औघड़ गुरु का औघड़ ज्ञान! / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :29 मार्च 2017
इंडोनेशिया में एक बौद्ध मठ है, जहां बसे शेर भी बौद्ध धर्म के अहिंसा के आदर्श को इस कदर मानते हैं कि पर्यटक उनकी सवारी करते हैं। मुंबई के जुहू तट पर भी आप ऊंट की सवारी कर सकते हैं। सांप की कमाई से सपेरे के परिवार की रोजी-रोटी चलती है। संभवत: सबसे अधिक विकसित प्रजाति मनुष्य ही सबसे अधिक हिंसक है। नगरों में जंगल नियम लागू है और जंगल में सहिष्णुता देखी जा सकती है। एक प्रसंग है कि जंगल से गौतम बुद्ध गुजर रहे थे तो उन्होंने एक अजगर को अहिंसा का उपदेश दिया। कुछ वर्ष पश्चात उसी जंगल से गुजरते हुए उन्होंने देखा कि बच्चे अजगर की सवारी करते हैं, उसकी दुम मरोड़ने का प्रयास करते हैं। उस त्रस्त अजगर ने गौतम बुद्ध से कहा कि उसकी दशा उनके अहिंसा के उपदेश के कारण ही हुई है। गौतम बुद्ध ने अजगर से कहा कि उन्होंने उसे काटने से मना किया था परंतु डराने के लिए फुफकारने से तो नहीं रोका था।
आजकल शिखर नेता फुफकारता रहता है और उसने डर का साम्राज्य रच लिया है। उनके एक नेता के मुख्यमंत्री बनते ही उनकी शेर को दूध पिलाने व गले में नाग धारण करने की तस्वीरें प्रकाशित हो गईं। संदेश यह दिया जा रहा है कि यह वीर सुशासन करेगा। हमारा गणतंत्र छद्म धार्मिकता से प्रेरित होकर जादू-टोना की राह से गुजरते हुए तंत्र के घाट की ओर जा रहा है। श्मशान तंत्र साधने वालों का मनचाहा स्थान होता है। संसद और विधानसभाओं को वैसा ही बनाए जाने का भय तो है। संसद में कमंडल लेकर बैठे लोग नज़र आ सकते हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पद पर रहने के कालखंड में वर्षों कभी किसी धार्मिक स्थान पर नहीं गए वरन भाखड़ा नंगल निर्माण के बाद उन्होंने कहा था कि आधुनिक भारत के तीर्थ यही स्थान होंगे। उन्होंने एटॉमिक एनर्जी संस्थान के साथ ही आईटी शिक्षण संस्थाओं का निर्माण किया। इस तरह भारत में आधुनिकता की आधारशिला रखी, जिसे उन्होंने अतीत के गौरव से भी जोड़ा। उनके इतिहास बोध और उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का ही परिणाम है, उनकी पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' जिसे श्याम बेनेगल ने सेल्युलाइड पर रचा। हर क्षेत्र में नेहरू पर निशाना साधने की प्रतियोगिता जारी है और गुलजार ने युवा वर्ग से अपील की है कि वे नेहरूनुमा ग्रामरबद्ध अंग्रेजी न बोलें या लिखें वरन उसमें अपनी देशी जुबान का तड़का लगाएं। सारांश यह है कि मिलावट को शुद्धता पर तरजीह दें। 'औघड़ गुरु का औघड़ ज्ञान, पहले भोजन फिर स्नान।' भारत में राजनीतिक मायथोलॉजी रची जा रही है। मायथोलॉजी में भी पक्षपात किया गया है।
