कंगना, केतन मेहता और निखिल अाडवाणी / जयप्रकाश चौकसे

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कंगना, केतन मेहता और निखिल अाडवाणी
प्रकाशन तिथि :18 सितम्बर 2015


'कट्‌टी बट्‌टी' की सफलता आमिर खान के भांजे इमरान खान के लिए आवश्यक है, क्योंकि उनकी विगत तीन फिल्में असफल रहीं। सच तो यह है कि उन्हें आमिर की बनाई दो फिल्मों में ही सफलता मिली है। फिल्म उद्योग में कलाकार का सितारा बनना कभी भी तर्क के आधार पर समझा नहीं जा सकता। इमरान अपने मामू आमिर से ज्यादा सुंदर दिखते हैं परंतु उनकी अदाएं और अभिनय दर्शकों में उत्साह नहीं जगाता। यह खेल कुछ अजीब है। अमिताभ बच्चन की 'जंजीर' के पहले प्रदर्शित लगभग दर्जन भर फिल्में असफल रहीं, यही हाल शम्मी कपूर का भी रहा। 'तुमसा नहीं देखा' के पहले वे सितारा नहीं बन पाए। मिथुन जब उद्योग में आए थे, कुछ निर्माता उन्हें बैंगनी रंग का व्यक्ति मानते थे परंतु 'डिस्को डांसर' के बाद उन्होंने दर्जनों सफल फिल्में कीं। इमरान निर्माता नासिर हुसैन की पुत्री के बेटे हैं और उनके दोनों मामा मंसूर व आमिर सफल व्यक्ति हैं। एक ही माता-पिता की संतान सलमान सितारे हैं परंतु उनके भाई अरबाज व सोहेल सफल नहीं हुए।

'कट्‌टी..' की नायिका कंगना रनोट ने अभी तक किसी सुपर सितारे के साथ काम नहीं किया और संभवत: यह चिंता भी नहीं की कि कौन साथ काम कर रहा है। कंगना को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि फाइनल संपादन आमिर ने किया है, जबकि फिल्म के निर्देशक निखिल आडवाणी हैं। आमिर खान को इमरान खान की चिंता है परंतु मात्र संपादन से किसी फिल्म के मूल स्वर को बदला नहीं जा सकता और आमूल परिवर्तन नुकसान भी कर सकता है। मूल मुद्‌दा यह है कि फिल्म हॉकी, क्रिकेट की तरह टीम वर्क नहीं है। यह एक व्यक्ति का आकल्पन है, जिसमें यकीन करने वाले यूनिट के सदस्य बनते हैं। सारे सृजन कार्य इसी तरह से होते हैं।

निखिल आडवाणी, करण जौहर की पहली दो फिल्मों में उनके निकटतम सहयोगी रहे, क्योंकि फिल्म तकनीक के वे अच्छे-खासे जानकर हैं। उन्हें करण जौहर की शाहरुख अभिनीत 'कल हो न हो' के निर्देशन का अवसर मिला। ऋषिकेश मुखर्जी की 'आनंद' से प्रेरित यह फिल्म उस कंपनी की सबसे कमजोर सफलता रही, क्योंकि 'आनंद' के अवसाद तत्व को वे प्रस्तुत नहीं कर पाए। कुछ समय बाद मतभेद होने पर निखिल आडवाणी करण जौहर से अलग हो गए और उनकी बहुसितारा फिल्म "सलाम-ए-इश्क' ने पानी नहीं मांगा! यह चार घंटे की सिनेमाई कसरत थी, जिसमें सबसे कमजोर भूमिका उन्होंने सबसे अधिक लोकप्रिय सलमान खान को दी! दरअसल सिनेमा तकनीक मात्र का ज्ञान आपको अधिकतम की पसंद का आकलन करने में मदद नहीं करता। इसी तरह मुकुल आनंद के तकनीकी ज्ञान का ढिंढोरा पीटा जाता था परंतु वे कभी सफलता अर्जित नहीं कर पाए। आज के सफलतम फिल्मकार राजकुमार हीरानी तकनीक के अखाड़े के रुस्तम नहीं हैं परंतु मानवीय भावनाओं का उन्हें भरपूर ज्ञान है। कम से कम भारत में यह सही है, यूरोप व अमेरिका के कुछ फिल्मकारों ने केवल तकनीक पर पकड़ से सफलता पाई है।

निखिल बड़े समझौतावादी है। उनकी 'हीरो' का फाइनल संपादन सलमान ने किया और अब 'कट्‌टी..' का आमिर ने। उन्हें अपनी अगली फिल्म शाहरुख खान से लिखवानी चाहिए। बहरहाल, 'कट्‌टी बट्‌टी' की सफलता से कंगना रनोट को लाभ हो सकता है परंतु हानि कोई खास मायने नहीं रखती। इमरान के लिए यह 'करो या मरो' का खेल बन गया है। वे इतने अमीर हैं और उनकी ससुराल भी इतनी संपन्न है कि उनके सामने रोजी-रोटी का सवाल नहीं है। कंगना रनोट अमेरिका से पटकथा लेखन का ज्ञान प्राप्त करके आई हैं और संपादन के ज्ञान के लिए भी जा रही है। उनका इरादा फिल्म निर्देशन का है। अपने कॅरिअर में अभी वे जिस मकाम पर खड़ी हैं, उन्हें अभिनय में ही और मजबूत होना चाहिए। निर्देशन वे कभी भी कर सकती हैं परंतु उनका अब तक का सफर उनके अपने निर्णय से हुआ है और वह किसी व्यावहारिकता के फेर में पड़ना पसंद नहीं करती। उनके मेंटर आनंद राय अब उन्हें अपनी फिल्मों में नहीं ले रहे हैं। प्राय: सफल लोगों में अहंकार की टक्कर हो जाती है।

ताज़ा खबर यह है कि आजकल कंगना सुबह पांच बजे उठकर घुड़सवारी का अभ्यास कर रही हैं। संभवत: वे रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका की तैयारी कर रही हैं। यह केतन मेहता की प्रस्तावित फिल्म है। केतन मेहता का सफर 'भवनी भवई' से 'ांझी - द माउंटेनमैन' तक अनोखा रहा है। केतन व कंगना की टीम एक अविस्मरणीय फिल्म दे सकती है। इतिहास आधारित होने के कारण इसका बजट बड़ा होगा, जिसका भार अकेली कंगना नहीं उठा सकती परंतु कथा में इतने पात्र हैं कि अच्छी-खासी टीम खड़ी हो सकती है।