काग–भगोड़ा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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किसान बहुत परेशान हो उठा। हरी–भरी फसल को नील गाएँ, जंगली सूअर नष्ट कर जाते। इनसे बचने पर फसल पकती तो चिड़ियाँ चुग लेतीं। किसान ने एक लम्बे बाँस पर काग–भगोड़ा भी टाँगकर देखा। किसी जीव–जन्तु पर कोई असर नहीं पड़ा।

किसान एक दिन शहर गया हुआ था। भीड़ किसी नेताजी का पुतला जलाना चाहती थी। पुलिस ने लाठी–चार्ज कर दिया। पुतला छोड़कर भीड़ भाग गई। पुलिस वालों की खुशामद करके किसान उस पुतले को लेता आया और उसने वह पुतला अपने खेत में टाँग दिया।

अब डर के मारे कोई भी जीव–जन्तु खेत के पास आने का साहस नहीं जुटा पाता।