और वह मर गई / शंकर पुणतांबेकर

Gadya Kosh से
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सत्य ने मां, नीति के पास आकर कहा,"आज मैंने एक बहुत बड़ा प्राणी देखा।" "कितना बड़ा…?" नीति ने पेट फुलाकर दिखाया। "नहीं, इससे बड़ा ।" नीति ने फिर पेट फुलाया । "नहीं, इससे भी बड़ा माँ ! " सत्य ने कहा। नीति पेट फुलाती गई और सत्य कहता गया-इससे भी बड़ा। सत्य ने जिस प्राणी को देखा था, भ्रष्टाचार था। नीति उसके दसवें हिस्से जितना पेट नहीं फुला पाई कि वह फूट गया। नीति बेचारी मर गई। /poem>