ऑस्कर पुरस्कार के दंगल में राजकुमार राव की 'न्यूटन' / जयप्रकाश चौकसे

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थका बूढ़ा फिल्मकार और सिताराविहीन पलटन
प्रकाशन तिथि :02 अक्तूबर 2017


राजकुमार राव द्वारा अभिनीत 'न्यूटन' को ऑस्कर प्रतिस्पर्धा में प्रतिनिधि भारतीय फिल्म की तरह भेजा जा रहा है। इस क्षेत्र में अभी तक भारत को सफलता नहीं मिली है। मेहबूब खान की 'मदर इंडिया' के बारे में ऑस्कर मतदाताओं को यह बात समझ में नहीं आई कि महाजन द्वारा दिया गया विवाह का प्रस्ताव क्यों ठुकराया गया? महाजन बच्चों की जवाबदारी लेना चाहता है। नायिका का पति एक हादसे में अपनी दोनों बाहें गंवा देने के बाद पलायन कर जाता है परंतु स्त्री सिंदूर धारण किए रहती है। ऑस्कर मतदाताओं को भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं है, उन्हें सिंदूर के महत्व का भी ज्ञान नहीं है। दरअसल, ऑस्कर प्रतियोगिता के लिए यह आवश्यक है कि फिल्म के साथ देश की परम्पराओं के सार को भी प्रचारित किया जाए। तमाम मतदाताओं को फिल्म की पृष्ठभूमि से जुड़ी बातों का पूरा ब्योरा भी देना पड़ता है। इसका खर्च पांच करोड़ रुपए आता है।

आमिर खान और आशुतोष गोवारीकर की 'लगान' का चयन विदेशी भाषाओं में बनी फिल्मों की श्रेणी में किया गया था परंतु पांच श्रेष्ठ फिल्मों में आने के बाद भी फिल्म पुरस्कृत नहीं हुई। आमिर और आशुतोष गोवारीकर ऑस्कर के लिए क्या करना पड़ता है, यह बखूबी जानते हैं। सच तो यह है कि आशुतोष गोवारीकर को यह दायित्व देना चाहिए कि वे ऑस्कर के लिए नियुक्त किए जाएं और यह कार्य सरकार पर नहीं छोड़ते हुए फिल्म उद्योग की शिखर संस्था फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया को सौंपना चाहिए संस्था के सचिव एस. सेन को इस क्षेत्र का गहरा अनुभव है। सारे पुरस्कार कमोबेश प्रायोजित होते हैं। यहां तक कि नोबेल प्राइज के लिए भी बहुत पापड़ बेले जाते हैं, जिनका खुलासा इरविंग वैलेस ने अपने उपन्यास 'द प्राइज' में किया है। इरविंग वैलेस ने लुगदी साहित्य रचने में एक फॉर्मूला यह बनाया था कि उनकी टीम के शोधकर्ता विषय पर विविध जानकारियां एकत्रित करते थे और फिर उपन्यासकार एक काल्पनिक कथा में इन जानकारियों को गूंथ देता था।

ज्ञातव्य है कि शशि कपूर और अपर्णा सेना की जेनीफर केन्डल कपूर अभिनीत 36 चौरंगी लेन' भी ऑस्कर में खूब सराही गई और उसे पुरस्कार देने का निर्णय भी किया गया। उसी समय ऑस्कर की टेक्नीकल समिति ने यह आपत्ति ली कि फिल्म का प्रवेश विदेशी भाषाओं की श्रेणी के लिए हुआ है, जबकि यह अंग्रेजी भाषा में बनी है। अगर वह बांग्ला या हिंदुस्तानी भाषा में बनी होती तो उसे पुरस्कार दिया जाता गोयाकि हुकूमते बरतानिया के भारत से जाने के बाद भी उनकी दुलत्ती हमें सहनी पड़ी । दरअसल, हमें भाषाओं की राजनीति को छोड़कर अपनी भाषाओं का विकास करना चाहिए और पढ़ने को माननीय दायित्व की तरह निभाना चाहिए। हमें इस तरह की जहालत मिटाना चाहिए कि 'खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब, पढ़ोगे लिखोगे तो होंगे बर्बाद।' ज़हालत बहुत ही पतली नहरों में प्रवाहित है और कई लोगों की नसों में रक्त की तरह भी प्रवाहित है।

सुना है कि आमिर खान को मलाल है कि उनकी 'दंगल' को यह अवसर नहीं मिला परंतु फिल्म का इतना व्यापक प्रदर्शन हुआ है कि वह मुख्यधारा में एक प्राइवेट एंट्री की तरह भी शामिल हो सकती है। यह बात अलग है कि विदेशी भाषा की श्रेणी में उसके अवसर बेहतर होते। 'उनकी बेटी (फिल्म) किसी बेटे से कम नहीं है।' बहरहाल, ऑस्कर का महत्व इसलिए भी है कि अमेरिका में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म का पुन: प्रदर्शन किया जाता है और अमेरिकन दर्शक ऑस्कर की अस्मिता बनाए रखने के लिए सिनेमाघर के बाहर कतार में खड़े हो जाते हैं। इस तरह पुरस्कार पच्चीस प्रतिशत अतिरिक्त मुनाफा दिलाता है। अमेरिका में जीवन के हर क्षेत्र में बहीखाते का बड़ा महत्व है। हमारे यहां फिल्मकार जानता है कि कड़वी कुनैन को शकर में लपेटकर ही लोग खाते हैं। हमारे यहां धन कमाने वाली अनेक फिल्में लीक से हटकर बनी हैं। इसका उदाहरण है राजकुमार हीरानी की 'थ्री इडियट्स।' कुछ वर्ष पूर्व मराठी में बनी 'श्वास' भी प्रचार के अभाव में ऑस्कर नहीं पा सकी। अरसे पहले एक राष्ट्रीय पुरस्कार से मुंबई साथ-साथ लौटते हुए राज कपूर ने ऋषिकेश मुखर्जी को 'अनुराधा' के लिए बधाई दी, जिसे उस वर्ष की श्रेष्ठतम फिल्म कापुरस्कार मिला था। राज कपूर की 'जिस देश में गंगा बहती है' को अन्य श्रेणी में पुरस्कार दिया गया था। ऋषिकेश मुखर्जी ने कहा कि राज कपूर 'अनुराधा' का पुरस्कार ले लें और उनकी अपनी फिल्म के किसी एक सिनेमाघर की आय उन्हें दे दें।

भारत का बॉक्स ऑफिस एक अबूझ पहली है। इसे दिल से तो समझना संभव है परंतु तर्क के रास्ते जाने पर कुछ नहीं मिलेगा। बहरहाल, बाबू मोशाय की 'अनुराधा' में रविशंकर ने संगीत रचा था और गीत लिखे थे शैलेन्द्र ने। अनुराधा का एक गीत इस तरह है- 'सूनी मेरी बिना संगीत बिना सपनों की माला मुरझाए, हाय रे वो दिन क्यों न आए।' इसी फिल्म में एक अन्य गीत है, 'जाने कैसे सपनों में खो गई अखियां मैं तो जागी मेरी सो गई अंखियां।'