विद्वान वेदव्यास कुरूप थे, इसलिए रानी ने अपने बदले अपनी दासी मर्यादा को शयनकक्ष में भेज दिया। मर्यादा ने विदुर को जन्म दिया। अगर विद्वान विदुर को राजा बनाते तो कौरव-पांडव युद्ध नहीं होता। आजकल विदेशों में भारतीय फिल्मों और भारतीयता का दौर चल रहा है, जिसे 'टाइटैनिक' के लिए प्रसिद्ध फिल्मकार कैमरन ने पहले ही भांप लिया था। उन्होंने 'अवतार' नामक फिल्म बनाई, जिसमें एक अमेरिकी दल के सदस्य आकाश गंगा में नया स्थान खोजते हैं, जहां के मूल निवासी इस आक्रमण से अपने संसार की रक्षा करने के लिए प्राणपण से जुट जाते हैं। अमेरिकी दल की एक स्त्री कहती है कि इस संसार में विकास के लिए हम जो एक वृक्ष गिराते हैं, उसकी पीड़ा धरती के वृक्ष को दुख देती होगी गोयाकि सारे वृक्ष मनुष्य से अधिक एक-दूसरे के दुख-दर्द से जुड़े हैं। मनुष्य स्वयं को दूसरों से जुदा करने की प्रक्रिया में स्वयं से ही दूर जा रहा है। अजीब बात यह है कि उधर भारतीयकरण हो रहा है और इधर भारत ही गैर-भारतीय होता जा रहा है।
दरअसल, तमाम विज्ञान फंतासी फिल्मों में दार्शनिकता की अभिव्यक्ति सामान्य फिल्मों से अधिक होती है। फिल्मकार को प्रतीकात्मकता से बचकर सीधी सपाट बयानी का अवसर मिलता है। इस क्षेत्र में 'बायसेंटिलियन मैन' में विलक्षण प्रेमकथा है। एक महिला को रोबो से प्यार हो जाता है और वह चर्च से अपने विवाह की आज्ञा मांगती है। सारी संस्थाएं अब कांपने लगती हैं जब प्रेम सर्वथा अपरिचित क्षेत्रों में अभिव्यक्त होने लगता है। खाप पंचायतनुमा संस्थाएं अनेक हैं। उनके मुखौटे भी रंग-बिरंगे हैं। 'बायसेंटिनियल मैन' में जब सुप्रीम को्ट से रोबो और स्त्री के विवाह की आज्ञा आती है तब रोबो की एक्सपायरी डेट आ जाती है गोयाकि मृत्यु के क्षण मानव-मशीन विवाह की घड़ी आती है। रोबो की मृत्यु का यह दृश्य देवदास की मृत्यु की तरह करुणा उपजाता है।
विज्ञान फंतासी के जनक एचजी वेल्स ने 19वीं सदी के मध्यकाल में ही रोबो-मनुष्य की प्रेमकथा की रचना की थी। एक वैज्ञानिक रोबो की रचना करता है। उसकी पुत्री कहती है कि कभी-कभी ये रोबो उससे प्रेम निवेदन करता है। वैज्ञानिक कहता है कि उसने रोबो की विचार प्रक्रिया में प्रेम को फीड ही नहीं किया है। वह अपनी पुत्री को चेतावनी देता है कि कभी रोबो के प्रेम निवेदन पर वह उससे गले नहीं लगे, क्योंकि उसकी सुरक्षा के लिए उसे इस तरह प्रोग्राम्ड किया गया है कि सीने से लगते ही वह अपनी लोहे की भुजाओं से सीने लगने वाले को कुचल देता है।
कुछ दिन पश्चात वैज्ञानिक की पुत्री रोबो के कदमों में कुचली हुई पड़ी मिलती है। दुख में डूबा वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला में रोबो को डिसमेंटल करता है। उसका एक-एक पुर्जा निकाल देता है। प्रयोगशाला के निकट ही एक बगीचा है जहां युवा प्रेमी मिलते हैं। रोबो का स्मृति कक्ष उनकी बात को ही रिकॉर्ड कर लेता है।
विज्ञान फिल्मों की 'मैट्रिक्स शृंखला' में संकेत है कि कंप्यूटर ही स्वतंत्र होकर विश्व में राज करेंगे। मनुष्य उन कंप्यूटरों की बैटरी के चार्जर मात्र रह जाएंगे। मनुष्य की मृत्यु कंप्यूटरों द्वारा खींची गईं जीवन ऊर्जा से होगी गोयाकि मनुष्य जीवन के ईंधन पर कंप्यूटर जीवित रहेंगे। मौजूदा शिखर राजनीतिक शक्ति आधुनिकता के खिलाफ विद्रोह है या कहें कि षड्यंत्र है। अब दकियानूसी की पुन: स्थापना की जा रही है। योगी की नियुक्ति को इस तरह भी देखा जा सकता है।