कल मनायेंगे जन्मदिन / अनीता चमोली 'अनु'

Gadya Kosh से
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“पापा आज मेरा जन्मदिन था। कम से कम आज तो नशे में घर न लौटते। जल्दी तो आ जाते।” पहल ने कहा।

“अरे। सॉरी मेरी बच्ची। मैं तो बिल्कुल ही भूल गया। कोई बात नहीं। बोल। क्या चाहिए। मैं अभी लेकर आता हूं। रात तो अपनी है।” राजेश ने झूमते हुए अपनी बिटिया से कहा।

“सच्ची। पापा। लाओगे न? प्रॉमिस।” पहल ने अपना गला नन्हें अंगूठे और तर्जनी से छूते हुए पूछा।

राजेश की आंखें बंद थी। वह झूमता हुआ घर से बाहर जाने लगा। पहल ने पीछे से आवाज लगाई-”पापा। मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस एक माला ले आना। आपकी फोटो को पहनानी है।”

राजेश के कदम ठिठक गए। वह दरवाजा पकड़ते हुए पहल की ओर लौटा। पहल की मम्मी ने सिसकते हुए राजेश से कहा-”बच्ची है। उसे मारना मत। कम से कम आज के दिन तो हाथ मत उठाना।” राजेश जैसे नींद से जागा हो। पहल के नन्हें हाथों की अंगुलियां पकड़ते हुए बोला-”क्या कहा? माला? मेरी फोटो पर पहनाओगी? क्यो?”

पहल आज डरी नहीं। कल तक वह मम्मी के पीछे छिप जाती थी। पलंग के नीचे घुस जाती थी। पहल को पता था कि अब उसके गालों पर थप्पड़ जड़े जायेंगे। उसने अपना बांया गाल राजेश के आगे कर दिया। अपनी आंखें बंद करते हुए बोली-”आपके पास नशा करने के लिए रुपये होते हैं। मम्मी जो मंगाती है, आप लाते ही नहीं। जिस शराब को आप पीते हो। ये शराब पता नहीं आपको कब पी जाए। फिर हम क्या करेंगे। कम से कम मम्मी को आपकी फोटो पर माला पहनाने के लिए किसी के आगे हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा।”

राजेश की आंखें खुली की खुली रह गई। पहल की मम्मी की आंखों में आंसू आ गये। राजेश का उठा हुआ हाथ हवा में रुक गया। पहल कों गले लगाते हुए बोला-”सॉरी मेरी बच्ची। मैं अब कोई नशा नहीं करुंगा। प्रॉमिस। बहुत रात हो गई है। हम अपनी पहल का जन्म दिन आज नहीं मनायेंगे। कल धूमधाम से मनायेंगे।” पहल ने अपनी आंखें खोली। अब वह मम्मी-पापा की आंखों के आंसू पोंछ रही थी।