कहत कठिन समुझत कठिन / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
एक औरत और एक आदमी सफर के दौरान भाड़े की एक गाड़ी में मिल गए। वे इससे पहले भी मिल चुके थे।
आदमी एक कवि था। औरत के करीब बैठकर उसने कहानियाँ सुनाकर उसे खुश करना शुरू कर दिया। उनमें कुछ उसकी स्वयं की लिखी हुई थीं और कुछ दूसरों की।
लेकिन उसके सुनाते-सुनाते ही औरत नींद के आगोश में चली गई। एक जगह अचानक झटका लगा और वह जाग गई।
'जोन और ह्वेल' की कहानी को सुनाने का तुम्हारा अन्दाज़ मुझे अच्छा लगा।" वह बोली।
"लेकिन महोदया! मैं तो एक तितली और सफेद गुलाब के बारे में आपको अपनी खुद की लिखी हुई कहानी सुना रहा था कि वे कैसे एक-दूसरे से बर्ताव करते हैं!" आदमी ने खीझ-भरे स्वर में कहा।