कांग्रेस-तब और अब / कांग्रेस-तब और अब / सहजानन्द सरस्वती
कांग्रेस के कर्णधार कहने लगे हैं कि वे किसान-मजदूर राज्य कायम करेंगे। जिन्हें कल तक इसी राज्य के नाम पर छींक आती थी , माथे में चक्कर आता था वही जब किसान-मजदूर राज्य का नाम लेते हैं तो गुस्सा आता है। कल तक के इसके कट्टर शत्रु ऐसा कहने में शर्माते भी नहीं। जब तक किसान और मजदूर अपने राज्य के लिए संगठित न किए जाएँ , वर्ग-संघर्ष के आधार पर पूर्णरूप से तैयार न किए जाएँ , वह राज्य धोखे की टट्टी होगा। वह राज्य पूरी तैयारी के बिना आएगा नहीं और आने पर टिकेगा नहीं और वर्ग-संघर्ष से लाख कोस दूर भागनेवाली कांग्रेस उसे ला नहीं सकती। उसका काम था अंग्रेजी सरकार को हटाना और यहाँ के पूँजीपतियों के हाथ में शासन सौंपना। यह काम हो चुका। इसीलिए उसका निर्वाण आवश्यक है। वह कृतकृत्य जो हो चुकी। बापू ने अपने महाप्रयाण से एक दिन पूर्व यही कहा भी था। 15 अगस्त , 1947 के पूर्व जो कांग्रेस आजादी के दीवानों की जमात थी , योग संस्था थी उसके बाद निश्चय ही वह भोग संस्था बनने लगी यह कटु सत्य महात्मा की तीक्ष्ण दृष्टि ने देखा और चाहा कि वह जिस शान से जीवित रही उसी शान से दफना दी जाए। तिल-तिल करके उसकी दुर्दशा और मौत उन्हें बर्दाश्त न थी। योगियों की जमात बदल कर भोगियों का मठ बने यह सोच कर भी वह तिलमिला उठे और कांग्रेस को समाधिस्थ करने को कहा। मगर महंती के भूखे चेलों ने गुरु की एक न सुनी। छोटे से बड़े तक कांग्रेसी कौन कुकर्म नहीं करते ? अखबारों के पन्ने इससे रंगे रहते हैं। हाईकोर्ट ने शासकों और उनके चेलों की पीठें नंगी कर जो कोड़े लगाए हैं और कचहरियों एवं न्यायालयों के कामों में उनकी दस्तंदाजी पर जो डाँट-फटकार बताई है वह इस बात का सबूत है कि कांग्रेस का कितना पतन है। गद्दीनशीनों की गद्दी बनाए रखने और उन्हें तथा उनकेपिछलग्गुओं की टुकड़खोरी का साधन मात्र वह रह गई है। इसीलिए किसान-मजदूर राज्य के लिए लड़नेवाले उससे निकल भागे हैं। एक ने किसी किसान से कहा कि अपने ही हाथों बनाई कांग्रेस से अलग होना ठीक नहीं। उसने उत्तर दिया कि अपने ही हाथों बनाए घर से लोग भाग खड़े होते हैं जब प्लेग के चूहे घर में गिरते हैं। विशुध्द जातीयता के हामी लोगों की वहाँ बड़ी पूछ है। आगे चलकर चुनावों में इस जातिवाद की नाव पर चढ़कर तथा अनेक कुकर्मों के डांड , पतवार के बल पर ही वे चुनाव का तूफानी समुद्र पार करने की आशा रखते हैं। फिर भी उसीकांग्रेस के कर्णधार किसान-मजदूर राज्य कायम करने की बातें करने में जरा भी नहीं शर्माते।