कपूर-कैफ : रिश्ते की राजनीति? / जयप्रकाश चौकसे

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कपूर-कैफ : रिश्ते की राजनीति?
प्रकाशन तिथि :03 जनवरी 2017


अनुराग बसु की रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ अभिनीत 'जग्गा जासूस' लंबे इंतजार के बाद प्रदर्शित होने जा रही है। फिल्म में छोटे और बड़े मिलाकर चालीस गीत हैं। दरअसल, फिल्म में अधिकतर संवाद पद्य में हैं। विशाल भारद्वाज की कंगना रनौत अभिनीत 'रंगून' भी ऐसी ही फिल्म है। विदेशों में ऑपेरा प्रेरित फिल्में बनती रही हैं जैसे 'माय फेयर लेडी' और 'साउंड ऑफ म्यूज़िक' जिससे प्रेरित गुलज़ार की फिल्म थी 'परिचय'। भारत में किशोर साहू ने शेक्सपीयर की 'हैमलेट' को इसी अंदाज में बनाया था। शेक्सपीयर की सभी रचनाएं पद्य में हैं और जॉन मिल्टन की 'पैराडाइज लॉस्ट' तथा 'सैमसन एगोनिस्टिक' भी काव्य है। हमारे 'रामायण' और 'महाभारत' भी काव्य हैं। किशोर साहू के बाद चेतन आनंद ने 'हीर रांझा' पद्य में बनाई थी, जिसे कैफी आज़मी ने लिखा था। अमोल पालेकर ने 'बुनियाद' के लिए प्रसिद्ध अनीता कंवर अभिनीत 'थोड़ा-सा रुमानी हो जाए' पद्य में बनाई थी। ज्ञात है कि संवाद फिल्में बनना प्रारंभ होते ही बनाई गई 'इन्द्रसभा' में 71 गीत थे।

अनुराग बसु की 'जग्गा जासूसहीर रांझा' की तरह कोई अमर प्रेम कहानी नहीं है, वरन् इसका मूल स्वर आधुनिक हास्य फिल्म का है। अगर हमारे कालखंड में कोई महाकाव्य लिखा जाए तो उसका टाइटल 'खोखली गहराई' या 'चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा' हो सकता है। महाकाव्य लिखे जाने की कोई संभावना नहीं है, न वैसे कवि हैं और न ही श्रोता। परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि इस काल खंड में अभिव्यक्ति नहीं हो रही है। केवल महाकाव्य विद्या को नहीं साधा जा रहा है।

आजकल जीवन ही 'वीकेंड' (सप्ताहांत) आधारित हो गया है। शुक्रवार की संध्या से ही मौज-मस्ती प्रारंभ होती है और सोमवार की दोपहर तक हैंग-ओवर कायम रहता है। अमीरजादे छुट्‌टियां बिताने के बाद थकान महसूस करते हैं और फिर छुट्‌टियों पर चले जाते हैं गोयाकि नया विभाजन है 'काम नहीं करने वाले लोग और कभी आराम नहीं पाने वाले लोग'। एक तरफ हैं वे लोग, जो नाश्ते के समय जानना चाहते हैं कि दोपहर के भोज में क्या बन रहा है और दोपहर में उन्हें रात के भोज के व्यंजन जानने की इच्छा है। दूसरी तरफ वे लोग हैं, जिन्हें पूरे जीवन एक बार भी भरपूर मनपसंद खाना नहीं मिला। साधन संपन्न व साधनहीन वर्गभेद अपने नए विविध रूपों में प्रकट हो रहा है।

गौरतलब है कि 'रंगून' दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है। दशकों पूर्व इंग्लैंड में इसी तरह की संगीतमय फिल्म बनी थी 'वॉट ए लवली वॉर'। युद्ध भयावह होते हैं और उनसे प्रेरित संगीतमय कृति का अर्थ है कि मनुष्य भयावह युद्ध को भी ठेंगा दिखाने का माद्‌दा रखता है। बर्नार्ड शॉ अपने नाटक 'आर्म्स एंड द मैन' में ऐसा व्यवसायी सैनिक नायक प्रस्तुत करते हैं, जो केवल अपने को बचाता हुआ युद्ध प्रहसन में भाग लेता है। यह भी एक कॅरियर है और अपको अपनी पदोन्नति की फिक्र होती है। बर्नार्ड शॉ के माइक्रोस्कोप में आप छोटे से छोटा सामाजिक कीटाणु साफ देख सकते हैं। कुरीतियों के सारे ज़रासीम नज़र आते हैं। उनकी पैनी नज़र और साफ नज़रिया आपको बेहतर ढंग से सोचने पर विवश करता है। सोच-विचार के क्षेत्र में प्रक्रियावादी ताकतों ने घुसपैठ की है, पर्यावरण में दूषित हवाओं के लिए भी ये नकारात्मक शक्तियां ही जवाबदार हैं। शरीर एक विचार है और विचार का भी शरीर हो सकता है। सारी ठोस चीजें अपने अन्य स्वरूप में हवाओं में मौजूद रहती हैं। शंकर-जयकिशन ने 'उजाला' नामक फिल्म के लिए गीत रचा था 'नफरत है हवाओं में, यह कैसा जहर फैला दुनिया की फिज़ाओं में'।

जब 'जग्गा जासूस' की शूटिंग प्रारंभ हुई, तब रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ के बीच अंतरंगता थी, जिसका सिलसिला प्रकाश झा की 'राजनीति' बनने से प्रारंभ हुआ था, परंतु कुछ भाग बनने के बाद उनके रिश्ते में दरार आ गई। जब मन में खटास हो तो प्रेम दृश्य अभिनीत करना आसान नहीं होता। दिलीप कुमार और मधुबाला ने भावना की गहराई के साथ 'मुगले आजम' में प्रेम दृश्य अभिनीत किए जबकि उस समय उनक सम्बन्ध में दरार आ चुकी थी। बलदेवराज चोपड़ा की 'नया दौर' से मधुबाला को हटाकर 'वैजयंतीमाला' को लिया गया था। यह प्रकरण अन्य कारणों से अदालत गया, जहां दिलीप कुमार ने मधुबाला से अपने प्रेम संबंध को भरी अदालत में स्वीकार किया।

फिल्म उद्योग में बॉक्स ऑफिस निजी संबंध के समीकरण बदल सकता है। क्या 'जग्गा जासूस' की सफलता रणबीर और कैटरीना कैफ की अंतरंगता को दोबारा स्थापित कर सकती है? रणबीर कपूर का आशिकाना मिजाज कुछ ऐसा है, 'जो डाली घोड़ी एक बार वहां कब लौट कर आना है'। तन्हा और उदास कैटरीना कैफ का दिल गुनगुनाता है, 'भटकोगे बेबात लौटोगे हर यात्रा के बाद यहीं'।