कवितावां / डॉ. रचना शेखावत / कथेसर
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मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: कथेसर » | अंक: जुलाई-सितम्बर 2012 |
म्हैं ज्वार रो पाणी
म्हैं ज्वार रो पाणी
मेल'र कनार पर
दो च्यार रूप री कोड्यां
अर दो च्यार राग रा संख,
पाछी बावड़ जास्यूं
जठै सूं आई,
बीं विराट रै मांय
पण ले जास्यूं
थारै हियै रो मैल
धोय-पूंछ'र।
आओ आपां ईज
मां देवै जलम
पिता पाळै।
मां बिरमा मेरी, पिता विस्णू
म्हारो लेखो म्हारा कर्योड़ा करम
म्हारो संकळप महेस हुय'र
सगळा पड़पंच संवारै है
देखो, विधाता रै क्रम में
मां पैली है,
आओ आपां ईज
पैली राखां मां नै
आओ, बेटी नै बचाल्यां।
अेक सौरम
अेक सौरम सायबा
थारै म्हारै बिचाळै
अेक सौरम सायबा
आंगणियै रमता टाबरियां में
अेक सौरम
जीसा, बूजीसा रै पागै खन्नै
ओ आंगणो सोनै री माटी अर
च्यानणी न्हायोड़ो
म्हारो तो ओ ईज बगीचो है।