एलीयन्स / आइंस्टाइन के कान / सुशोभित

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एलीयन्स
सुशोभित


बहुतेरे लोग कहते हैं कि हमने उन्हें देखा है।

बहुतेरे प्रमाण भी प्रस्तुत करते हैं कि हमने उनका फ़िल्मांकन किया है।

किंतु ‘धरती गोल है’ की पहले अविश्वसनीय मानी गई अवधारणा का जिस तरह से प्रमाण प्रस्तुत कर दिया गया था, उस तरह से एलीयन्स के अस्तित्व का कोई सर्वमान्य प्रमाण अभी उपस्थित नहीं है। और इसलिए वे अभी हमारे अध्ययन का विषय नहीं हैं, महज़ अटकलों का विषय हैं।

लेकिन, किसी भी दिन यह स्थिति बदल सकती है!

और ज़रूरी नहीं कि ऐसा उस दिन हो, जिस दिन कोई उड़नतश्तरी शिकॉगो या साइबेरिया में लैंड करे। यह स्थिति उस दिन भी बदल सकती है, जब दुनिया की सरकारें अपने नागरिकों के सामने ये स्वीकारें कि वे एलीयन्स के अस्तित्व के बारे में बहुत पहले ही जान चुके थे, लेकिन उन्होंने इस राज़ को अभी तक उनसे छुपाए रखा था।

क्यों? इस बारे में बाद में बात की जाएगी। पहले हम एलीयन्स की अवधारणा को समझें।

एलीयन्स की अवधारणा के आधार निम्न बिंदु हैं-

1) बहुत सम्भव है कि इस ब्रह्मांड में ऐसे अनेक ग्रह हों, जहाँ जीवन का अस्तित्व हो।

2) यह भी सम्भव है कि इनमें से अनेक ऐसे ग्रह हों, जहां पर सभ्यताओं का विकास हो चुका हो।

3) सभ्यताओं के विकास की यह टाइमलाइन ओवरलैपिंग भी हो सकती है, मसलन हो सकता है कहीं पर अभी पाषाण युग चल रहा हो, कहीं पर काँस्य युग हो, कहीं पर प्रौद्योगिकी विकास हो चुका हो, और कहीं पर सभ्यताओं का विकासक्रम इंटरस्टेलर ट्रैवल के स्तर पर चला गया हो।

4) यह भी हो सकता है कि ब्रह्मांड में ऐसी भी सभ्यताएँ हों, जिनकी तुलना में हम अभी आदिमानव ही हैं। स्टीफ़न हॉकिंग ने कहा था कि हमें एलीयन्स से इसलिए डरना चाहिए, क्योंकि हो सकता है, जब वे धरती पर आएँ तो यह उसी तरह से हो, जैसे कोलम्बस अमेरिका पहुंचा था। बाद उसके, वहां रह रहे आदिवासियों का निर्ममता से संहार कर दिया गया। हॉकिंग का कहना था कि बहुत मुमकिन हैं, हम एलीयन्स के सामने वनवासियों की तरह हों और एक दिन भी उनके सामने टिक नहीं पाएँ।

5) क्या एलीयन्स पहले ही हमारी धरती की खोज कर चुके हैं और वे समय-समय पर धरती की यात्रा करते रहे हैं? परग्रहियों की टोह में ही द सर्च फ़ॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रायल इंटेलीजेंस (SETI) की स्थापना की गई है, जो दूसरे ग्रहों पर सम्भावित रूप से मौजूद सभ्यताओं के संकेतों को सुनने का यत्न करती है। डॉ. फ्रैंक ड्रेक की एक ड्रक इक्वेशन यह पता लगाने की कोशिश करती है कि हमारी आकाशगंगा में कितनी वैसी एक्स्ट्राटेरेस्ट्रायल सभ्यताएँ हो सकती हैं, जो अभी सक्रिय हैं और हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकती हैं। एक फ़र्मी पैराडॉक्स भी है, जो कहता है कि शायद यूनिवर्स में बुद्धिमान सभ्यताओं का विकास इतना भी सम्भाव्य नहीं है, क्योंकि ब्रह्माण्ड में वैसी कोई सभ्यता दिखलाई देती नहीं है। यह भी हो सकता है कि यूनिवर्स में एक ही समय पर दो सभ्यताएँ विकसित हों, लेकिन कभी भी एक-दूसरे से सम्पर्क स्थापित नहीं कर सकें, क्योंकि यूनिवर्स में टाइम और स्पेस का स्केल ही इतना व्यापक है।

