करीना और सैफ का सुपुत्र तैमूर / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :22 दिसम्बर 2016
करीना कपूर और सैफ अली खान ने अपने नवजात शिशु का नाम तैमूर अली खान पटौदी रखा है। इतिहास में तैमूरलंग हृदयहीन लुटेरा था, जिसने भारत पर आक्रमण किया था। बताया जा रहा है कि यह नाम पिता सैफ के आग्रह पर रखा गया है। उन्हें आज इस बात का अहसास ही नहीं है कि यह नाम उस अबोध को ताउम्र तंग कर सकता है। ज्ञातव्य है कि जब पाकिस्तान ने अपनी मिसाइल बनाई तब उसका नाम गजनी रखा और वे यह भूल गए कि जब गज़नी ने भारत पर आक्रमण किया, तब उसने पहले उस जगह तांडव किया, जिसे अब पाकिस्तान कहा जाता है गोयाकि अपनी ही जमीन को रौंदने वाले के नाम पर अपने शस्त्र का नाम रखा! इतिहास के ज्ञान का अभाव भी जुल्म ढाता है। भारत में इतिहास की किताबें भी संदिग्ध हैं, क्योंकि वे विदेशियों ने अपने पूर्वग्रह के साथ लिखी हैं और इसके विपरीत इतिहास की नई किताबें मौजूदा सरकार अपने हिंदुत्व के एजेंडे के अनुरूप लिखवाना चाहती है। इतिहास लेखन में तटस्थता का अभाव एक तरह से भविष्य से खिलवाड़ है।
विद्वानों का मत है कि टॉयनबी द्वारा लिखा इतिहास पूर्वग्रह से मुक्त है। मुगल बादशाह दरबारी लेखकों से अपना इतिहास लिखवाते थे और बाबरनामा या अकबरनामा ऐसी ही किताबें हैं। भारत प्राय: इस क्षेत्र के प्रति उदासीन रहा है और अपने पुराने आख्यानों को इतिहास का दर्जा देने की भूल भी हुई है। अनेक आख्यान विलक्षण कल्पनाएं मात्र हैं। इतिहास बोध कभी हमें स्पर्श भी नहीं करता। आम आदमी की सोच में भी विगत छाया होता है या भविष्य की आशंका उसे परेशान करती है और इसी चक्कर में वर्तमान क्षण हाथ से निकल जाता है। हम वर्तमान को नष्ट करते रहते हैं। समय को पढ़ना कठिन है और दीवारों पर अदृश्य अक्षरों में चस्पा भविष्य के प्रति हम जागरूक ही नहीं हैं। कुछ वर्ष पूर्व ही हुड़दंगियों ने पुणे के वाचनालय को नष्ट कर दिया, क्योंकि उन्होंने इस अफवाह पर यकीन कर लिया कि वाचनालय की एक किताब में शिवाजी के खिलाफ बातें लिखी गई हैं। हम आदतन अफवाहों पर यकीन कर लेते हैं और सामने प्रस्तुत सत्य को अनदेखा कर देते हैं। संभवत: सत्य के प्रति हमारा आग्रह भी एक दिखावा मात्र है।
तमाम अदालतों और सरकारी भवनों पर 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है परंतु गल्प को ही सत्य मानना हमें पसंद है। भारत में कुछ लोगों ने अपने पुत्रों को हिटलर का नाम दिया है और इसे वे राष्ट्रप्रेम मानते हैं, क्योंकि हिटलर ब्रिटेन का शत्रु देश था। इस तरह की बातें भी लोकप्रिय हंै कि शत्रु का शत्रु हमारा मित्र है। भारत और पाकिस्तान के सामूहिक अवचतेन मंे परस्पर दुश्मन होने की बात इस ढंग से बिठा दी गई है कि चीन के हाथों एक बार बेहद पिटने के बावजूद हम भविष्य में चीन से खतरे को अनदेखा ही कर रहे हैं। साम्यवादी तरीकों से साम्राज्यवाद और पूंजीवाद का पोषण कर रहा है चीन। विचार एवं घटनाओं का संकेत है कि पश्चिम की यह मंशा है कि कभी तीसरा विश्वयुद्ध हो जाए तो वह एशिया की जमीन पर लड़ा जाना चाहिए। पहले दो विश्वयुद्ध यूरोप की जमीन पर लड़े गए और अब वह युद्ध के नाम से ही कांपने लगता है। विश्व राजनीति की शतरंज पर बाजी इस तरह खेली जा रही है कि भारत, पाकिस्तान और चीन ही आपस में टकराएं और अमेरिका दूर बैठा इस अलाव से अपने हाथ गरमाता रहे।
शेक्सपीयर ने किसी अन्य संदर्भ में कहा था कि नाम में क्या रखा है। गुलाब तो खुशबू ही देगा चाहे आप उसे बबूल के नाम से पुकारें परंतु नामकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह बार-बार पुकारा और सुना जाता है। ध्वनि तरंगंे शरीर के साथ विचार प्रक्रिया को भी प्रभावित करती हैं। जब फौजें किसी पुल को पार करती हैं तब उन्हें निर्देश होता है कि कदमताल के अनुशासन से मुक्त होकर थोड़ा बेतरतीब चलें, क्योंकि सामूहिक कदमताल की ध्वनि की शक्ति के कारण ही भारत में सस्वर प्रार्थना की जाती है, जबकि अन्य धर्मों में प्रार्थना नि:शब्द होती है और खामोशी का पालन करना होता है। बहरहाल, करीना-सैफ को स्वतंत्रता है कि वे अपने शिशु का नाम हृदयहीन तैमूरलंग पर रखंे पर बड़ा होकर यह बच्चा अपना नया नाम खुद चुन सकता है। यह आशंका है कि वह उस कालखंड में जवान होगा, जिसमें घरेलू अतिवादी शासन करेंगे और नाम के आधार पर भी दंड दिया जा सकेगा।