एक युग का अवसान / कमल रामवानी 'सारांश'
एक युग का अवसान आज 26 साल से चले आ रहे एक दौर का अंत हुआ है। असल मे कहूँ तो एक युग का अवसान हुआ है। आज चौकसे साहब ने दैनिक भास्कर में अपने कॉलम "परदे के पीछे" का अंतिम आर्टिकल लिखा।
उन्होंने 26 साल पहले दैनिक भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल के आग्रह पर ये कॉलम लिखना शुरू किया था और उन्होंने 26 साल तक बेनागा रोज़ एक योद्धा की तरह इस कमिटमेंट को जिया है। उन्होंने रोज़ इबादत की तरह कॉलम लिखा। उनका कॉलम परदे के पीछे ना सिर्फ फिल्मों में जानकारी देता था बल्कि फिल्मों के माध्यम से ही जीवन के कई पहलुओं को छूता था।
मेरी पूरी जवानी उनको पढ़ते पढ़ते बीती है। आज भी मेरे लेखन में 80% से ज्यादा उनका ही इम्प्रेशन है। मेरी उनके प्रति दीवानगी इतनी रही कि 2012 में उनसे मिलने फ्लाइट से मुम्बई चला गया था। इत्तेफाकन वो मेरी पहली विमान यात्रा भी रही। वहां मित्र Amit Jain के साथ साहब से मिलने गया।
2012 से 2022 के कालखण्ड में उनके स्पाइन का ऑपरेशन भी हुआ लेकिन ऑपरेशन बेड से भी उन्होंने आर्टिकल लिखा। ये था उनका कमिटमेंट।
वे 83 वर्षीय है और अभी केंसर से जूझ रहे है, शरीर और स्मृति साथ नही दे रही, नाश्ता करके भूल जाते है कि नाश्ता किया कि नही। ऐसी स्थिति में भी आज सुबह तक आर्टिकल लिखा है। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने कल फैसला ले लिया कि आज वाला आर्टिकल दैनिक भास्कर में अंतिम होगा...
कल उनके बेटे Raju Chowksey जी का msg आया पापा का कल पापा लास्ट आर्टिकल लिखेंगे...मैं डर गया मैंने कहा सब ठीक तो है साहब कहाँ है..?? बोले सब ठीक है बस परदे के पीछे का कल अवसान हो जाएगा।
अमित ने साहब के आर्टिकल्स डिजिटली सहेजने में पिछले 10 सालों में जी जान से मेहनत की है और ललित कुमार के उपक्रम गद्यकोश में पिछले 10 साल से उनका अर्टिकल डिजिटली अपडेट कर रहे हैं, अमित अभी तक उनके 3125 आर्टिकल्स डिजिटली अपडेट कर चुके हैं।
मैं मेरी पहली पुस्तक फक्कड़ घुमक्कड़ के किस्से के लिए उनका आशीर्वाद लेने अमित के साथ उनके इंदौर वाले घर गया था.... कई लोग उन्हें वामपंथी, नेहरू परस्त, मोदी विरोधी मानते है..मानते होंगे, मानते रहे, चलो स्वीकार किया वो है भी , तो भी उनके परिवार के साथ जो हमारा रिश्ता है वो इन चीज़ों से बहुत ऊपर उठ चुका है। आज छपे आर्टिक़ल की हस्तलिखित प्रति राजू भाई ने अमित को और मुझे भेज दी है। जो आने वाली सदियों के लिए सहेज ली गई है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि साहब अभी और कई साल जिये।
जंजीर की जितनी लंबाई उतना ही जीवन का सैर सपाटा, बाकी जीवन क्या है, शून्य बटा सन्नाटा ◆◆◆ कमल रामवानी सारांश✍️✍️
- Travelling_Foodie_Saransh