कथा फिल्म की तरह रोचक वृत्तचित्र / जयप्रकाश चौकसे

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कथा फिल्म की तरह रोचक वृत्तचित्र
प्रकाशन तिथि : 24 मई 2019


फुटबॉल में महान पेले के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय हैं डिएगो माराडोना। आसिफ कापड़िया ने तीन वर्ष तक गहन शोध करके वृत्तचित्र बनाया है, जिसकी लिखित इजाजत उन्हें डिएगो माराडोना से मिल चुकी थी। यूरोप और लेटिन अमेरिका में यह वृत्तचित्र दिखाया जा रहा है और कथा फिल्मों से अधिक दर्शक इसे देख रहे हैं। इस वृत्तचित्र में असल व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए उससे जुड़ी अफवाहों और किंवदंतियों को तराशकर कचरा पेटी में फेंका गया है। इसके साथ ही सितारा हैसियत की चीरफाड़ भी की गई है। प्रसिद्ध लोगों की बात तो छोड़िए, आम आदमी भी अपनी छवि गढ़ता है। निदा फाज़ली ने फरमाया था कि हर आदमी के पीछे दस लोग छिपे होते हैं। क्या रावण के दस सिर भी इसी बात को अभिव्यक्त करते हैं। रावण दस ज्ञान विधाओं का जानकार था, जिसमें ज्योतिष विधा भी शामिल थी। अत: वह जानता था कि सीता अपहरण के कारण राम द्वारा उसका वध होगा परंतु रामकथा में उसका जिक्र अनिवार्य होगा। दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर रावण की पूजा भी की जाती है।

'जैकिल एंड हाइड' नामक उपन्यास में ऐसे ही पात्र की रचना की गई है कि दिन के समय वह भला मानुष नज़र आता है और रात में अपराध करता है। एक दौर में दिलीप कुमार ने इससे प्रेरित होकर 'बैंक मैनेजर' नामक पटकथा लिखी थी। दिन के समय बैंक का ईमानदार एवं कर्मठ मैनेजर रात में उसी बैंक में डाका डालने की योजना बनाता है। 'ग्रैंडस्लैम' नामक फिल्म में पेरिस के एक हीरा संग्रहालय में बड़ी चोरी होती है। चोरी के आरोपी हीरों के बंटवारे को लेकर आपस में लड़ते हैं और हत्या की जाती है। हीरों सहित एक आरोपी समुद्र में डूब जाता है। हीरों की चोरी की घटना भी समुद्र में डूब जाती है। कुछ समय बाद सड़क पर चाय कॉफी के ठिए पर हीरों की दुकान का प्रमुख कार्यकर्ता अपनी मित्र के साथ बैठा है। वह उसे बताता है कि दस वर्ष तक परिश्रम करके उसने लूट की योजना बनाई। चोरी की रात ही उसने असली हीरों की जगह ठीक वैसे ही दिखने वाले हीरे रख दिए थे। अत: नकली हीरे ही चोरी हो जाते हैं और उन्हीं के बंटवारे को लेकर चोर एक-दूसरे को मार देते हैं। वह असली हीरों की मखमली थैली मेज पर रखता है। एक मामूला-सा उठाईगिरा थैली लेकर भाग जाता है। प्रमुख कार्यकर्ता का साथी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने की बात कहता है तो वह कहता है कि उन्हें जल्दी भाग जाना चाहिए, क्योंकि यह उठाईगिरा पकड़ा जाएगा और विश्वविख्यात हीरे पहचान लिए जाएंगे गोयाकि उन्हें कुछ नहीं मिला।

एक विश्वकप फाइनल में डिएगो माराडोना के हाथ को फुटबॉल स्पर्श कर गया, जिसे रेफरी देख नहीं पाया। उस गोल ने विजय दिला दी। बाद में सभी कैमरों के फुटेज के परीक्षण से ज्ञात हुआ कि गेंद का स्पर्श हुआ था और गोल नैतिक रूप से नाजायज था। इस वाकये पर डिएगो माराडोना ने कहा कि वह 'एक्ट ऑफ गॉड' था। प्राय: आम आदमी भी अपनी चूक को ईश्वर का काम बताकर पतली गली से भाग निकलता है। हर व्यक्ति अपने ईश्वर की छवि अपनी विचार शैली के अनुरूप रचता है। डाकू भी डकैती पर जाने के पूर्व मां दुर्गा की आराधना करते हैं। ठग भी देवपूजा करते थे। गोवा और बंगाल में फुटबॉल लोकप्रिय है। शेष भारत क्रिकेट के नशे में गाफिल है। आर्थिक दशा के अनुरूप तो महंगे क्रिकेट से सस्ता फुटबॉल ही खेला जाना चाहिए। फुटबॉल के लिए खेल का मैदान और फुटबॉल मात्र की आवश्यकता होती है। कबड्‌डी और खो खो में तो केवल अपने दमखम की आवश्यकता होती है। अंग्रेजी भाषा और क्रिकेट भारत ने आत्मसात कर लिए हैं।

सभी खेलों में खिलाड़ियों को धन मिलता है। विज्ञापन फिल्में भी उन्हें मेहनताना दिलाती है। केवल भारत में क्रिकेट खिलाड़ी धनवान हैं। यूरोप और लेटिन अमेरिका में फुटबॉल खिलाड़ी अमीर हो जाते हैं। डिएगो माराडोना की लोकप्रियता के कारण अनगिनत औरतें उन्हें दिलोजान से चाहती हैं। इस तरह के जुनून में स्वयं को स्थिर बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। सफलता और शोहरत कई लोगों को समाप्त कर देती है। डिएगो माराडोना ने सफलता के जहर को भी साध लिया। पेले की छवि एक संत खिलाड़ी की है, जबकि माराडोना लोभ-लालच की फिसलन पर गिरते-पड़ते उठ खड़े होते हैं। आसिफ कापड़िया को नमन, जिन्होंने एक तथ्यात्मक एवं रोचक वृत्तचित्र बनाया है। हजारों फीट के फुटेज से अपने काम का फुटेज चुनना आसान नहीं रहा होगा।