कालिदास, शूद्रक शेक्सपियर और सिनेमा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 23 अप्रैल 2021
आज विलियम शेक्सपियर का जन्मदिन है और इसी तारीख को उनकी मृत्यु भी हुई थी। जन्मदिन पर कुछ विवाद है, परंतु मृत्यु 23 अप्रैल को ही हुई थी। पद्य में लिखे हुए उनके नाटकों के साथ ही उन्होंने कुछ स्वतंत्र कविताएं भी लिखी हैं, जिनमें उनके व्यक्तिगत भय और सपनों के संकेत मिलते हैं। उनके नाटकों का वर्गीकरण इस तरह है कि ‘त्रासदी’ ‘कॉमेडी’ और इतिहास प्रेरित नाटक। उनके सुखांत नाटक ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ से प्रेरित पहली भारतीय फिल्म बिमल रॉय के निकटतम मित्र हास्य कलाकार असित सेन ने ‘दो दूनी चार’ के नाम से बनाई थी। उस समय बिमल रॉय के सहायक रहे गुलजार ने कुछ वर्ष पश्चात इसी नाटक से प्रेरित फिल्म ‘अंगूर’ बनाई, जिसमें संजीव कुमार, देवेन वर्मा, अरुणा ईरानी, दीप्ति नवल और मौसमी चटर्जी ने अभिनय किया।
किशोर साहू पहले भारतीय फिल्मकार थे, जिन्होंने ‘हैमलेट’ से प्रेरित फिल्म बनाई, जिसमें सारे संवाद पद्य में थे। विशाल भारद्वाज ने ‘मैकबेथ’ से प्रेरित पंकज कपूर, इरफान खान और तब्बू अभिनीत ‘मकबूल’ बनाई। उन्होंने ‘हैमलेट’ से प्रेरित ‘हैदर’ बनाई। विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘ओमकारा’ में योद्धा पात्र को एक लुटेरा बना दिया गया है। उनकी ‘हैदर’ में भी सौतेली मां और पुत्र के संबंध को लेकर अभद्र संकेत दिया गया है। विशाल को शेक्सपियर की व्याख्या करते समय सात खून माफ हैं। संयोग है कि उन्होंने ‘सात खून माफ’ नामक फिल्म भी बनाई है।
इंग्लैंड में कैंडल परिवार अपनी चार पुश्तों से शेक्सपियर के नाटक, स्कूल के छात्रों के लिए मंचित करता रहा। उन्होंने कभी धन कमाने के लिए व्यावसायिक रंगमंच का प्रयोग नहीं किया। कैंडल नाटक कंपनी भारत दौरे पर आई और पृथ्वीराज कपूर ने अपने पुत्र शशि कपूर को उनकी सहायता के लिए नियुक्त किया। इसी दौर के समय जेनिफर और शशि कपूर का प्रेम हुआ। दोनों परिवारों की रजामंदी से विवाह संपन्न हुआ। शशि कपूर ने अपनी फिल्म निर्माण संस्था का नाम ‘शेक्सपियर वाला’ रखा। जेम्स आइवरी और इस्माइल मर्चेंट उनके सहयोगी रहे।
ज्ञातव्य है कि मृत्यु के कई वर्ष पूर्व जेनिफर कैंडल कपूर ने अपर्णा सेन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘36 चौरंगी लेन’ में अभिनय किया। ऑस्कर कमेटी, फिल्म और जेनिफर को पुरस्कार देना चाहती थी परंतु फिल्म, प्रतिस्पर्धा में विदेशी भाषा में बनी फिल्म की श्रेणी में भेजी गई थी, जबकि वह अंग्रेजी भाषा में बनी थी। इस तकनीकी चूक से फिल्म को ऑस्कर नहीं मिल पाया। शेक्सपियर का हैमलेट दुविधा ग्रस्त है। वह जानता है कि उसकी मां और चाचा ने मिलकर उसके पिता की हत्या की है। क्या वह अपने रिश्तेदारों से लड़े। कुरुक्षेत्र में अर्जुन को इस दुविधा से श्रीकृष्ण ने बचाया। शरत बाबू का ‘देवदास’ भी दुविधा ग्रस्त है। अर्जुन की तरह हैमलेट और देवदास को श्रीकृष्ण का मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ।
रांगेय राघव और हरिवंश राय बच्चन ने शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद हिंदी में किया था। इटली के फिल्मकार ने शेक्सपियर के रोमियो-जूलियट पात्रों के लिए 17 और 15 वर्ष के कलाकार लिए। शरत बाबू का देवदास भी 17 वर्ष का है, पारो 15 और चंद्रमुखी 22 वर्ष की है। अब तक देवदास से प्रेरित फिल्मों में अधेड़ अवस्था के कलाकारों ने देवदास की भूमिका अभिनीत की हैं। अतः एक बार ‘देवदास’ और बनाई जा सकती है। शेक्सपियर का जन्म 1564 में हुआ था। आज लगभग 500 वर्ष पश्चात भी नाटक प्रकाशित किए जाते हैं और रंगमंच पर खेले जाते हैं।
ज्ञातव्य है कि कालिदास और शूद्रक ने संस्कृत में नाटक लिखें। शेक्सपियर के हजारों वर्ष पूर्व इन्होंने महान रचनाएं की हैं। कालिदास और शूद्रक के नाटकों को मिलाकर गिरीश कर्नाड और शशि कपूर ने फिल्म ‘उत्सव’ बनाई थी। बसंत देव का गीत था, ‘बेला महका रे महका आधी रात को..’। ज्ञातव्य है कि बसंत देव संस्कृत पढ़ाते थे।