कबीर की सतरंगी चुनरिया / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 05 अगस्त 2021
शाहरुख खान अभिनीत शिमित अमीन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘चक दे इंडिया’ महिला हॉकी खेल से प्रेरित काल्पनिक फिल्म है। इसमें महिला हॉकी टीम के लिए हॉकी के प्रांतीय संगठन अपनी श्रेष्ठ महिला खिलाड़ियों को भेजते हैं। शाहरुख खान अभिनीत कोच का नाम कबीर है। प्रशिक्षण के समय भी लड़कियां प्रांतीयता की संकीर्णता से ग्रसित रहती हैं। कोच बहुत अनुशासन प्रिय हैं। हैरानी की बात यह है कि कोच के इसी रवैये के कारण खिलाड़ियों में एकता की भावना पैदा होती है। वे सब मिलकर कोच का विरोध करती हैं और कोच को मजबूर करती हैं कि वह अपने पद से त्यागपत्र दे दे। कबीर उनसे कहता है कि वह त्यागपत्र देकर अपने जाने से पूर्व सभी को लंच पर ले जाना चाहता है। सभी बस में बैठकर रेस्त्रां जाते हैं।
रेस्त्रां में एक मनचला, एक खिलाड़ी से अभद्रता करता है, तो खिलाड़ी उसे थप्पड़ मार देती है। अन्य लड़कियां भी अपनी साथी का साथ देती हैं, तो सभी एकजुट होकर उनका मुकाबला करती हैं। उस वक्त खिलाड़ियों को एकजुटता का महत्व समझ आता है। फिर सभी कैम्प में लौटते हैं। सभी खिलाड़ी, कोच के आगे शर्मिंदा हैं, तो कोच कहता है कि अगली सुबह 5 बजे प्रशिक्षण पुन: प्रारंभ होगा।
हॉकी संगठन महिला टीम को ऑस्ट्रेलिया में आयोजित ओलिंपिक प्रतियोगिता में नहीं भेजना चाहते। कबीर संगठन के अध्यक्ष से कहता है कि पुरुष टीम और महिला टीम का मैच करवाकर उसके परिणाम पर निर्णय लिया जाए। लेकिन महिला टीम हारकर भी अपने शानदार प्रदर्शन से सबका दिल जीत लेती है और महिला टीम को ओलिंपिक में भाग लेने का मौका मिलता है।
ऑस्ट्रेलिया में पहले लीग मैच में भारतीय टीम 5 गोल से हार जाती है। लेकिन हार से सबक लेकर बाद में आपसी सहयोग से कमजोरियां दूर की जाती हैं। कबीर हर मैच में नई नीति अपनाता है। टीम एक के बाद एक लीग मैच जीतकर सेमीफाइनल में पहुंच जाती है। अब उसका मुकाबला जर्मनी से है। जर्मनी की आक्रमक टीम की खिलाड़ी अपनी स्टिक से विरोधी खिलाड़ियों को चोट पहुंचाती है। कोच कबीर भी अपनी टीम को जर्मन खिलाड़ी को उसके अंदाज में जवाब देने का संकेत देता है। नतीजतन जीत के बाद भारतीय टीम का फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से मुकाबला होता है।
मैच के पूर्व कोच कबीर टीम की ही दो खिलाड़ियों को समझाता है कि उनकी फूट ऑस्ट्रेलिया के कोच से छुपी नहीं है। अत: फाइनल मैच में यह कमजोरियां दूर हों। फाइनल मैच के दिन रोमांचक मुकाबले में मैच का निर्णय पेनल्टी शूटआउट तक पहुंच जाता है। दोनों टीम दो-दो गोल मार चुकी हैं। ऑस्ट्रेलिया की खिलाड़ी के पास अवसर है, कबीर खिलाड़ी को देखकर समझ लेता है कि वह मध्य स्थान पर शॉट लेगी। कोच कबीर अपने गोलकीपर को संकेत देता है कि मध्य स्थान पर ही खड़ी रहे। इस तरह कोच के सही निर्देशन से भारतीय महिला टीम ऑस्ट्रेलिया पर विजय पा लेती है।
अंत में प्रस्तुत है कि कबीर अपनी मां के साथ अपने पुश्तैनी घर लौट रहा है। दरअसल पाकिस्तान के खिलाफ खेलते समय खिलाड़ी से त्रुटि हो जाती है और भारत की टीम मैच हार जाती है। फिर कबीर पर देशद्रोह के आरोप को प्रचारित किया जाता है। इसलिए वह वहां से चला गया था। अब कोच कबीर अपने पुश्तैनी घर लौटता है। शर्मसार पड़ोसी उसकी दीवार पर लिखे देशद्रोही शब्द को मिटा देते हैं। कबीर अपनी हॉकी स्टिक एक बालक को देता है जो ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाता है।
यह फिल्म कई स्तर पर संदेश देती है। कोच का नाम कबीर रखना ही प्रतीक है भारत की सांस्कृतिक विविधता का। संत कवि कबीर ने समाज को सात रंग की चुनरिया की तरह बुना है।