कछुए की बहिन / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु ’
ज्ञानपुर नामक गॉंव में एक बुद्धिमान् व्यक्ति रहता था । उसका नाम था बुद्धिराज । गॉंव वाले उसका बहुत आदर करते थे । एक बार बुद्धिराज घूमने के लिए दूर के एक गॉव में चला गया । उस गॉंव का एक किसान बुद्धिराज की बातों से बहुत प्रसन्न हुआ ।
किसान ने खुश होकर अपनी सबसे सुन्दर गाय बुद्धिराज को भेंट में दे दी । वह गाय खूब दूध देती थी ।
बुद्धिराज गाय को लकर अपने गॉंव की तरफ चल दिया । शाम हो गयी थी । गॉंव तक पहुॅंचने में रात हो जाएगी । बच्चे गाय को देखकर बहुत खुश होंगे । सबको सुबह–शाम दूध पीने को मिलेगा । गाय का नटखट बछड़ा उछलता–कूदता साथ–साथ चल रहा था ।
एक ठग की नजर गाय पर पड़ी । वह बुद्धिराज के पास पहुॅंचा ओर बोला–‘‘बहुत प्यारी गाय है । बहुत दूध देेती होगी ।’’
‘‘ हॉं,छह सेर दूध देती है ।’’
‘‘ तब तो यह गाय मेरे लिए बहुत अच्छी रहेगी ’’– कहकर ठग ने बुद्धिराज के हाथ से गाय का रस्सा छीन लिया – ‘‘अब यह मेरी गाय है, तुम्हारी नहीं ।’’
‘‘चोर,चोर!’’– कहकर बुद्धिराज चिल्लाया ।
शोर सुनकर आसपास के सभी लोग इकट्ठे हो गए । ठग बोला– ‘‘भाइयों यह मेरी गाय है । इसने ‘चोर–चोर’ की आवाज लगाकर आप सबको इकट्ठा कर लिया है । मुझे चोर कहने से यह गाय इसकी नहीं हो जाएगी ।’’ ‘‘ यह झूठ बोल रहा है । यह गाय मेरी है । अगर यह मेरे हाथ से गाय का रस्सा न छीनता तो मैं क्यों चिल्लाता ?’’
‘‘ मैं यह गाय सौ रूपए में खरीद कर लाया हूँ –’’ ठग ने कहा ।
‘‘ मुझे यह गाय एक किसान ने भेंट में दी है –’’ बुद्धिराज बोला ।
। ‘‘ भाइयों , अब आप खुद ही समझ लो । यदि यह गाय इसकी होती तो यह दाम जरूर बताता । भेंट में मिलने की बात यह इसलिए कह रहा है क्योंकि यह गाय इसकी नहीं है ।’’
‘‘ यह गाय मेरी ही है ’’ – बुद्धिराज ने कहा ।
‘‘ तुम कैसे कह सकते हो कि गाय तुम्हारी ही है – ’’ ठग हँसा ।
बुद्धिराज ने अपनी दोनों हथेलियों से गाय की दोनों आँखें ढक लीं –‘‘ यह गाय अगर तुम्हारी है तो बताओ, इसकी कौन सी आँख कानी है ?’’
ठग घबरा गया । उसने गाय की आँखें ठीक से देखी ही नहीं थीं । वह हिम्मत करके बोला –‘‘ इसकी दाईं आँख कानी है ।’’
‘‘आप सब सुन लें । यह दाई आँख कानी बता रहा है –’’ बुद्धिराज जोर से बोला ।
‘‘नहीं, नहीं ! इसकी बाई आँख कानी है –’’ ठग ने हिम्मत करके कहा ।
बुद्धिराज ने गाय की आंखों से अपनी दोनों हथेलियाँ हटा लीं – आप लोग अच्छी तरह से देख लें । इस गाय की दोनों आंख कानी नही है ।’’
ठग भागने को हुआ लेकिन लोगों ने उसको पकड़ लिया । सबने उसकी खूब पिटाई की । ठग ने सबके सामने कसम खाई –‘‘ मैं अब कभी ऐसा काम नही करूँगा ।’’
-0- (लोककथा )