कल्पना के परे थीम पार्क इमेजिका / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 22 मार्च 2013
मनमोहन शेट्टी मनोरंजन जगत का वह यात्री है, जो हर मंजिल को एक सराय समझकर वहां कुछ वक्त गुजारता है और फिर नई मंजिल की तलाश में निकल पड़ता है। वह फिल्म उद्योग का एलकेमिस्ट है, चिरंतन यात्री। फासले उसे थकाते नहीं, शिखर उसे नई ऊंचाइयों की कल्पना करने के लिए प्रेरित करते हैं। वह जाने कहां-कहां से गुजरता है, परंतु मील के पत्थरों में उसकी कोई रुचि नहीं है। जब मुंबई में फिल्म लेबोरेटरी धोबी घाट की तरह थीं, तब उसने अपनी संस्था एडलैब्स में फिल्म निगेटिव को ढाके की मलमल की तरह रखा। ७० एमएम में न समा सकने वाली उसकी महत्वाकांक्षा ने ही उसे 16 से 35 एमएम की तकनीक भारत लाने के लिए प्रेरित किया। आर्थिक उदारवाद से आने वाले परिवर्तन को पहले से आंककर मुंबई में मल्टीप्लैक्स की शृंखला प्रारंभ की और उपनगर वडाला में भारत के पहले आईमैक्स परिसर की रचना की।
स्थापित फिल्मकारों के दौर में युवा विधु विनोद चोपड़ा, गोविंद निहलानी और प्रकाश झा जैसे प्रतिभाशाली फिल्मकारों को सार्थक सिनेमा रचने के लिए साधन जुटाए। फिल्म उद्योग की सारी गतिविधियों में सक्रिय रहते हुए भी वे प्रचार से दूर रहे। सफल सितारों के साथ जीवंत संपर्क और सहयोग के बावजूद कभी अपनी विचार-शैली में सितारा धूलि को भी नहीं आने दिया और सदैव जमीनी बने रहे। हमने कुछ पत्रकारों तक को सितारों की नजदीकी के कारण बदलते हुए देखा है। सितारा हेकड़ी छूत की बीमारी है और टेलीस्कोप से देखने पर भी आंखें चौंधिया जाती हैं, परंतु शेट्टी की इम्युनिटी उसके संस्कार से आई है। वे सितारों के बीच से ऐसे गुजरे हैं, जैसे कोई बादलों से गुजरे और न बिजली से ध्वस्त हो और न ही उनकी ठंडक से ठिठुर जाए। इस उद्योग में इस तरह से स्थितप्रज्ञ बने रहना आसान नहीं है।
बहरहाल, विगत कुछ वर्षों से वे उद्योग से दूरी बनाकर मनोरंजन को नया आयाम देने के विकट कार्य में लगे थे। उनके थीम पार्क का पहला चरण अब लगभग पूरा हो चुका है और अप्रैल में इस जादुई महानगरी के द्वार जनता के लिए खुल जाएंगे। मुंबई-पूना हाइवे पर मुंबई से सिर्फ ९० मिनट के फासले पर सैकड़ों एकड़ जमीन पर इसकी रचना हुई है। पूरे परिवार के लिए विभिन्न आकर्षणों से गुजरना एक नया अनुभव होगा। यह अनुभव कुछ ऐसा होगा, मानो आप एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में विभिन्न देशों की फिल्में देख रहे हैं, जिनके पात्र भी आप ही हैं। दर्शक की सक्रिय भागीदारी वाले सिनेमा का प्रभाव टेक्नोलॉजी और आर्किटेक्चर के संजोग से रचा गया है। इतना ही नहीं, एक ही जगह एक ही समय में अनेक गुजश्ता सदियों की झलक भी आप देख सकते हैं। दरअसल, मनोरंजन का यह आयाम एक विलक्षण दार्शनिक सत्य को रेखांकित करता है कि वर्तमान के हर क्षण में गुजश्ता सदियों के साथ आने वाली