एक दूजे के लिए / सपना मांगलिक
विनोद ने हर तीसरे माह रक्तदान का संकल्प लिया था। एक दिन एक केम्प में रक्तदान करने के पश्चात वह घर लौटा तो कुछ दिन पश्चात बड़ी कमजोरी महसूस होने लगी डॉक्टर से कुछ जांचे करवाई तो पता चला उसे एड्स है। विनोद के हाथ हवन का पवन कार्य करते हुए जले थे, चिंगारी से खेलते वक्त नहीं। यही सोच विनोद बहुत दुखी रहने लगा था। सारे दोस्त और रिश्तेदार उससे कतराने लगे थे जैसे उसने कोई गन्दा कार्य कर दिया हो या वह अछूत हो। विनोद बहुत अकेला पड गया। एक दिन अपने कम्पूटर पर सर्फ़ करते वक्त उसकी निगाह एड्स के मरीजों की कम्युनिटी पर पड़ी। उसने इसके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला यह एक संस्था है जो एड्स के रोगियों द्वारा ही एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने और एड्स रोगियों की मदद एवं देखभाल करने हेतु बनायीं गयी है। विनोद ने देखा ऐसी एक नहीं अनेक संस्थाएं हर राज्य में बनायीं गयीं हैं। विनोद इन संस्थाओं से जुडा और यहाँ के सदस्यों को देख उनकी कहानियां और अनुभव सुनकर उसे अपना दुःख अब कम लगने लगा। विनोद इन संस्थाओं से जुड़कर बहुत खुश था उसका समाज सेवी ह्रदय फिर से समाज में एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य में जुट गया। इस संस्था के कार्यक्रम और सेमीनार देश-विदेश में होते थे जिनमे विनोद बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था। ऐसे ही एक आसाम में होने वाले कार्यक्रम में उसकी मुलाक़ात वैदही से हुई जो कि एक डॉक्टर थी एड्स पीड़ित प्रसूता को रस्ते में प्रसव पीड़ा से जूझते हुए देख अपने को ना रोक पायी और बिना ग्लब्स के उसका प्रसब करा दिया। प्रसूता की तो डिलेवरी हो गयी मगर वैदही स्वंय इस रोग की चपेट में आ गयी। अस्पताल प्रबंधन ने उसे नौकरी से निकाल दिया क्यूंकि उनके अस्पताल में एड्स पीड़ित डॉक्टर होने की बात अगर एक बार फ़ैल जाती तो कोई भी अच्छा खासा मरीज उस अस्पताल में इलाज कराने नहीं आता और अस्पताल की कमाई पर इस सबका असर पड़ता। वैदही उपेक्षा का दर्द झेल चुकी थी इसलिए अपने जैसे इन उपेक्षित भाई-बहनों की सेवा को ही उसने अपना जीने का मकसद बना लिया था। इस सेमीनार में विनोद और वैदेही दोनों की जब मुलाकात हुई और दोनों को जब पता चला कि उनकी कहानी और जीवन का उद्देश्य एक ही है तो उन्हें ईश्वर के उस कठोर निर्णय का भी अर्थ समझ आ गया जो दोनों के जहन में अक्सर प्रश्न बनकर उभरता था कि भलाई का नतीजा उन्हें बुराई के रूप में आखिर क्यों मिला? उन्हैं समझ आ गया था कि ईश्वर ने उन्हें यह रोग आखिर क्यूँ दिया? वह उन दोनों से क्या चाहता है? और दो अलग अलग राज्यों में निवास कर रहे लोगों को आज क्यों मिलवाया है। दोनों ने भगवान् को धन्यवाद दिया और एक दूसरे को जीवन भर साथ निभाने का वचन भी।अब दो जीवन अपने एक जीवन लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे थे।