काजोल और ऐश्वर्या की वापसी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :20 मार्च 2015
पुरुष केंद्रित समाज और सिनेमा में स्वाभाविक है कि तीनों खान सितारों के इस वर्ष पचास का होने पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। परंतु काजोल और ऐश्वर्या राय भी उम्र के जिस पड़ाव पर खड़ी हैं, वहां से उतार दूर नहीं है। उन पर लिखा ही नहीं जा रहा है। कथा फिल्म के प्रारंभ में ही नायिका की भूमिका तवायफों तक ने करने से इनकार किया तो सोलंके नामक कमनीय पुरूष ने नायिका की भूमिका की थी और तभी से कमोबेश महिला पात्र पुरुष दृष्टिकोण से ही गढ़े जा रहे हैं, जिसके कुछ अपवाद रहे हैं जैसे कंगना रनोट की 'क्वीन', 'रिवॉल्वर रानी' और विद्या बालन की 'कहानी' तथा हाल ही में प्रदर्शित 'एन एच 10' इत्यादि। इस परंपरा का प्रारंभ तो शांताराम की 'दुनिया ना माने' से हो गया था और बाद में विजय आनंद की वहीदा रहमान अभिनीत 'गाइड' भी है। इस सूची में मेरी प्रिय अरुणा राजे की 'रिहाई' है। यह भी सच है कि केवल नरगिस और मीनाकुमारी को नायकों के बराबर मेहनताना मिला है परंतु विगत बीस वर्षों में दोनों के मेहनताने में जमीन-आसमान का अंतर है, यहां तक की सफलतम दीपिका पदौकोन भी बमुश्किल साढ़े सात करोड़ पाती है जबकि नायक पचास करोड़ से अधिक या पिल्म के लाभ का चालीस प्रतिशत पाते हैं।
बहरहाल, काजोल बाईस वर्ष से अभिनय कर रही हैं और शिखर सितारा भी रही हैं। उसकी सफल फिल्मों की सूची दीपिका, कटरीना, करीना के जमा जोड़ के बराबर है। इस वर्ष उनकी एक फिल्म उनके पति बनाने जा रहे हैं और शाहरुख निर्मित व रोहित शेट्टी निर्देशित फिल्म में काजोल को अनुबंधित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यहां तक कि एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका के लिए अजय देवगन से भी प्रार्थना की जा रही है। रोहित शेट्टी के सम्बध अजय देवगन से बहुत पुराने हैं। दरअसल, अजय ने ही उसे प्रारंभिक दौर के अवसर उपलब्ध कराए हैं। सावली सलोनी काजोल अपने अभिनय के बलबूते पर टिकी है, आप उसे कभी बिकनी नहीं पहना सकते न ही वह कभी 'आइटम' करने को तैयार होगी। काजोल कभी अपने विश्वास से टस से मस नहीं होती। वह बहुत मजबूत और मूडी औरत है। उसकी मां तनूजा भी अपने जमाने की विद्रोहिणी रही हैं। ऐश्वर्य राय विवाह के पूर्व तक लचीली रही है और अपने व्यावहारिक लाभ-हानि को किसी भी बनिये से अधिक जानती है। वह पोर्सलीन की गुडिया की तरह मंहगी सजावट है और अभिनय केवल उसने मणिरत्नम की दो फिल्मों में किया है। बहरहाल, उसकी सितारा हैसियत इतनी बड़ी थी कि आदित्य चोपड़ा की रानी मुखर्जी अभिनीत 'बंटी और बबली' में ऐश्वर्या राय के आइटम 'कजरारे कजरारे...' के कारण पचास प्रतिशत व्यवसाय अधिक हुआ था। उसका एक सराहनीय प्रयास भंसाली की फिल्म 'दिल दे चुके सनम' थी। उसी फिल्म की शूटिंग में उसके व्यक्तिगत जीवन में एक दिलकश मोड़ आया था और इतेफाक देखिए की भंसाली की ही 'देवदास' में उसका 'सुंदर सपना टूट गया'।
आजकल ऐश्वर्या राय बच्चन संजय गुप्ता की नारी केंद्रित फिल्म की शूटिंग कर रही है जहां उसकी पुत्री तथा उसकी आया की सुविधाएं राज परिवार के सदस्यों की तरह की जा रही है। उसकी दूसरी फिल्म इसी वर्ष के अंत में करण जौहर की फिल्म है, जिसमें वह युवा अनन्य प्रेमी की छवि वाले रणबीर कपूर के साथ है। यह संभवत: रमेश तलवार की 'दूसरा आदमी' से प्ररित है। इसमें रणबीर के साथ एक युवा नायिका भी है। इस फिल्म की लंबी शूटिंग न्यूयॉर्क, पैरिस व अन्य स्थानों पर होगी तथा करण जौहर ऐसे निर्माता हैं कि वे ऐश्वर्या, उनकी पुत्री व आया के लिए विदेश में हर मुमकिन सुविधा जुटा देंगे यहां तक कि बच्ची के शिक्षक भी साथ होंगे गोयाकि एक चलता-फिरता नर्सरी स्कूल भी साथ जाएगा। यह भी एक इत्तफाक है कि काजोल व ऐश्वर्या को मुंबइया सिनेमा में पहला अवसर फिल्मकार राहुल रवैल ने दिया था और कुछ वर्ष बाद ही सुपर सितारा होकर काजोल ने बतौर शुकराना राहुल की एक फिल्म और की थी परंतु वे ऐश्वर्या से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं रखते। यह सोच विचार का अंतर है