ओपन लाईफ स्टाईल / अन्तरा करवड़े

Gadya Kosh से
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"रीना! कल तुम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में गई थी?"


"हाँ मम्मी! मैं और अभि थे वहाँ। आप भी थी क्या वहाँ? तो हमें जॉईन क्यों नहीं किया?"


"मेरे साथ पड़ोस की सिंघल आंटी भी थी। और ये अभि कौन है? सिंघल आंटी ने ही पॉईंट आऊट किया तुम्हें। मुझे तो ये भी मालूम नहीं था कि तुम किसके साथ हो! कम से कम घर से निकलने से पहले बता तो सकती हो ना? कितना इंबरेसिंग फील हुआ मुझे।"


"आप भी न मम्मी! आऊट डेटेड पीस के जैसी बातें करती हो। सुनो मम्मी! घर से बाहर निकलने के बाद मालूम होता है क्या कि कि कौन मिलेगा¸ कहाँ जाना होगा¸ किसके साथ रहेंगे? और फिर मैंने कुछ छुपाया तो नहींी ना? मम्मी ये ओपन लाईफ स्टाईल है। प्लीज इसमें अपना पुरातनपंथी विचारों वाला लेक्चर मत दे देना। आजकल के लड़के लड़कियों की इमेज इतनी फ्री है कि कोई किसी भी चीज को माईंड़ नहीं करता। एण्ड़ डोन्ट वरी¸ सिंघल आंटी कोई तोप तो नहीं हे ना!"


मम्मी उसे ये कहती कि सिंघल आंटी नहीं भी होती साथ तब भी उन्हें खुद अच्छा नहीं लगा था रीना का ऐसे घूमना लेकिन तब तक तो वो गार्डन पार्टी के लिये निकल चुकी थी।


रात गये लौटी रीना खिन्न मन से बैठी रही। "मम्मी आप कॉफी हाऊस में बैठी थी आज ?""


"हाँ! दिलीप के साथ। मेरे कॉलेज टाईम का फ्रेंड़ है। श्रद्‌धा का वेट कर रहे थे। उसकी वाईफ! उसका ऑफिस पास ही में है। क्यों?"


"मैं और रानी वहाँ से पास हो रहे थे। मैंने तो किसी दिलीप अंकल को कभी नहीं देखा। मैं रानी को क्या एक्सप्लेन करती। कितना इन्सल्टिंग फील किया मैंने।"


"सच! मतलब सारी औपन लाईफ स्टाईल तुम अपने लिये ही रखना चाहती हो। इसमें से कुछ मम्मी पापा के लिये भी तो होना चाहिये ना!"


"सॉरी मम्मी।"


"देखो रीना! जो तुम कह रही थी¸ वो स्वतंत्रता है लेकिन जो कर रही हो¸ उसे उच्छृंखलता कहेंगे। ओपन लाईफ स्टाईल में विचारों को स्वतंत्र करो लेकिन अपने व्यवहार को सीमा में रखना सीखो। यदि तुम्हारी मम्मी पापा से कुछ अपेक्षाएँ है तो क्या ऐसा उन्हें नहीं लग सकता?"


"ठीक है बाबा! अब और ज्यादा लंबा मत बोलना। सुनो! मैंने स्टड़ीज के लिये टीना को घर पर बुलाया है और हाँ! अभि¸ आई मीन अभिषेक का फोन आए तो कहना मैं नहीं हूँ।"