कहानी राजकुमार और नरभक्षी दानवी की / मुनीश सक्सेना
और, अपनी बात की समाप्ति कुटिल वजीर ने इन शब्दों में की, “कहीं ऐसा न हो, अन्नदाता कि आपको मेरी हत्या करवाने के बाद, उसी तरह पछताना पड़े, जिस प्रकार उस धोखेबाज वजीर को पछताना पड़ा था, जिसने एक राजकुमार को हानि पहुँचायी थी।” और, राजा के अनुरोध पर, उसने यह कहानी सुनायी :
एक राजा के पुत्र को शिकार करने का बड़ा शौक था। वह शिकारी कुत्तों को लेकर शिकार करने जाया करता था। राजा ने अपने एक वजीर को यह हुक्म दे रखा था कि जब भी राजकुमार शिकार पर जाए, वह भी उसके साथ जाए, ताकि उसकी देखभाल करता रहे।
एक दिन जब राजकुमार और वजीर दोनों साथ-साथ शिकार के लिए रवाना हुए, तो उन्होंने जंगल में एक विचित्र दृश्य देखा। एक विचित्र जानवर ने उनका रास्ता रोक रखा था। वजीर जानता था कि वह जानवर किस जाति का है, तो भी उसने राजकुमार से कहा, “बढ़ो, आगे बढ़ो, और इस जानवर को पकड़ो।” राजकुमार ने, जो घोड़े पर सवार था, उसका पीछा करना आरम्भ किया। पीछा करते-करते वह एक रेगिस्तान में पहुँच गया, जहाँ वह रहस्यमय जानवर न जाने कहाँ खो गया, या गायब हो गया।
राजकुमार को अब चिन्ता हुई कि वापस कैसे लौटा जाए। तभी उसने एक सुन्दर नवयुवती को एक कोने में बैठे रोते देखा। राजकुमार ने उससे पूछा कि वह कौन है। उसने उत्तर दिया कि वह हिन्द के एक राजा की लड़की है। “मैं एक कारवाँ के साथ यह रेगिस्तान पार कर रही थी कि मुझे नींद आ गयी, और मैं ऊँट के ऊपर से रेगिस्तान पर गिर पड़ी। अब मैं यहाँ अकेली और दुखी हूँ। मैं नहीं जानती कि मैं कहाँ जाऊँ और कैसे जाऊँ।”
राजकुमार ने उसे अपना परिचय देकर, घोड़े पर अपने पीछे सवार होने को कहा। वे दोनों कुछ दूर ही गये थे कि एक खोह को देखकर, नवयुवती ने कहा, “एक मिनट रुको। मैं इस खोह में पेशाब करके अभी वापस लौटती हूँ।” राजकुमार ने घोड़ा रोक लिया, और नवयुवती खोह के अन्दर चली गयी। जब वह काफी देर तक खोह से बाहर नहीं आयी, तो राजकुमार उसे देखने के लिए खोह के अन्दर गया, और उसने वहाँ जो दृश्य देखा, उसने उसे चकित कर दिया।
उसने देखा कि नवयुवती एक नरभक्षी दानवी के रूप में परिवर्तित हो गयी थी, और अपने बच्चों से यह कह रही थी, “बच्चो! आज मैं तुम्हारे लिए एक स्वस्थ और जवान नौजवान लायी हूँ। उसे खाकर तुम्हें बड़ा मजा आएगा।” यह सुनकर, बच्चे चिल्लाने लगे, “तो फिर जल्दी उसे लेकर आओ, माँ! हमें बहुत भूख लगी है। उसे खाकर हम अपनी कई दिनों की भूख मिटाएँगे।”
जब राजकुमार ने नरभक्षी दानवी और उसके बच्चों के बीच हुए वार्तालाप को सुना, तो वह डर के मारे काँपने लगा। उसे विश्वास हो गया कि अब उसकी मौत निकट है, और कोई भी उसे नियति से नहीं बचा सकता।
लेकिन तभी एक चमत्कार हुआ।
