ऐसा क्यों / संतोष भाऊवाला

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुमारी का अपने पति से झगडा हो गया था। उसका घर छोड़ कर वह अपनी माँ के घर रहने लग गई थी। सुबह शाम मंदिर में पूजा पाठ और दिन में दूसरों के घर का काम कर, अपना पेट पाल रही थी। माँ बाप ने वापस जाने के लिये बहुत समझाया, पर नहीं मानी। अब तो अजीबो-गरीब हरकतें करने लगी थी।

कहती थी "उसमे माता का वास है" जब जोर जोर से सिर हिलाती तो सभी उसके पैर छूने लगते, जब वो ये बातें मुझे बताती, तो मेरा मन नहीं मानता था। कैसे किसी लड़की में माता का वास हो सकता है, वह माता स्वरुप हो सकती है। मैंने उससे पूछा कि तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेती, कहती थी "ऐसी बात करना भी मेरे लिये पाप है, अब मै देवी हूँ"। मै चुप हो जाती क्या कहती; कल कोई बता रहा था कि कुमारी किसी के साथ भाग गई, वो भी दो बच्चों के पिता के साथ!