कत्ल और कातिल कथाएं / जयप्रकाश चौकसे

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कत्ल और कातिल कथाएं
प्रकाशन तिथि :24 जुलाई 2015


'गब्बर' अमजद खान के सुपुत्र शादाब खान के उपन्यास 'मर्डर इन बॉलीवुड' का विमोचन अमिताभ बच्चन ने किया। यह कत्ल की कहानी है, जिसमें एक निर्माता शाम के भोजन पर आमंत्रित अपने मित्रों को कहता है कि इस दावत में मौजूद कोई एक कातिल है, जो फिर कत्ल करने वाला है। अगले दिन निर्माता और उसकी पत्नी का कत्ल हो जाता है और क्राइम इन्सपेक्टर होशियार खान इस उलझे हुए केस को सुलझाते हैं। किताब अभी पढ़ी नहीं है, परंतु इन्सपेक्टर का नाम होशियार रखना लेखक की गहराई या उसकी कमी को उजागर करता है। फिल्म दुनिया की पृष्ठभूमि की गहरी जानकारी तो लेखक को है, क्योंकि वह उद्योग में तीसरी पीढ़ी है। इस परिवार के पुरोधा जयंत पांचवें-छठे दशक में चरित्र अभिनेता थे और उनके पुत्र अमजद ने "शोले' में गब्बर की भूमिका करके खूब लोकप्रियता अर्जित की। उनके बड़े भाई ने भी कुछ फिल्मों में अभिनय किया और एक फिल्म का निर्देशन भी किया। उनकी शादी अंजू महेंद्रु से हुई, जो किसी दौर में राजेश खन्ना की अंतरंग मित्र थीं और प्रेम का सीमित ओवर गेम अंजु ने सोबर्स महान के साथ खेला था। तीसरी पीढ़ी शादाब खान ने जे.पी. दत्ता की "एल.ओ.सी.' में चरित्र भूमिका की थी, परंतु सितारों की भीड़ वाली इस असफल फिल्म ने उन्हें कोई पहचान नहीं दी। बहरहाल शादाब खान के उपन्यास को पेनगुइन जैसी प्रसिद्ध कंपनी ने प्रकाशित किया है।

शादाब के पहले उपन्यास का केंद्र कत्ल है और इस विधा में अंग्रेजी भाषा में अनेक लेखक हुए हैं। इसके शिखर पर अगाथा क्रिस्टी हैं, जिन्होंने उम्रदराज जासूस मिस मारपल और बेल्जियम के जासूस हरकुली पायरो जैसे अमर चरित्र रचे हैं। सर आर्थर कॉनन डॉयल के पात्र शेरलॉक होम्स तो इस कदर लोकप्रिय हुए कि उनके उपन्यास में वर्णित नायक के पते पर रोज हजारों पत्र आते थे और उनके लोग यथार्थ का जीता जागता मनुष्य मानते थे। जासूसी उपन्यास विधा अंग्रेजों ने ही खोजी है। भारत में इब्ने सफी को लोकप्रियता मिली थी। बाबू देवकीनंदन खत्री के भूतनाथ व चंद्रकांता जासूसी उपन्यास नहीं हैं, वे अय्यारों का अजीबोगरीब संसार है और उसके रेशों से कोई बाहुबली जैसी फंतासी रच सकता है।

एन.एन. सिप्पी ने 'गुमनाम' भी अगाथा के एक उपन्यास से मारा गया था, जिसमें तेरह लोग एक द्वीप पर जा पहुंचे और वे जानते हैं कि उनमें एक कातिल है। कत्ल की शृंखला में स्वयं कातिल अपने कत्ल का स्वांग रचता है और मुर्दाघर से उठकर अन्य कत्ल करता है। नंदा और मनोज कुमार अभिनीत इस फिल्म मे मेहमूद के हास्य ने सफलता का रंग बहुत गहरा कर दिया। अगाथा क्रिस्टी के उपन्यासों में भी एक समान-सा दिखने वाला ढंग यह उभरता है कि जिस पर शक नहीं, वही कातिल निकलता है और शायद तमाम लेखक कातिल को इसी तरह सफाई से बचाकर रखते हैं। मसलन अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास 'मिरर क्रेक्ड फ्रॉम साइड टू साइड' में एक भव्य सितारा जड़ित फिल्म की आउटडोर शूटिंग में नायिका की एक प्रशंसक की शैम्पेन में जहर मिला है और वह मर जाती है। लोग समझते हैं कि जहर वाला गिलास नायिका के कत्ल के लिए था, जो उसने आदर देने के लिए अपनी पुरानी प्रशंसक को दिया था। रहस्य इस तरह खुलता है कि वर्षों पूर्व यही प्रशंसिका जबरन उससे मिलने पहुंची और उस समय वह स्माल पॉक्स से पीड़ित थी और नायिका को यह छूत की बीमारी लग जाने के कारण एक भव्य फिल्म हाथ से निकल गई और नायिका ने ही शैम्पेन में जहर मिलाया था, क्योंकि वह इस 'मनहूस' फैन से निजात पाना चाहती थी।

'कत्ल' घृणित कार्य है। कातिल के मनोविज्ञान का अध्ययन मानव अवचेतन के राज उजागर कर सकता है। इस बात को यह कथा रेखांकित करती है। एक द्वीप में रहने वाला परिवार सुखी और संतुष्ट। चार भाइयों में से एक लंदन में रहता है। वह जुआं खेलता है, वेश्यालय जाता है तथा पैसा लेने बार-बार द्वीप आता है। तीनों भाई उसे स्नेह करते हैं और पैसा देते रहते हैं। लंदन वाला भाई वेश्यागमन के साथ नाटक में अभिनय का शौक भी रखता है। वह अपने भाइयों से कहता है कि कत्ल कला की तरह रचे जा सकते हैं, परंतु कलाकार को गुमनाम रहना होता है। कालांतर में कर्ज के दबाव में वह अपने भाइयों व भाभियों का कत्ल करता है और अपार धन लेकर लंदन में अपने नाटक के शौक करता है। उसे अपने किए गए कत्ल की प्रशंसा चाहिए, इसलिए कत्ल के आधार पर नाटक करता ह और उसके अभिनय की बहुत प्रशंसा होती है। परंतु द्वीप से लौटा एक इन्सपेक्टर उसके खिलाफ साक्ष्य एकत्रित करता है और नाटक के अन्य अभिनेताओं को विश्वास में लेकर नाटक का आखरी अंक बदल देता है। मजेदार क्लाइमैक्स बनता है। सुभाष घई ने 'कर्ज' में भी एक नाटक का उपयोग करके क्लाइमैक्स रचा था। लिंकन का कातिल भी रंगमंच का कलाकार था।