जब दानवी ने राजकुमार को देखा, तो वह डर के मारे काँप रहा था। दानवी ने पूछा, “क्या बात है? तुम इतने डरे हुए क्यों हो?” राजकुमार ने उत्तर दिया, “मेरा एक शत्रु है, और मैं उससे डरता हूँ।” दानवी ने कहा, “लेकिन, तुम तो राजकुमार हो। हो न?” राजकुमार ने कहा, “हाँ, मैं एक राजकुमार हूँ।” दानवी ने पूछा, “तो फिर तुम अपने इस शत्रु को पैसा देकर शान्त क्यों नहीं कर देते?” राजकुमार ने कहा, “उसे धन नहीं, मेरे प्राण चाहिए।”
दानवी ने कुछ सोचकर कहा, “फिर तो तुम्हारे सामने एक ही विकल्प शेष रह जाता है। और वह यह कि तुम अल्लाहताला से दुआ माँगो कि वह तुम्हारी प्राण-रक्षा करे, और तुम्हारे शत्रु के हाथों तुम्हारा कोई अहित न होने दे।” राजकुमार ने दानवी के सुझाव का पालन किया, और सर झुकाकर अल्लाह से दुआ माँगने लगा कि वह उसके शत्रु का दमन करे। जैसे ही, दानवी ने राजकुमार की प्रार्थना सुनी, वह अन्तर्धान हो गयी। अब राजकुमार आजाद था। वह वापस अपने महल में पहुँचा, और वहाँ अपने वालिद साहब को वजीर की काली करतूतों के बारे में बताया। राजा ने फौरन हुक्म दिया कि वजीर को फौरन जान से मार डाला जाए।
यह कहानी सुनाने के बाद, यूनान के राजा के वजीर ने इन शब्दों में अपनी बात जारी रखी : “मुझे डर है, बन्दापरवर कि अगर आपने इस हकीम पर अपना विश्वास जारी रखा, तो वह बड़ी बेरहमी के साथ आपकी जान ले लेगा। आप उसके साथ दोस्ताना तरीके से पेश आते हैं, और इतने तोहफे देते हैं, मगर वह अपनी कपट-योजना से आपके प्राण लेने पर तुला हुआ है। उसने आपके हाथ में एक चीज देकर आपको चंगा कर दिया। अब वह उसी तरीके से आपको बीमार कर, आपकी जान भी ले सकता है, और लेगा भी। मैंने, जो आपके हित में ठीक समझा, अर्ज कर दिया। आगे जैसी आपकी मर्जी।”
राजा ने वजीर से कहा, “आप जो कुछ कह रहे हैं, सही कह रहे हैं। मैं आगे आपकी सलाह के मुताबिक ही काम करूँगा। अब मुझे भी यह शक होता जा रहा है कि यह हकीम शायद मेरे दुश्मनों का जासूस है, और मुझे मारने के इरादे से यहाँ आया है। आपने मेरी आँखें खोल दी हैं। अब मैं क्या करूँ, आप ही बताएँ।”
वजीर ने कहा, “मेरी सलाह है कि इससे पहले कि वह आपको खत्म करे, आप उसे खत्म कर दें। आप उसे फौरन यहाँ आने को कहिए, और जैसे ही, वह यहाँ आए, उसकी गर्दन कटवा दें। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।”
राजा यूनान ने अपने वजीर की सलाह मानकर, फौरन हकीम को उनके और वजीर के सामने पेश करने के लिए हुक्म जारी कर दिये। दो सन्तरी फौरन उसके निवास पर पहुँचे, और हकीम को पकड़कर ले आये। उस बेचारे को कुछ पता न था कि उसके साथ राजा क्या सलूक करनेवाला है। वह काफी खुश दिखाई दे रहा था। उसे क्या मालूम कि दुष्ट वजीर के कहने पर राजा उसकी हत्या करवा देगा।