करण और एकता : एक दूजे के लिए / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
करण और एकता : एक दूजे के लिए
प्रकाशन तिथि : 04 अप्रैल 2013


एकता कपूर और करण जौहर मिलकर एक फिल्म बनाने जा रहे हैं। दोनों ही फिल्म परिवारों से आए हैं और अत्यंत सफल भी हैं। यह भी इत्तफाक की बात है कि दोनों कुंआरे भी हैं और दोनों ही चालीस के आसपास हैं। वे दोनों अपनी-अपनी कंपनी के लिए फिल्म बनाने में समर्थ हैं, परंतु दोनों ने मिलकर फिल्म बनाना तय किया है, जिसकी यह वजह नहीं है कि कोई बहुत बड़े बजट की फिल्म है। करण जौहर अपने द्वारा प्रस्तुत नए कलाकारों का कॅरियर बनाने के लिए चाहते थे कि वे अन्य निर्माता की फिल्म करें। एकता कपूर प्राय: छोटे बजट की फिल्में बनाती रही हैं, जबकि अपने सीरियल के लिए भव्य सैट लगाती हैं। उनके मन में भव्यता के लिए आग्रह उतना ही प्रबल है, जितना करण जौहर के लिए है। दोनों को समान रूप से प्रदर्शनप्रियता का चस्का है। यह भी संभव है, दोनों के अवचेतन में अभिनय के लिए जुनून है और एक-दूसरे के साथ फिल्म बनाना उन्हें इतना आत्मविश्वास दे कि वे अभिनय क्षेत्र में प्रवेश करें। इस उम्र में अतिथि भूमिकाओं से ही सब्र किया जा सकता है।

दोनों ही की व्यक्तिगत पसंद, नापसंद के ऊपर है, उनकी सफलता के प्रति गहरी ललक। एकता कपूर को जीतेंद्र ने बहुत लाड़-प्यार से पाला और कमसिन उम्र में वह बहुत मोटी हो गई थीं, परंतु सफलता प्राप्त करने की उत्कंठा से उन्होंने अपने पिता से मात्र दो लाख की पूंजी लेकर सीरियल बनाना शुरू किया और उनका दफ्तर उनके अपने बंगले का गैरेज था। आज उन्होंने एक भव्य साम्राज्य खड़ा कर लिया है। इस सफलता के लिए उन्होंने खूब परिश्रम किया है। करण जौहर भी कमसिन उम्र में बहुत मोटे हो गए थे। वह अपने स्कूल में कभी किसी को यह नहीं बताते थे कि उनके पिता फिल्म निर्माता हैं। दक्षिण मुंबई के श्रेष्ठि समाज के रईसजादों के साथ उन्होंने पढ़ाई पूरी की और उन्हीं की तरह फिल्मों के प्रति हिकारत का भाव उनके हृदय में था, परंतु अपने पिता के साथ एक बार आदित्य चोपड़ा से मिलने के बाद उनके नजरिये में और जीवन में परिवर्तन आ गया। वह आदित्य चोपड़ा के सहायक निर्देशक बने और 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के निर्माण के समय ही शाहरुख खान उन्हें पसंद करने लगे। काजोल भी दक्षिण मुंबई में परवरिश पाकर युवा हुई हैं और वे करण जौहर से पहले ही मिल चुकी थीं। आदित्य चोपड़ा, शाहरुख खान और काजोल की मदद से करण जौहर ने 'कुछ कुछ होता है' बनाई और उनके पिता की सारी उम्र की तपस्या सफल हो गई। उनकी पहली फिल्म 'दोस्ताना' के बाद बनाई लगभग आधा दर्जन फिल्में असफल हो गई थीं। उन्होंने हर दौर में मित्र बनाए थे और रिश्तों का निर्वाह किया था।

करण जौहर और एकता की अभिरुचियों और कलाबोध में गहरा अंतर है, परंतु सफलता का आग्रह समान है और इसी सेतु पर वे मिल रहे हैं। एकता महिला होकर भी पुरुषों वाला साहस रखती हैं और करण पुरुष होकर भी नारी सुलभ भावनाओं को महत्व देते हैं। शायद यह विरोध भी उन्हें एक-दूसरे के निकट ले आया है। विपरीत धु्रवों में आकर्षण प्रबल होता है। मीडिया में उजागर होने की ललक भी उनमें समान है। करण एकता की तरह धर्म के प्रति गहरा झुकाव नहीं रखते, यह बात अलग है कि उनकी कंपनी का नाम धर्मा प्रोडक्शन है।

अनेक देशों में एकाधिक निर्माण कंपनियां मिलकर फिल्म बनाती हैं, जिससे आर्थिक जोखिम कम हो जाता है। भारत में अब यह दौर शुरू हो गया है। करण जौहर चेतन भगत की 'टू स्टेट्स' साजिद नाडियाडवाला के साथ मिलकर बना रहे हैं और अनुराग कश्यप के साथ भी योजना बना रहे हैं। एकता कपूर ने भी विशाल भारद्वाज के साथ 'एक थी डायन' बनाई है। एकता कपूर की प्रचार की अपनी शैली है। करण जौहर भी प्रचार के महत्व को जानते हैं। एकता पारिवारिक सीरियल बनाने में माहिर रही हैं और करण जौहर की प्रारंभिक फिल्मों में भी लिजलिजी पारिवारिकता का निर्वाह हुआ है। दोनों ही अपनी फिल्मों में शरीर प्रदर्शन करते रहे हैं। एकता महिला शरीर प्रदर्शन पर विश्वास करती हैं, परंतु करण जौहर की फिल्मों में पुरुष पात्र वजह-बेवजह शरीर प्रदर्शन करते नजर आते हैं। दोनों अपने-अपने नजरिये से सौंदर्य प्रदर्शित करते हैं, परंतु यह कोई ऐसा मतभेद नहीं है कि सहयोग टूट जाए। दरअसल दोनों की महत्वाकांक्षाएं और सफलता के प्रति जुनून समान होने के कारण सहयोग की चादर पर मतभेद की सिलवटें आसानी से मिटाई जा सकती हैं। मजे की बात है कि दोनों एक जोड़े के रूप में 'मेड फॉर ईच अदर' लगते हैं।