करोड़पति दिहाड़ी मजदूर / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
करोड़पति दिहाड़ी मजदूर
प्रकाशन तिथि :04 जनवरी 2017


अक्षय कुमार का मेहनताना करोड़ रुपए प्रतिदिन है और इसमें कमी होने पर वे फिल्म अस्वीकार कर देते हैं। उन्हें महान भूमिका से कोई सरोकार नहीं है। वे मनोरंजन इतिहास में दर्ज होने के बदले फोर्ब्स लिस्ट में शुमार होना चाहते हैं, जो हर साल प्रकाशित होने वाली दुनिया के करोड़पतियों की सूची होती है। अपने कॅरिअर के प्रारंभ से ही अक्षय कुमार अत्यंत व्यावहारिक व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने जो फिल्में कम मेहनताने में अनुबंधित की थीं, अपना मेहनताना बढ़ने पर वे उन निर्माताओं को समय देने में आनाकानी करते हैं। इसके विपरीत संजीव कुमार ऐसे कलाकार थे, जो गुलजार और ऋषिकेश मुखर्जी की लीक से हटकर बनने वाली मध्यम मार्ग वाली फिल्मों में कम धन लेकर अभिनय करते थे। राजेश खन्ना स्वयं मुखर्जी महोदय के पास 'आनंद' अभिनीत करने के लिए गए थे। ऋषिकेश मुखर्जी ने 'आनंद' का आकल्पन राज कपूर के साथ किया था और दोनों ने इस कथा विचार को लंदन में उस समय विकसित किया था, जब राज कपूर लंदन में 'संगम' का संपादन कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि टेक्नीकलर लैब लंदन में स्थित थी। उपरोक्त कारण से ही ऋषिकेश मुखर्जी ने आनंद 'राज कपूर और मुंबई भावना' को समर्पित की है। यह बात फिल्म की नामावली में स्प्ष्ट रूप से रेखांकित की गई है। मुंबई भावना का अर्थ एक किस्म का जुझारूपन है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी सानंद जीने की कला है।

गौरतलब है कि राजेश खन्ना की सुपुत्री ट्विंकल खन्ना ही अक्षय कुमार की पत्नी हैं गोयाकि अक्षय कुमार की पत्नी उस स्कूल से आई हैं, जहां महान भूमिका के लिए मेहनताना छोड़ दिया जाता है और अक्षय कुमार की पाठशाला में बहीखाता और बैलेन्सशीट महत्वपूर्ण मानी जाती है। उनके विवाह की गाड़ी सानंद सफलता की पटरियों पर दौड़ रही है, जिसका अर्थ यह है कि दोनों ने अपने-अपने दृष्टिकोण में लचीलापन कायम रखा है। यह लचीलापन ही जीवन की मशीन को सुचारू रूप से चलाने वाला मोबिल तेल होता है। मूल आदर्श से समझौता किए बिना ही यह लचीलापन अपनाया जा सकता है। इस समय सभी देशों की आर्थिक नीतियां 'लेफ्ट' से हटकर 'राइटिस्ट' हो रही है और यह भयावह है। इन्हें मध्यम मार्ग पर लाने के प्रयास कमजोर हो गए हैं। आज नेहरू की नीतियों का विरोध किया जा रहा है परंतु नेहरू जैकेट उतारे नहीं उतर रहा है।

शिखर सितारे सलमान खान और शाहरुख खान से अधिक धनाढ्य अक्षय कुमार हैं और इस मायने में वे छिपे रुस्तम हैं। आमिर अौर अजय देवगन कभी इस दौड़ का हिस्सा ही नहीं बने। सलमान खान और शाहरुख खान के खर्च भी बहुत अधिक हैं। शाहरुख खान के निवास स्थान से चंद गज दूर 'ताज एंड' पांच सितारा होटल है और उनका तथा उनके मेहमानों का भोजन वहीं से आता है। सलमान खान की मां सलमा का रसोईघर किसी पांच सितारा रसोईघर से कम नहीं है। अक्षय कुमार कभी कोई दावत नहीं देते और वे एकमात्र सितारा हैं, जो रात 10 बजे तक सो जाते हैं और वे लंबी सैर तथा कठोर कसरत करते हैं।

हर व्यक्ति की विचार प्रक्रिया ही उसके जीवन को नियंत्रित करती है। व्यक्ति का खाना-पीना, कपड़े पहनना इत्यादि हर क्रिया उस विचार से ही शासित होती है। व्यक्ति के मित्र और शत्रु का चयन भी इस केंद्रीय विचार द्वारा ही शासित होता है। अक्षय कुमार अपने समकालीन सारे सितारों में सबसे अधिक अनुशासित, चुस्त, दुरुस्त हैं और अपने भौतिकवादी दृष्टिकोण पर गर्व भी करते हैं। अपने इस कमिटमेंट के लिए उनकी प्रशंसा करनी होगी। भारत का सबसे बड़ा त्योहार लक्ष्मी-पूजन है और जाने क्यों हम अपने को अाध्यात्मवादी कहने और साबित करने पर तुले हैं। हम जो नहीं हैं, वही दिखाने में ऊर्जा का अपव्यय होता है। राज कपूर की कथा 'घूंघट के पट खोल' के लिए रवींद्र जैन ने एक गीत का मुखड़ा लिखा था, 'गुण-अवगुण का डर भय कैसा जाहिर हो, भीतर तो है जैसा' आज सारे लोग, चाहे नेता हों या अवाम इसी द्वंद्व को जी रहे हैं कि अपने सही रूप में उजागर नहीं हो पा रहे हैं। हमें भी अपने अाध्यात्मवादी मुखौटे को छोड़ देना चाहिए और अपनी कमजोरियोंं सहित उजागर होना चाहिए।