करोड़पति चपरासी और मैं / प्रमोद यादव

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‘करोड़पति चपरासी के घर लोकायुक्त का छापा’ जब से यह खबर टी. वी. चेनल्स और अख़बारों द्वारा जनता-जनार्दन तक पहुंची है, पूरे शहर में खलबली मची है। अजीब-सा माहौल है। सारे चपरासिओं के मुंह पर लाली के साथ एक गर्व-सा भाव बिखरा है, जैसे सब कह रहें हों-”सालों, देर है, अंधेर नहीं। घूरे के भी दिन बहुरते हैं। तुम अधिकारिओं के दिन अब लदे। खूब छकाया-पदाया है तुमने चपरासिओं को, अब हमारी बारी है। अब सुर्ख़ियों में होंगे हम और तुम होगे... हाशिए पर“

मेरे ऑफिस के चपरासी के तेवर तो इस मनोहारी खबर के बाद से चौथे आसमान पर है। बातें करता है तो लगता है जैसे अगला लोकायुक्त का छापा इन्ही के घर पड़ना है। मैं उसे समझाने कि कोशिश करता हूँ कि दामू, लोकायुक्त का छापा यूँ ही नहीं पडता, छापों के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें होती हैं-जैसे विभिन्न शहरों में चार-छः बंगलों का होना, फार्म-हॉउस अथवा कीमती प्लाट का होना, कई बैंकों में कई खातों में लाखों रुपयों का होना, विभिन्न लाकर्स में अफरात सोने-चांदी के गहनों का होना, घर में पांच-सात लक्सरी कारों का होना आदि-आदि। इतने सब के बाद ही छापे की सूरत बनती है। तुम्हारे पास भला क्या है?

“मेरे पास हिम्मत है साहब। मैं उस करोड़पति चपरासी के बायोडाटा और हिस्ट्री का अध्ययन करूँगा। उससे प्रेरणा लेकर आगे का मार्ग प्रशस्त करूँगा। ”

“अच्छा ठीक है। जा, पहले मेरे लिए चार बंगला पान लेकर आ “मैंने सौ रुपये का नोट देते कहा। वह चला गया और लगभग दो घंटे बाद पान लेकर लौटा। मैंने गुस्से से चमकाया- “पान लेने क्या बंगलादेश चले गए थे?”मेरे गुस्से को नजरंदाज कर उसने जवाब दिया-”उस करोड़पति चपरासी के विषय में अभी-अभी एक ताज़ा जानकारी मिली है कि वह अपने ऑफिस में कभी भी दो घंटे से ज्यादा उपस्थित नहीं रहा। हमारा तो अहसान मानिये आप, रोज छः घंटे आपके साथ खटते हैं। हमने अपना काफी वक्त आपके साथ बर्बाद कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। पर कल से ऐसा नहीं होगा। हमें तो करोड़पति बनना ही है। कल से आप खुद को मैनेज कर लें तो अच्छा होगा। ”मैंने कहा-

“अच्छा भई, करोड़पति बनो, मुझे कोई एतराज नहीं पर मेरे बाकी के पैसे तो वापस करो “वह गुर्राया- “पैसे? कैसे पैसे? सर्विस टेक्स नहीं देंगे क्या? “मैंने कहा-यार, चार पान के इतने टेक्स?’उसने जवाब दिया-”तभी तो करोड़पति बनूँगा साहब। अगर आपको पसंद नहीं तो कल से पान आप खुद लेकर आयें। ऑफिस मैं सम्हाल लूँगा। वैसे भी आप करते क्या हैं? ऑफिस तो मैं ही सम्हालता रहा हूँ। चलता हूँ। जय-हिंद साहब। अब कल मिलेंगे। और वह समय-पूर्व ही चला गया। मैं उसे जाते देखता रहा और सोचता रहा कि एक करोड़पति चपरासी ने अमिताभ बच्चन को भी फेल कर दिया। बच्चन साहब भी दस-करोड़ी चपरासी की खबर सुन सुन्न हुए होंगे उन्होंने अपने गेम-शो में पांच करोड से ज्यादा कभी नहीं दिए और वो भी बारह-तेरह सवालों के सही जवाबों के बाद। बिना किसी प्रश्नोत्तरी के दस करोड कैसे बनता है, यह तो अमिताभ भी नहीं बता सकता। ” कौन बनेगा करोड़पति “करते कभी अमिताभ ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की एक दिन ‘चपरासी बनेगा करोड़पति’

चलिए समय हो गया है। मुझे ऑफिस बंद करना है। दामू तो चला गया। कल से उसके सारे काम मुझे ही करने हैं। लगता है, मेरे भी करोड़पति बनने के योग बन रहें हैं। फिर मिलेंगे। नमस्ते।