एक और मुकामो / सत्यनारायण सोनी
ओ के लगा लियो इत्ती देरां में ई?ÓÓ जोड़ायत अचम्भो कर्यो। अब तो पैÓरगे निकळ्या, आऽऽ, टीनोपाल न्यारी दी म्हैं तो, फेर परेस करी जकी न्यारी। इयां के ठा, क्यां गो ई सूÓर हैÓक कोनी?ÓÓ म्हैं आंगण में आयÓर कुड़तियो खोलै हो। कुड़तियै रो हाल देखÓर जोड़ायत रो घणो ई जीवदोरो हुयो। न्हा-धो गे, अै काचा-कचन गाभा पैरÓर चूंतरी पर बैठ्यो कुरसी ढाळÓर। म्हारो मूंडो हो घर कानी, अर गळी कानी ही पीठ। इत्तै में ई अेक जीप टिपी, पूरी सपीड में ही। नाळी घणी ई गळी रै बीचोबीच है, पण के ठा कुकर टिपाई बैरी, कादै रो पिचड़को-सो उठ्यो अर म्हारी गुद्दी अर मगरां नै लिवाड़तो कमरै रै किवाड़ां तक मार करग्यो। पूर लिवाड़ीजणै सूं जीवदोरो तो म्हारो ई घणो होयो। पण जीपआळै रो तो बेरो ई को पड़्यो नीं। के ठा कुण हो। गुद्दी में आलो-आलो लाग्यो इत्तै में तो बो अेक किलोमीटर री कैयग्यो। इयां के हाथां में चूड़ी पैÓर राखी ही थे? स्साळै गी अठै ई गिच्ची पकड़ लेंवता।ÓÓ बीं री रीस जायज ही। बा आपरै धणी नै घणो ई फूटरो-फर्रो राखणो चावै। चाळीस रै घर में बड़ग्यो, पण बीस रो देखणो चावै। गाभां में कोई कसर नीं रैवण देवै। पूरी रमाण करै। भांत-भांत रो जीमण जिमावै, जिकी बात तो न्यारी है। इयां टंचमंच करÓर बिठावै चूंतरी पर गुड्डो-सो। ....अर बो घड़ी अेक में ई बणियावै भूत-सो। आ कोई बात है? जीवदोरो तो हुवै ई। जीवदोरो नां कर स्याणी! सुण अेक बात। साची-साची।ÓÓ म्हैं बात पोळाऊं, ...अेकर म्हैं अर किसानजी जावै हा, सूरतगढ़। पांच-छै बरस होग्या ईं बात नै। छिणमिण-छिणमिण छांट पड़ै ही। हरियाणा रोड़वेज में सवार हुया। बारी रै साÓरलीई सीट मिलगी। दो जणांवाळी सीट। दोनूं बैठग्या। तनै ठा ई है, म्हे सागै होवां जद बातां क्यांगी निवड़ज्या। बात चाल पड़ी ओझाजी पर। हां, आपणै रामकुमारजी ओझा पर। अर फेर बां गी कहाणियां पर। किसानजी बोल्या, यार बां गा नारी पात्र बड़ा दबंग है।ÓÓ जद ई तो बै खुद दबंग कहाणीकार हा। राजस्थान सूं बारै बां गी पिछाण गो कारण और के हो।ÓÓ किसानजी बां रा नारी पात्रां रा नांव गिणाया, मुकामो, सफीनो, पाटल अर भारमली।ÓÓ अेक सूं अेक जबरी लुगाई। नारी री पूर्ण स्वतंत्रता रा समर्थक हा ओझाजी।ÓÓ बिलकुल-बिलकुल, पण बै चांवता कै लुगाई जात रो आपरो खुद रो न्यारो-निरवाळो वजूद हुवै।ÓÓ पछै तो किसानजी 'मुकामोÓ री अेक-अेक खासियत रो बड़ी बारीकी सूं बखाण करण लाग्या। अेक तो किसानजी री याददास्त अर दूजो बां रो बात कैवण रो लहजो। साÓरली सीटांवाळी सवारियां ई कान मांड राख्या हा। कहाणी रो इतरो जीवंत वरणन सुणÓर लारली सीट पर बैठ्यै अेक जणै पूछ ई लियो, भाईजी, आ कहाणी कठै मिल सकै?