अल्बर्ट आइंस्टाइन ने समय और गति की समतुल्यता को लेकर कुछ रोचक स्थापनाएँ दी थीं। उन्हीं में से एक यह भी थी कि अगर समय एकरैखिक नहीं है, तो क्या यह सम्भव है कि अगर हम सामान्य से तेज़ गति से यात्रा करें तो भविष्य में प्रवेश कर जाएँ? एलीयन्स के संदर्भ में यही बात इस रूप में कही जा सकती है कि कहीं ऐसा तो नहीं, वे मनुष्यों का ही एक विकसित स्वरूप हों और अब टाइम ट्रैवलर की तरह अपने अतीत में प्रवेश करके धरती पर जब-तब चले आते हों?

यूएस और यूके ने कई जगहों पर ऐसे संयंत्रों की स्थापना की है, जो अंतरिक्ष में प्रसारित किए जाने वाले रेडियो सिगनल्स को पकड़ सकते हैं। उनका मक़सद है एलीयन्स द्वारा प्रसारित संदशों को पहचानकर उन्हें डिकोड करना। ऐसे ही एक बार इंग्लैंड के रैंडलशेम फ़ॉरेस्ट में सर्जेंट जेम्स पेनिस्टन ने एक ऐसे कथित इंटरस्टेलर संदेश को प्राप्त किया था, जिसको डिकोड करने पर उन्होंने पाया कि उसका टाइटिल था : एक्सप्लोरेशन ऑफ़ ह्यूमैनिटी, यानी मनुष्यता का अन्वेषण। और उस पर दिनांक अंकित थी : सन‌् 8100!

बहुत सम्भव है, आज से 6000 साल बाद के मनुष्य अपने इतिहास का अनुसंधान करते हुए टाइम ट्रैवलर की तरह हमारे टाइम-ज़ोन में प्रवेश कर जाते हों, और उन्हें ही हम एलीयन्स समझ लेते हों!

ऐसे में यह बात भी समझ लेना चाहिए कि ज़रूरी नहीं कि एलीयन्स परग्रही ही हों, यानी किसी दूसरे स्पेस से आए हुए लोग। वे हमारी ही धरती के मनुष्य भी हो सकते हैं, किंतु किसी दूसरे टाइम ज़ोन से यहां आए हुए। भविष्य से वर्तमान में यात्रा करने वाले टाइम ट्रैवलर। तब तो उन्हें ईटी या एक्स्ट्राटेरेस्ट्रायल कहना उचित नहीं होगा।

प्रश्न उठता है कि अगर ये टाइम ट्रैवलर हमारी धरती की यात्रा करते रहे हैं और सरकारों के पास इसके पुख़्ता प्रमाण हैं, जैसा कि अकसर कहा जाता है, तो वे उन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं करतीं?

जवाब यह है कि वे डरी हुई हैं, क्योंकि ये तफ़सीलें हमें दहशत से भर देंगी।

कारण, क्योंकि अतीत में हमने भी तो यही किया है!

हम, यानी होमो सेपियन्स से पूर्व इस धरती पर निएंडर्थल मनुष्य थे, होमो इरेक्टस थे, होमो रूदोल्फ़ेन्सि‍स और होमो इर्गेस्टर और होमो सोलोएन्सिस और होमो फ्लोरेन्सि‍स थे। इनमें से कुछ का विनाश अज्ञात प्राकृतिक कारणों से हो गया और कुछ का व्यापक पैमाने पर होमो सेपियन्स ने संहार किया। मानो इतना ही काफ़ी नहीं था, इसके बाद होमो सेपियन्स ने अपनी ही जाति के लोगों का संहार शुरू कर दिया। मूल निवासियों का जेनोसाइड, वनवासियों का संहार, विस्तारवाद की मंशा से लड़े गए नृशंस युद्ध, धर्म के नाम पर दूसरे धर्मों के लोगों का क़त्लेआम, और सबसे बदतर, महज़ अविश्वास, कुंठा या ऊब से ग्रस्त होकर की गई हिंसाएँ। जब मनुष्य कहता है कि उसे एलीयन्स से डर लगता है तो वास्तव में वो यह कहना चाहता है कि उसे ख़ुद से डर लगता है! वो पहले ही यह मान बैठा है कि एलीयन्स धरती पर आएँगे तो मनुष्यों का ख़ात्मा कर देंगे। वो यह मानने को तैयार नहीं है कि एलीयन्स भले प्राणी भी हो सकते हैं और शायद वे हमसे दोस्ती करना चाहते हों!