्री सायरा बानो दिलीप कुमार की पत्नी है और उनका पूरा ध्यान वे रख रही है। दिलीप साहब स्वस्थ रहे , ऐसी कामना है।