एलर्जी / हेमन्त शेष
Gadya Kosh से
उसे बचपन से पान-सुपारी के नाम से ही बड़ी गहरी नफरत थी. पान खाने वाले और सुपारी चबाते रहने वाले उसे फूटी आँख न भाते थे. अपने क़स्बे में हर मुमकिन कोशिश के बावजूद वह कुछ न बन सका- तो हत्यारा बनने के उद्देश्य से मुम्बई आ गया. रास्ते भर उसे यह सोच-सोच कर ही बड़ी कोफ़्त हो रही थी कि उसका साबका उसी चीज़ से पड़ रहा था जिसके प्रति उसके मन में घोर वितृष्णा थी. ये सोच-सोच कर ही उसका कलेजा मुंह को आ रहा था कि लोग उसे वहाँ रोज सुपारी दिया करेंगे!
पर जब उसे मुम्बई पहुँच कर यह पता चला कि सुपारी वाली बात सिर्फ एक हिन्दी मुहावरा है तो उसे हार्दिक खुशी हुई कि उसे सिर्फ हत्याएं करनी होंगीं, सुपारी खाने की नौबत कभी न आएगी.