ऐसे मिली खुशी / मनोहर चमोली 'मनु'

Gadya Kosh से
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चींटी चूहे से बात कर रही थी। तभी बिल्ली आ गई। वह बिल में घुस गया। चूहे के पास बचने का उपाय है। यह सोचते हुए चींटी आगे बढ़ गई। उसे एक साँप मिला। साँप ने फ़न उठाया। अचानक एक बाज ने सांप को दबोच लिया। बाज की नज़र बहुत तेज है। यह सोचते हुए वह आगे बढ़ गई। उसे जिराफ मिलता है। जिराफ ऊँची डाल की पत्तियाँ चबा रहा है। जिराफ के पास लंबी गरदन है। यह सोचते हुए आगे बढ़ जाती है।

चींटी तालाब किनारे जा पहुँचती है। एक मछली उसे पुकारती है। चींटी सोचती है,‘‘मेरे पास तैरने के लिए पँख नहीं है।’’ तभी एक हाथी पानी पीकर लौटता है। चींटी सोचती है,‘‘काश ! मेरी सूंड होती।‘‘

एक लड़की तालाब की ओर आती है। वह उछलती है। खेलती-कूदती है। उदास चींटी सोचती है,‘‘मैं उछल भी नहीं सकती। मैं कुछ नहीं कर सकती।’’ तभी लड़की गिर पड़ती है। उसके हाथ से मोतियों की माला टूटकर बिखर जाती है। लड़की रोने लगती है। कहती है,‘‘माला के मोती चुन कर मुझे दे दो।‘‘ चूहा, बाज, जिराफ, मछली, हाथी देखते ही रह गए। चींटी ने एक-एक मोती चुन कर जमा कर दिए। लड़की ने चींटी के लिए तालियाँ बजाई। चींटी ख़ुश हो गई।