कन्या पूजन / सुरेश सौरभ

Gadya Kosh से
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दोपहर को मुंह लटकाए शर्मा जी ने घर में प्रवेश किया, तो उनकी पत्नी ने छूटते ही पूछा-कहाँ हैं कन्याएँ। सुबह से निकले हो फिर खाली हाथ क्यों आए, 'बड़बड़ाते हुए,' आधा दिन हो गया। भूखे पेट सती हो रही हूँ, कन्या पूजन के लिए, इन्हें कोई फ़िक्र ही नहीं।

शर्मा जी लगभग रूआंसे स्वर में तेज बोले-अब कोई न भेजेंगा अपनी कन्या। '

'क्यों।'

टेबल पर पड़ा अख़बार पत्नी तरफ़ फेंकते हुए-पहले आज की खबरें पढ़ो। '

शर्मा जी की पत्नी ने अख़बार उलटना-पलटना शुरू किया। तभी एक ख़बर पर अटक गईं, उनकी आंखें भय और विस्मय से फटी की फटी रह गईं ‌। ख़बर थी 'नवरात्र में कन्या पूजन के बहाने एक बालिका को ले गये युवक ने की बालिका की रेप करके नृशंस हत्या।'