एक और लार्जर दैन लाइफ नायक / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 31 जनवरी 2014
फिल्मकार रूपेश पॉल ने थ्री.डी विधा में 'कामसूत्र' का निर्माण किया था और अब वे नरेन्द्र मोदी के जीवन से प्रेरित 'नामो' नामक फिल्म के एक्शन दृश्य के लिए हॉलीवुड के प्रसिद्ध एक्शन दृश्यों के संयोजक जेरेड को अनुबंधित कर रहे हैं। ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है कि नरेन्द्र मोदी ने कोई 'एक्शन' कभी किया हो, उनका एकमात्र प्रभावी 'एक्शन' उनके भाषण हैं जिनका आधार हमेशा सत्य नहीं होता जैसे सिकंदर का या तक्षशिला का बिहार में होना परंतु एक प्रचारित बात यह है कि उन्होंने प्राकृतिक विपदा से घिरे उत्तराखंड में फंसे हजारों यात्रियों के प्राण बचाए जबकि संकट के उन दिनों सेना के अतिरिक्त कोई वहां पहुंचा नहीं था। संभवत: इसी एक्शन दृश्य के लिए जेरेड की सेवा ली जा रही हैं। खबरें ऐसी भी रही है कि मोदी का सारा प्रचार अमेरिका की एक कम्पनी के आकलन के अनुरूप हो रहा है और यह योजना भी तीन-चार वर्ष पूर्व बनाई गई थी। यह भी संभव है कि उस अमेरिकन कम्पनी को भारत के जन मानस के सपनों का ज्ञान भारतीय फिल्मों से हुआ हो। यह वैसा ही है, जैसे हम ओबामा की प्रचार योजना हॉलीवुड की फिल्मों के आधार पर करें।
यह सच है कि नरेन्द्र मोदी भारतीय आवाम की कमजोरियों और प्रिय विषयों के बहुत बड़े ज्ञानी हैं और उन्हें पहले ही ज्ञात था कि भारतीय आवाम तमाशबीन है तथा सिनेमा एवं क्रिकेट का अनन्य प्रेमी है। इसी कारण उनका पूरा प्रचार सिनेमा के नायकों की तरह 'लार्जर दैन लाइफ' रचा गया है और उन्हीं अफसानों की तरह भी है तथा यह भी सत्य है कि यह सिनेमा प्रेरित तंत्र लोकप्रिय हो रहा है। शायद इसी कारण वे गुजरात क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी बने और काफी पहले उन्होंने गुजरात में पर्यटन को बढ़ाने के लिए बनाई प्रचार फिल्मों के लिए अमिताभ बच्चन को अनुबंधित किया और सलमान खान के साथ पतंगबाजी की तथा लता मंगेशकर के समारोह की अध्यक्षता भी की। उनके विराट प्रचार तंत्र की सफलता के कारण ही वे मीडिया के अनुसार सारे देश में छाये हुए हैं।
इस बात के लिए नरेन्द्र मोदी की आलोचना नहीं की जा सकती कि उन्होंने विदेशी प्रचार कम्पनी की सेवा ली या सिनेमाई नायक की तरह उन्हें प्रस्तुत किया जा रहा है क्योंकि युद्ध और प्रेम में सब जायज माना जाता है और वे चुनाव को युद्ध की तरह ही लड़ रहे हैं। उनके विरोधी हतप्रभ हैं और तमाशबीन जनता भी कौतुकता से देख रही है। इस समय पूरा भारत सिनेमाई परदा है जिस पर एकल नायक फिल्म चल रही है।
सारे उद्योगपति और व्यापारी जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के माध्यम से उनका स्वर्ण युग आने वाला है और जब देश का धनिक तथा व्यापारी वर्ग प्रसन्न है तो आवाम भी प्रसन्न ही होगा। आवाम दीवाली पर भव्य इमारतों की रोशनी देखने जाता है, राष्ट्रीय उत्सवों पर सरकारी भवनों की रोशनी भी देखने जाता है। इसमें कोई शक ही नहीं कि सारा खेल अत्यंत मेहनत, गंभीरता और असीमित बजट से रचा गया तथा यह भी गौरतलब है कि ये सब साधन अन्य दलों को भी उपलब्ध थे परंतु उन्होंने यह नहीं किया। यह भारत का पहला चुनाव है जो शोमैनशिप के मानदंड पर रचा गया है।
यह भी ज्ञात हुआ है कि परेश रावल ने 'शौकीन' के नए संस्करण में काम करने से इनकार कर दिया है क्योंकि वे भी 'नामो' नामक फिल्म में व्यस्त हैं। क्या रूपेश पॉल और परेश की फिल्म एक ही है या दो फिल्में बन रही है? बहरहाल यह तय है कि यह चुनाव सिनेमा की तरह मनोरंजन और एक्शनमय होगा।
एक अंधड़ द्वारा विरोधियों को सुन्न कर देना मामूली काम नहीं है। यह भी संभव है कि इस फिल्म के एक्शन दृश्य दिखाएं कि नायक दंगा पीडि़तों को बचा रहा है। इस सारे खेल में कुछ लोगों का हाल मुगले आजम की अनारकली की तरह है, जो अपनी ओर आते तीर को देखकर भी पलक नहीं झपकती तथा अकबर द्वारा पूछे जाने पर कहती है कि वह अफसाने को हकीकत में बदलने के रोमांचक दृश्य को देखना चाहती थी। भारत कथा वाचकों और श्रोताओं का अनंत देश है।