कश्मीर की कली है फातिमा शेख / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :26 दिसम्बर 2016
आमिर खान की 'दंगल' की नायिका फातिमा शेख का जन्म कश्मीर में हु्आ, जिसे इस तरह वर्णित किया गया था कि अगर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है। विगत कुछ दशकों से वह स्वर्ग आतंकवाद का शिकार हो रहा है और वहां की बर्फ पर खून के छींटे पड़े हैं और 'लाल बारिश' रुक-रुककर आज भी हो रही है। नायिका फातिमा शेख बहुत कुछ प्रियंका गांधी से मिलती हैं। प्रियंका गांधी के नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू भी कश्मीरी ब्राह्मण थे। एक राजनीतिक विचारधारा के लोगों को जवाहरलाल नेहरू से अत्यधिक घृणा है परंतु मन ही मन वे इंदिरा गांधी के प्रशंसक हैं, क्योंकि इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को विभाजित करके स्वतंत्र बांग्लादेश की स्थापना की। इस तरह हमने दो विभाजन देखे। इंदिराजी में इतना साहस था कि वे अमेरिका के सातवें बेड़े की रवानगी से भी नहीं घबराईं। इस कार्य की प्रशंसा करते हुए अटलबिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा का अवतार कहा था।
भौगोलिक परिस्थितियां और मौसम आनुवांशिक प्रभाव के साथ व्यक्ति को गढ़ते हैं। इन सब हालात और प्रभावों के बावजूद मनुष्य का अपना व्यक्तिगत भी बहुत होता है। एक ही कक्षा में छात्र अपनी रुचि के अनुसार प्रभाव ग्रहण करते हैं। एक ही गुरु द्रोणाचार्य ने कौरव व पांडव पुत्रों को शिक्षा दी परंतु कुरुक्षेत्र का परिणाम पांडवों के पक्ष में गया। दरअसल, उस युद्ध को असमान और असामान्य बनाते हैं श्रीकृष्ण, जो पांडव के इष्टदेव और मार्गदर्शक हैं। वेदव्यास रचित महाभारत भारत का भूतकाल, वर्तमान और भविष्य भी है। किसी कवि की कृति इस तरह किसी समाज का सर्वकालिक आईना नहीं बन पाया है। वेदव्यास ने कथा सुनाई है और श्रीगणेश ने शर्त रखी थी कि अगर महाकवि ने लंबा विराम लिया तो वे लिखेंगे नहीं। वेदव्यास ने भी स्पष्ट किया कि श्रीगणेश बिना समझे लिखेंगे नहीं ताकि उन्हें आवश्यक समय मिल जाए।
प्रियंका गांधी द्वारा संदेह के दायरे में आए व्यक्ति से विवाह के कारण अब राजनीति का द्वार उनके लिए बंद हो चुका है और संभवत: वे स्वयं भी यही चाहती थीं। सोनिया गांधी के सुपुत्र राहुल गांधी ने अपने बचकानेपन से अपनी छवि इतनी धूमिल कर ली है कि अब उनके लिए अवसर ही नहीं रह गए हैं। ममता बनर्जी को छोड़कर अब कहीं कोई मुकाबला करने वाला ही नहीं है और ममताजी ने स्वयं को बंगाल तक सीमित कर रखा है।
सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी का बायोपिक नहीं बन सकता। अत: दर्शक फातिमा शेख को प्रियंका गांधी की भूमिका अभिनीत करते नहीं देख पाएंगे। बहरहाल, आमिर खान फातिमा शेख को लेकर एक और फिल्म बनाना चाहते हैं परंतु वे हर काम के लिए खूब समय लेते हैं। बहरहाल, फातिमा शेख को अवसर मिलेंगे। इस समय दीपिका पादुकोण, प्रियंका चावला और अनुष्का शर्मा शिखर सितारे हैं। दीपिका पादुकोण का शूटिंग समय आगामी दो वर्ष तक अनुबंधित फिल्मों को पूरा करने में व्यतीत होगा और प्रियंका चोपड़ा अधिक समय अमेरिका में बिताती है। अत: फातिमा शेख को हाथोंहाथ लिया जाएगा। यह संभव है कि वे आमिर खान से मशविरा करके ही फिल्म स्वीकार करेंगी, अत: वे निर्माता ही उसे लेंगे, जिनके पास पटकथा है। यह जरूर है कि करण जौहर फातिमा शेख को अनुबंधित करने के लिए आतुर होंगे। शाहरुख खान भी रुचि रखते होंगे।
अब फातिमा शेख के लिए सावधानी बरतने का समय है। दशकों पूर्व शर्मिला टैगोर, राखी और मंदाकिनी की पहली सफलता पर उनके लिए भी दौड़ प्रारंभ हो गई थी। इस चिकनी सतह पर मंदाकिनी फिसलकर गिर पड़ीं। इस तरह की दुर्घटनाएं पहले भी हुई हैं। कश्मीर में अपनी कविताओं, साहस और सौंदर्य के लिए जूनी प्रसिद्ध हुई थीं और उनके जीवन से प्रेरित फिल्म पर मेहबूब खान काम कर रहे थे परंतु उनकी मृत्यु हो गई। 'उमराव जान अदा' के फिल्मकार ने भी प्रयास किया था। बहरहाल, आज के फिल्मकार इस तरह इतिहास आधारित विषय पर फिल्म बनाने का साहस नहीं कर सकते। संजय लीला भंसाली अवश्य ही फातिमा शेख को लेकर फिल्म बना सकते हैं। पाकिस्तान के फिल्मकार भी अब अपने हिस्से के कश्मीर में किसी फातिमा की तलाश करेंगे।