काला घोड़ा / सुकेश साहनी
आदमकद आईने के सामने उसने टाई की नॉट ठीक की और फिर विदेशी सेंट के फव्वारे से अपनी कमीज को तर किया। तभी शानू ठुमकता हुआ पास आया और उसकी टांगों से लिपट गया।
"रामू, बहादुर...शंकर ...कहाँ मर गए सब के सब।" उसकी चीख–पुकार से घबराकर दो वर्षीय शानू जोर–जोर से रोने लगा था। पत्नी के सामने आते ही वह फिर दहाड़ा, "तुमसे कितनी बार कहा है, जिस समय मैं फैक्ट्री जा रहा होऊँ, शानू को मेरे सामने न जाने दिया करो। पैंट की क्रीज खराब करके रख दी। बहादुर से कहो, दूसरी पैंट प्रेस करके दे...देर पर देर हो रही है।"
"चिल्लाते क्यों हैं, बच्चा ही तो है..." पत्नी ने लापरवाही से कहा, "शाम को ज़रा जल्दी घर आ जाना...गुप्ताजी के यहाँ कॉकटेल पार्टी है।"
"अच्छा याद दिलाया तुमने..." वह एकदम से नर्म पड़ गया, "डार्लिंग! आज शाम को सात बजे अशोका में मिस्टर जॉन के साथ मीटिंग है। करीब दो करोड़ के आर्डर फाइनल होने हैं। मैं तो वहाँ बिजी रहूंगा। गुप्ताजी के यहाँ कॉकटेल पर तुम चली जाना...माय स्वीट–स्वीट डालिंर्ग!"
"बस...बस बटरिंग रहने दो, मैं चली जाऊंगी पर आज मम्मी की तबीयत बहुत खराब है शाम को वह घर में बिल्कुल अकेली रह जाएँगी।"
"तुम डॉक्टर विरमानी को फोन कर दो, वह किसी अच्छी नर्स का इंतजाम कर देगा। गुप्ताजी की पार्टी में तुम्हारा जाना ज्यादा जरूरी है।"
"मिस्टर भार्गव, अभी बात बनी नहीं..." आफिस पहुँचकर उसने एकाउंटेंट द्वारा तैयार किए गए खातों का निरीक्षण करते हुए कहा, "हमें इस फर्म के जरिए अधिक से अधिक व्हाइट जेनरेट करना है। हमारी दूसरी फ़र्में जो ब्लैक उगल रही हैं, उसे यहाँ एडजस्ट कीजिए।"
"सर, कुछ मजदूरों ने फैक्ट्ररी में पंखे लगवाने की माँग की है।" प्रोडक्शन मैनेजर ने कहा। "अच्छा! आज अपने लिए पंखे मांग रहे हैं, कल कूलर लगवाने को कहेंगे। ऐसे लोगों की छुट्टी कर दो।" उसने चुटकी बजाते हुए कहा। तभी फोन की घंटी बजी...
"मैं घर से रामू बोल रहा हूँ, साहब ...माँ जी की तबियत..."
"रामू!" वह गुर्राया, "तुमसे कितनी बार कहा है छोटी–छोटी बातों के लिए मुझे डिस्टर्ब मत किया करो...डॉक्टर को फोन करना था।"
उसने फैक्स का जवाब तैयार करवाया और फिर मीटिंग की फाइल देखने लगा। आपरेटर ने उसे फिर घर से टेलीफोन आने सूचना दी...
"मिस्टर आनंद, आपकी माँ दर्द से बेहाल है..." डॉक्टर विरमानी लाइन पर थे, "आपको फौरन घर पहुँचना चाहिए।"
' डॉक्टर, जो कुछ करना है आपको ही करना है। वैसे भी मुझे एक महत्त्वपूर्ण बैठक में जाना है। करोड़ों का मामला है। मैं घर नहीं आ पाऊंगा। आप माँ को पेन किलिंग इंजेक्शन दे दीजिए। "
उसने घड़ी पर निगाह डाली–साढ़े छह बज गए थे। तभी फोन की घंटी फिर बजी... "आनंद साहब, इंजेक्शन का कोई असर नहीं हो रहा है। माँ जी ने आपके नाम की रट लगा रखी है। आप आ जाते तो शायद दवा भी कुछ असर कर..."
"डॉक्टर आप है या मैं?" अबकी वह गुस्से से चिल्ला पड़ा, "हर महीने आपको एक मोटी रकम किस बात के लिए दी जाती है? आपको माँ के लिए जो जरूरी लगता हो वह कीजिए... ये बूढ़े लोग समझते हैं–जितना शोर मचाएँगे, उतना ही ज्यादा उनकी सेवा होगी।" कहकर उसने रिसीवर वापस पटक दिया।
ऑफिस से कार तक का फासला उसने दौड़ते हुए तय किया और फिर उत्तेजित स्वर में ड्राइवर से बोला, "सात बजे तक अशोका होटल पहुँचना है, गोली जैसी रफ्तार से गाड़ी दौड़ाओ।"