कामिनी कौशल: अभी तो मैं जवान हूं / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 16 जनवरी 2021
कुछ समय पूर्व ही शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म ‘कबीर सिंह’ का प्रदर्शन हुआ, जिसमें एक चरित्र भूमिका कामिनी कौशल ने अभिनीत की है। आज वे अपने जीवन के 92 वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। उनके नायक रहे दिलीप कुमार वर्षों पूर्व अपनी याददाश्त खो चुके हैं। उनकी सतत तीमारदारी करने वाली सायरा बानो स्वयं बीमार पड़ गई हैं। बहरहाल कामिनी कौशल चुस्त-दुरुस्त हैं। ‘कबीर सिंह’ में वे सराही गईं और पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। दरअसल उनका जन्म नाम उमा है और चेतन आनंद ने अपनी फिल्म ‘नीचा नगर’ में उन्हें अभिनय का अवसर दिया था। ज्ञातव्य है कि चेतन आनंद की पत्नी का नाम भी उमा था, अत: चेतन आनंद ने उन्हें कामिनी नाम दिया। 1948 में रिलीज हुई दिलीप कुमार और कामिनी कौशल ने फिल्म ‘नदिया के पार’ में अभिनय किया। रमेश सहगल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शहीद’ में भी कामिनी कौशल ने अभिनय किया। इसके वर्षों बाद पंजाब में स्कूल शिक्षक रहे सीताराम शर्मा ने भगत सिंह के जीवन से प्रेरित पटकथा ‘शहीद’ लिखी जिसे मनोज कुमार ने बनाया। मनोज कुमार के आदर्श दिलीप कुमार रहे और उन्हें इस कदर दिलीप फोबिया रहा है कि उन्होंने कामिनी कौशल को ‘शहीद’, ‘उपकार’ और ‘पूरब पश्चिम’ इत्यादि फिल्मों में नायक की मां की भूमिका दी। मनोज कुमार का दिलीप कुमार बुख़ार उनकी फिल्म ‘क्रांति’ के बनने के बाद उतरा। दिलीप कुमार की जीवन शैली की कॉपी करने वाले मनोज कुमार को दिलीप ने इस तरह दवा दी वे सीन की रिहर्सल में प्रस्तुत अपने अंदाज़ को शूटिंग के समय पूरी तरह बदल देते थे ताकि फिल्म में दर्शकों को दो दिलीप कुमार नजर नहीं आएं। दिलीप कुमार सिगरेट सुलगाने जैसी मामूली बात को भी 11 तरीके से कर सकते थे। पतंगबाजी और ताश के खेल के ट्रिक्स भी दिलीप जानते थे।
राज कपूर ने ‘आग’ का निर्माण व निर्देशन किया और कामिनी ने उसमें भी तीन नायिकाओं में से एक नायिका की भूमिका अभिनीत की थी। ज्ञातव्य है कि पृथ्वी राज कपूर के नाटकों में अभिनय करने वाली ज़ोहरा सहगल और उनकी बहन अजरा ने भी लंबी पारी खेली।
कामिनी कौशल की बहन के असमय निधन के समय उसके दोनों बच्चे बहुत कम उम्र के थे। अतः कामिनी ने उन बच्चों के पालन-पोषण की जवाबदारी लेते हुए मिस्टर कौशल से विवाह किया। इसी तरह रमेश तलवार की फिल्म ‘बसेरा’ में राखी के पागल हो जाने के पश्चात उसकी छोटी बहन रेखा उसके बच्चों का पालन करते हुए अपने जीजा शशि कपूर अभिनीत पात्र से विवाह करती है। इस तरह ‘बसेरा’ नामक अफसाने को कामिनी ने अपनी हकीक़त में तब्दील किया। सभी उम्रदराज लोगों को हफ़ीज़ जालंधरी की नज्म जिसे फिल्म ‘अफसाना’ में लता मंगेशकर ने गाया है को गुनगुनाते रहना चाहिए। लंबी नज्म की कुछ पंक्तियां इस तरह हैं, ‘हवा भी ख़ुश-गवार है, गुलों पे भी निखार है, तरन्नुम-ए-हज़ार हैं, बहार पुर-बहार है, कहां चला है साक़िया इधर तो लौट इधर तो आ, ख़याल-ए-ज़ोहद अभी कहां अभी तो मैं जवान हूं’
ज्ञातव्य है कि कामिनी कौशल ने अंग्रेजी साहित्य में बीए ऑनर्स किया था। कामिनी कौशल के परिवार के शिवराम कौशल ने कृषि क्षेत्र में कुछ प्रयोग किए थे। यह लोकप्रिय भ्रांति है कि फिल्म उद्योग में पढ़े-लिखे लोग कम रहे हैं।