कवि सम्मलेन / रघुविन्द्र यादव
Gadya Kosh से
"राही जी, आप तो राष्ट्रीय स्तर के कवि हैं, रोज़ कवि सम्मेलन में जाते हैं, कभी हमें भी ले चलें।"
"हाँ हाँ कामना जी, ज़रूर ले चलेंगे।"
"आप हर बार यही कहते हैं, मगर लेकर नहीं जाते।"
"अच्छा, परसों जयपुर में कवि सम्मलेन है, सुबह दस बजे यहाँ से निकलेंगें, आप भी आ जाना कोई अच्छी रचना लेकर।"
कवि सम्मलेन में राही जी ने कामना का परिचय करवाते हुए कहा "आज आपको एक नयी कवयित्री से परचित करवा रहा हूँ। दिल थामकर सुने।"
"वाह यार! क्या मुस्कान है।"
"अरे मटकती भी खूब है।"
"द्विअर्थी संवाद और चुटकुले भी।"
"मगर कविता तो इसने एक भी नहीं सुनाई?"
"कविता का क्या करना है? मनोरंजन होना चाहिए, वह वह कर ही रही है।"
"अगली बार से राही की छुट्टी, अब कामना जी को ही बुलाया करेंगे।" प्रधान ने निर्णायक लहजे में कहा।