कमल नसीम / परिचय
कमल नसीम ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. किया और वहीं से लॉर्ड बायरन के स्त्री पात्रों पर सन् 1991 में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आपकी पहली पुस्तक ‘ग्रीस पुराण कथाकोश’ सन् 1983 में प्रकाशित हुई और इसे दिल्ली हिन्दी अकादमी ने सन् 1983-84 के ‘सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृति’ पुरस्कार से सम्मानित किया। ‘उर्दू साहित्य कोश’ का प्रकाशन सन् 1988 में और ‘बृहद उर्दू साहित्य कोश’ का 2002 में। ग्रीक नाटककार सोफ़ॉक्लीज़ के तीन नाटकों: ‘राजा ईडिपस’, ‘ईडिपस एट कोलोनस’ एवं ‘एंटीगनी’: का हिन्दी अनुवाद सन् 2000 में साहित्य अकादमी से प्रकाशित और ‘ग्रीक नाट्य कलाकोश’ सन् 2004 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से। आपने भारतीय विश्वविद्यालयों में अंग्रेज़ी साहित्य और भाषाविज्ञान पर पिछले पचास वर्षों में हुए शोधकार्यों के सन्दर्भ-ग्रन्थ "Indian Doctoral Dissertations in English Studies : A reference guide" का सहसम्पादन किया जो सन् 2000 में प्रकाशित। बच्चों के लिए कविता-संग्रह ‘सोचो क्या होता’ वर्ष 2002 में प्रकाशित। सुप्रसिद्ध फि़ल्म निर्देशक गुलज़ार की चार फि़ल्मों ‘आँधी’, ‘ख्शुशबू’, ‘लिबास’ और ‘हू तू तू’ की पटकथाओं के हिन्दी लिप्यांतरण 2005-2006 में प्रकाशित। अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के सात प्रतिनिधि शायरों के कलाम आपके द्वारा सम्पादित संकलन ‘सतरंग’ शीर्षक से सन् 2007 में और पाकिस्तानी शायरा ज़ोहरा निगाह की शायरी का सम्पादित हिन्दी संस्करण ‘शाम का पहला तारा’ सन् 2010 में प्रकाशित। हिन्दी और अंग्रेजी पत्रिकाओं में आपके लेखों का निरन्तर प्रकाशन। इसके अलावा लगभग दस वर्ष तक दिल्ली दूरदर्शन पर महिलाओं के कार्यक्रम ‘घर-बाहर’ का संचालन, कुछ वर्षों तक समाचार-वाचन, अनेक वृत्त-चित्रों के आलेख लिखे और उन्हें अपनी आवाज में रिकॉर्ड किया। सम्प्रति: दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामाप्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर।