कश्मीर के अनंतनाग में सिनेमा का जीर्णोद्धार / जयप्रकाश चौकसे

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कश्मीर के अनंतनाग में सिनेमा का जीर्णोद्धार
प्रकाशन तिथि : 16 मार्च 2019


दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग नामक स्थान पर एक सिनेमाघर 30 वर्षों से बंद पड़ा था। उसकी साफ-सफाई की गई। नया रंग रोगन किया गया तथा दिल्ली से उपकरण खरीदकर लाए गए। विगत 30 वर्षों में टेक्नोलॉजी ने फिल्म प्रदर्शन में भारी परिवर्तन किया है। ध्वनि में डॉल्बी साउंड सिस्टम के तहत संवाद और गीत दसों दिशाओं से गुंजते हुए प्रतीत होते हैं। यह भी तय किया गया है कि टिकट दर 30 और 50 रुपए तक सीमित रहेगी। कश्मीर को धरती पर स्वर्ग कहा जाता रहा है परंतु राजनेताओं ने उसे तंदूर की तरह सुलगाए रखा है। बहरहाल, इस सिनेमाघर का नाम स्वर्ग ही रखा गया है। कश्मीर के युवा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं। संकीर्णता के हिमायती वर्ग ने इन छात्रों की पिटाई का अभियान चला रखा है। कश्मीर को अलग-थलग करने वाली हरकतें की जा रही हैं और इन प्रयासों को देश की सुरक्षा के जतन के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

देश के अन्य प्रांतों में एकल सिनेमाघरों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। कुछ वर्ष पूर्व एकल सिनेमाघर करीब 12 हजार थे और वर्तमान में करीब 8 हजार रह गए हैं। इसके कई कारण हैं, परंतु मूल कारण यह है कि सिनेमाघर बनाने के नियम अव्यावहारिक हैं और पहाड़ों से पुराने हैं। यह कितने आश्चर्य की बात है कि सिनेमाघर के मालिक की मृत्यु के बाद उसकी संतान को नए सिरे से लाइसेंस लेना पड़ता है, जबकि गन का लाइसेंस पिता की मृत्यु के बाद स्वत: संतान के नाम हो जाता है। कुछ इस तरह का नियम भी है कि सिनेमाघर स्कूल एवं धार्मिक स्थानों से एक किलोमीटर दूर बनाया जाना चाहिए, जबकि दर्शकों में अधिकांश युवा छात्र होते हैं। वर्तमान में वातानुकूलित सिनेमाघरों में ध्वनि सिनेमाघर के बाहर नहीं जाती। धार्मिक स्थानों पर तेज आवाज में भजन गाए जाते हैं। कहीं-कहीं लाउडस्पीकर का प्रयोग भी किया जाता है। शोरगुल पर सिनेमाघर का एकाधिकार कब का समाप्त हो चुका है। आज विधानसभाओं और संसद में अधिक शोर होता है। चुनाव के प्रचार के समय ध्वनि प्रदूषण अधिकतम स्तर पर होता है। ये काले धन की होली का समय माना जा सकता है। बहरहाल, अनंतनाग में सिनेमाघर के जीर्णोद्धार में सैनिकों ने बहुत परिश्रम किया है। ज्ञातव्य है कि सेना प्रशिक्षण केंद्रों में सिनेमाघर होते हैं। परिवार से दूर लंबे समय तक रहने वाले सैनिकों के मनोरंजन के लिए सिनेमाघर बनाए गए हैं। फिल्म देखने से भावनाओं का विरेचन होता है। मनोरंजन मनुष्य की आवश्यकता है। रोजी, रोटी, मकान की आवश्यकता के बाद मनोरंजन का क्रम आता है।

हाल ही में स्टीवन स्पीलबर्ग ने बयान दिया था कि सिनेमाघरों में प्रदर्शित फिल्मों को ही ऑस्कर चयन के लिए लिया जाए। इंटरनेट पर प्रदर्शित फिल्म को ऑस्कर नहीं दिया जाए। बहरहाल, इंटरनेट पर प्रदर्शन करने के लिए फिल्म को सेंसर से प्रमाण-पत्र नहीं लेना पड़ता। सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए प्रमाण-पत्र आवश्यक माना जाता है। फिल्म अकेले देखना और भीड़ के साथ देखना दो अलग अनुभव हैं। मनुष्य का अवचेतन भी सिनेमाघर की तरह काम करता है। उसमें यादों की फिल्म चलती रहती है। भविष्य की आशंका विज्ञान फंतासी की फिल्म की तरह होती है। मनुष्य का मस्तिष्क अजीबोगरीब जलसाघर है। वह एक पूरा ब्रह्मांड है। नई दिल्ली के सेना केंद्र में भी एक सिनेमाघर है। जिन फिल्मों के पात्र सैनिक होते हैं या जिन फिल्मों की शूटिंग सेना की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर की जाती है, उन फिल्मों को इस सिनेमा घर में अधिकारी देखते हैं और उनका प्रमाण-पत्र सेंसर बोर्ड में जमा करना होता है। सैनिक पात्रों की पोशाक भी उसी जगह बनवाई जाती है, जहां से सैनिक बनवाते हैं। यूनिफॉर्म में किसी तरह की चूक नहीं की जाती। सिनेमाघर में फिल्म देखने के अनुभव को इस मायने में हम आध्यात्मिक कह सकते हैं कि फिल्म देखते समय हम स्थान और समय के बोध से मुक्त हो जाते हैं। दर्शक भावना के स्तर पर पात्र से जुड़ जाता है। कुछ इसी तरह की बात मैक्सिम गोर्की ने भी कही थी, जब रूस में पहली बार फिल्म का प्रदर्शन हुआ था। साधना करने वाला व्यक्ति अपना ध्यान केंद्रित करता है। वाल्मीकि साधना में ऐसे डूबे थे कि चीटियों ने उनके शरीर को अपना घर बना लिया और उन्हें इसका बोध भी नहीं हुआ। इसी कारण रत्नाकर का नाम वाल्मीकि पड़ा। बरहाल, अनंतनाग ऊंचा स्थान है और मौसम भी जाड़े का ही बना रहता है। इस ऊंचे और ठंडे स्थान पर सिनेमा देखना दर्शक को मौसम की आक्रामकता से भी मुक्त करता है।

प्रांतीय सरकारों को सिनेमा लाइसेंस प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। सिनेमाघर के आस-पास दुकानें भी खुल जाती हैं। इस तरह सिनेमा एक बाजार भी रचता है। बाजार वर्तमान नेताओं की विचार प्रक्रिया में छाया हुआ है। कम से कम इसी नाते सिनेमा उद्योग की सहायता की जा सकती है।