सदियों का अहसास भी समाया रहता है। गुजरा हुआ वक्त गुजरकर भी पूरी तरह नहीं गुजरता और आने वाले वक्त के आने के पहले हम उसकी परछाई को महसूस कर सकते हैं। इस थीम पार्क का एक आकर्षण है 'ऊपर वाले का आक्रोश'। यह सामंजस्य के महल में अग्नि और जल तांडव और आनंद तांडव की मुद्राओं में प्रस्तुत है। प्रकृति के इन तत्वों के आक्रोश स्वरूप को विशेष प्रभाव, सिनेमा और एनिमेशन की तकनीक से विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत किया गया है। मनोरंजन जगत की मूल थीम ही होती है यकीन दिलाने की क्षमता। थीम पार्क के इस मनोरंजक आकर्षण में भी एक दार्शनिक सत्य को रेखांकित किया गया है कि संसार की रचना जिन पांच तत्वों से की गई है, उन्हीं पांच तत्वों से मनुष्य का शरीर भी रचा गया है। भौतिक धरातल पर अग्नि और जल शत्रु हैं, परंतु मनुष्य के शरीर में भूख की अग्नि और जल मिलकर पाचन क्रिया रचते हैं, जिससे खाया हुआ भोजन शक्ति में बदलता है। मनमोहन शेट्टी ने थीम पार्क बनाया है, जिसका उद्देश्य पूरे परिवार को मनोरंजन देना है, उन्होंने दर्शन की पाठशाला नहीं खोली है, परंतु मनोरंजन का संसार ऊपर वाले के रचे संसार का प्रतिरूप ही होता है और तमाम रचना प्रक्रियाओं में अंतर्निहित हैं दार्शनिकता के संकेत। मनोरंजन में सार्थकता उसके अविभाज्य अंग की तरह होती है। आप अपने बच्चों को सैर कराते हुए प्रशिक्षित भी कर सकते हैं।
अगर इसका एक आकर्षण 'मि. इंडिया' से प्रेरित है तो दूसरे में आप हॉलीवुड के गोल्डरश को भी अनुभव कर सकते हैं। इसमें काऊबॉय फिल्में और नेस तथा कैसेडी के अनुभव भी पा सकते हैं। इस आकर्षण में आप अपनी यात्रा में सोने की खदानों से गुजरने काआनंद ले सकते हैं। एक आकर्षण सलीमगढ़ का है, तो दूसरे में अलीबाबा और चालीस चोर हैं। इसका रोलर कोस्टर भारत का सबसे बड़ा है, जिसमें १०५ कि.मी. प्रति घंटे की गति से १३२ फीट की ऊंचाई तक जाकर आप पूरी घाटी का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। इस थीम पार्क में विविध भोजन के अनेक ठिकाने हैं और बच्चों के लिए विशेष तथा विविध चीजें भी रची गई हैं। जैसे मनमोहन शेट्टी चिरंतन यात्री हैं, उनके थीम पार्क के सारे आकर्षणों में भी आप यात्रा करने का आनंद पाएंगे- एक सुहाने और विलक्षण अनुभव से गुजरेंगे, क्योंकि यात्राएं बाहरी और भीतरी होती हैं तथा बेबात भटककर आप उसी जगह लौटते हैं, जैसे एलकेमिस्ट का नायक लौटता है। अप्रैल से सप्ताहांत मनोरंजन का अर्थ बदल जाएगा। सपरिवार थीम पार्क का अनुभव बूढ़ों और वयस्कों के भीतर छुपे बचपन को जीवंत कर देगा और बच्चे बिना उम्र की छलांग लगाए भी कमसिन पड़ाव तक पहुंच जाएंगे। मनमोहन शेट्टी के इस थीम के अनेक आकर्षणों का आकल्पन उनकी बेटी आरती ने किया है और पूजा ने क्रियान्वयन किया है। पूजा और आरती जुड़वां नहीं हैं, परंतु एक सपना देखे तो दूसरी साकार कर देती है।