एवेंजर्स, टारजन, किंग कॉन्ग और बाहुबली / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 27 अप्रैल 2019
अमेरिकन फिल्म 'एवेंजर्स-एंडगेम' का प्रदर्शन कुछ शहरों में बुधवार से प्रारंभ हुआ है। पूरे भारत में फिल्म 26 अप्रैल को प्रदर्शित हुई है। यह आश्चर्यजनक है कि भारत के छोटे शहरों जैसे भिंड, मुरैना या बिहार के कस्बों में पहला शो अलसभोर में प्रारंभ हुआ और पूरे 24 घंटे में अनेक शो होंगे। बच्चे, किशोर एवं युवा वर्ग को इस फिल्म ने बौरा दिया है। इस अंतिम भाग में पहले बनीं कड़ियों के सारे पात्र दिखाए गए हैं। जैसे विवाह संपन्न होने पर पूरे परिवार का एक ग्रुप फोटो होता है। यह अनुमान सच होने जा रहा है कि पूरे विश्व में प्रदर्शन से 18,000 करोड़ डॉलर की कमाई होगी। ज्ञातव्य है कि हमारे सुपर सितारों की सुपरहिट फिल्में 400 करोड़ की कमाई कर पाती हैं। चीन और अमेरिका राजनीति में पारम्परिक शत्रु देश हैं परंतु इस फिल्म ने चीन में पहले दिन के प्रदर्शन से 1200 करोड़ की कमाई की है। कैलकुलेटर तोड़ देने वाली कमाई के आंकड़े आ रहे हैं। गौरतलब है कि फिल्म के नाम में ही 'एंड गेम है अर्थात फिल्म वीडियो पर खेले जाने वाले खेल की तरह है। कॉमिक से प्रेरित फिल्में बन रही हैं। बच्चे इस तरह के खेल में इतने तल्लीन हो जाते हैं कि वे आभासी दुनिया के नागरिक बन जाते हैं। वह कौन-सा भयावह यथार्थ है कि सभी लोग पलायन करना चाहते हैं? सभी सब कुछ जानकर अनजान बने रहना चाहते हैं। यह दक्षिणपंथी विचारों की रचना है। एंटोनी रूसो और उनके भाई जो रूसो ने फिल्म निर्देशित की है।
फिल्मकारों ने इस शृंखला को देखने के लतियल दर्शक वर्ग को मनोरंजन देने के साथ उन दर्शकों का भी विचार किया, जो पहली बार एवेंजर्स के आभासी संसार में प्रवेश कर रहे हैं। फिल्म के सभी पात्रों को समान संख्या में दृश्य नहीं दिए जा सकते थे परन्तु कम दृश्य अभिनीत करने वाला पात्र भी दर्शकों को प्रभावित करता है। बिमल रॉय की 'देवदास'में चुन्नी बाबू की भूमिका में मोतीलाल के दृश्य कम थे परंतु उन्हें दर्शक भूल नहीं पाता। अमिताभ बच्चन अभिनीत 'कुली' में छोटी-सी भूमिका करने वाले नीलू फुले को आप भूल नहीं पाते। अपनी मृत्यु के दृश्य में उनके दो शब्द 'मी जातो' दर्शक के मन में गूंजते रहते हैं।
फिल्म के प्रारंभिक दशक से ही सभी प्रकार की फिल्में बनने लगी थीं परंतु जैसे-जैसे कैमरा इत्यादि उपकरणों का विकास होता गया वैसे-वैसे उनका भरपूर उपयोग साध्य बन गया। 1967 से विज्ञान फंतासी ने असीमित लाभ कमाना प्रारंभ किया। सारे समीकरण तेजी से बदलने लगे। सुपरमैन, बैटमैन इत्यादि पात्र टारजन के ही नए रूप हैं। किंग कॉन्ग की प्रेम कथा बार-बार बनाई गई है। एवेंजर्स-एंड गेम इन सारे पात्रों का निचोड़ है। उसके पात्रों में सुपरमैन, बैटमैन इत्यादि सभी का प्रभाव देखा जा सकता है। देवकीनंदन खत्री के उपन्यास 'चंद्रकांता' और 'भूतनाथ' की रोचकता के कारण कई लोगों ने हिंदी भाषा सीखी। देवकीनंदन के पात्र लखलखा सुंघाकर दुश्मन को बेहोश कर देते हैं और खुद कुछ ही क्षणों में अपना रूप बदल सकते हैं। पहले अध्याय में प्रस्तुत पात्र अन्य अध्याय में जादू की तरह उपस्थित हो जाता है। देवकीनंदन खत्री का मस्तिष्क कंप्यूटर के आने के पहले कंप्यूटर की तरह काम करता था। आज राजनीति में जिस तरह के लोगों को नशे में ग़ाफिल किया जा रहा है, उससे आभास होता है की लखलखे का नुस्खा हाथ लग गया है। जादूगर मैन्ड्रेक और इदरीस देहलवी के कैप्टन विनोद और सार्जेंट हमीद ये सभी बाबू देवकीनंदन खत्री के पात्रों के ही विविध रूप हैं।
सर आर्थर कॉनन डॉयल ने शेरलॉक होम्स की रचना की और यह काल्पनिक पात्र इतना लोकप्रिय हुआ कि उपन्यास में वर्णित उसके पते '10 बैंकर स्ट्रीट' पर सैकड़ों पत्र आने लगे। जब लेखक ने अपने उपन्यास में शरलॉक होम्स का अंत कर दिया, क्योंकि शायद लेखक ही थक गया था, तब प्रशंसकों ने इतना जमकर विरोध किया कि लेखक को अपने पात्र को मृत्यु की घाटी से जीवित लौटते दिखाना पड़ा। इतना ही नहीं आज भी लंदन में आए पर्यटक शरलॉक होम्स का जन्म स्थान देखना चाहते हैं। शेक्सपियर की कार्य भूमि पर्यटकों को आकर्षित करती है तो काल्पनिक शरलॉक होम्स का जन्मस्थान भी पर्यटक देखना चाहते हैं। यथार्थ के व्यक्ति के साथ ही काल्पनिक पात्र का जन्म स्थान और कर्मभूमि तीर्थ स्थल जैसे बन गए हैं। एवेंजर्स शृंखला 21 वर्षों से बनाई जा रही है। कुछ समय पूर्व ही एसएस राजामौली की 'बाहुबली' भी सफल रही। एवेंजर्स और बाहुबली के पात्रों का रिश्ता दक्षिणपंथी विचारधारा के ही बाय प्रोडक्ट हैं। विज्ञान और तर्क का मखौल बनाना फैशनेबल हो गया है। साहित्य व सिनेमा की इन बातों का सीधा संबंध राजनीतिक दक्षिणपंथी विचारधारा से है। राजनीति का चक्र सदैव चलायमान रहता है। उसे थामने का भरम पालना पागलपन है। साहित्य और सिनेमा में आम आदमी नायक की भूमिका में अवश्य लौटेगा। सूर्य उत्तरायण होता है, जिसकी प्रतीक्षा पितामह भीष्म ने तीरों की शय्या पर लेटे हुए की थी। आज अवाम भी मंहगाई के तीरों की शय्या पर लेटा है और सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा है।