ÓÓ बातां-बातां में नोहर टिपग्यो। भूकरको टिपग्यो। देइदास अर भगवान टिपग्यो। फुहारिया-सा पड़ै हा। बस रै सीसां पर मोतियां री लड़ी-सी बणरी ही। किसानजी खेतां कानी देखÓर बोल्या, अठै छांटड़ी कीं ठीक लागै।ÓÓ म्हैं ई बारै देख्यो, खूड भर्या पड़्या हा। फसलां में ताजगी बापरगी ही। सड़क पर खदखोळां में पाणी भर्यो पड़्यो हो। सड़क फूटेड़ी ही बां दिनां। छोटा-मोटा चबळिया-सा होर्या हा। पूरी सपीड में बस टिपै तो सूं-सूं करतो सरड़को उठै। टैरां नीचै सूं फुहारा-सा चालै। देखणियां नै ठाठ-सा आवै। टोपरियां दीखण लागगी। पछै अेक हळको-सो मोड़ पार करÓर बस टोपरियां बडग़ी। अठै आखळी कीं बेसी ई ही। सड़क पर दरडिय़ा-सा बणर्या हा। कादो-कीचड़ ई सांगोपांग हो। बस टोपरियां अड्डै थमी। कीं सवारियां उतरी। कीं चढै ही। इत्तै में ड्राईवर-आळी बारी कनै हल्लो-सो मच्यो। कई लोग बारी मचकावै हा। थापी मारै हा। अरै खोल, खोलै हैÓक कोनी?ÓÓ कीं ऊकचूक-सा ई बोलता सुणीज्या। बारी पर थापी पर थापी लागै ही। लाग्यो जाणै तोड़Óर छोडसी। के हूणी मंडगी? कोई नीचै-नाचै आÓग्यो के?ÓÓ किसानजी बोल्या। पण म्हारी निगाह तो ड्राइवर कानी ही। के बात होगी? बात तो बताओ?ÓÓ ड्राइवर बारी रै उघाड़ै सीसै सूं झांकतो बोल्यो। बात और पूछै, अै देख, सगळा गाभा लिवाड़ दिया। अर बा देख, बा लुगाई आवै, बीं नै ई छींटमछींट करदी।ÓÓ इत्तै में ई दो जणा सवारी चढण-आळी बारी मांखर चढग्या। ड्राइवर कानी घोरका काढै अर भूंडी गाळां न्यारी। हल्लो बधतो ई गयो। सगळी सवारियां चुप। म्हे ई हाक्या-धाक्या रैयग्या। कीं गतागम में नीं आई, करां तो के करां! बस में चढ्या दोनूं जणां में सूं अेक जणै धक्कोधक ड्राइवर आळी बारी रो कूंटो खोल दियो। बो तो कंडक्टर रै ई ताबै को आयो नीं। अब बै तो ड्राइवर नै नीचै उतारणो चावै। ले-धे खींचै। अेक जणो पायदान पर पग मेलÓर ड्राइवर रो बाहुड़ो झाल नीचै खींचै। ड्राइवर स्टेयरिंग नै काठो झाल राख्यो। बारी साÓरै अेक जणो जूत बांक्यां खड़्यो। म्हे तो अजै ई हाक्या-धाक्या हा। इत्तै में ई म्हारै बराबर-आळी सीट पर बैठी साठेÓक साल री अेक लुगाई ओल्लै री ओट सूं बारै निकळी। सीट सूं उठी अर ड्राईवर सीट कानी लंफती-सी, बां लोगां नै फटकारती बोली, क्यूं बाण पडऱी है के? लाग्यो डौळ, बाळनजोगो!ÓÓ सगळां री निजर बीं लुगाई पर जा टिकी। पायदान पर खड़्यै जवान री पकड़ ढीली पडग़ी। नीचै खड़्यै मिनख री जूती हाथ सूं उतरी अर पाछी पग में घलगी। बस में जिका दो जणा चढ्या हा, बां में सूं अेक बोल्यो, ताई, अण म्हारा गाभा लिवाड़ दिया।ÓÓ क्यूं, ओ घरे ऊं ल्यायो हो के कादो? बालटी भरगे बगाई ही के थारै में?ÓÓ पायदान-आळो जवान नीचै उतरग्यो। ड्राइवर भच्चदांणी बारी बंद करली। बै दोनूं जणा ई चालती बस सूं तावळा-सा नीचै कूदग्या। बस टोपरियां टिपगी।
(2008)