कालीदास, शेक्सपीयर और आधार कार्ड / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :23 अप्रैल 2018
आज विलियम शेक्सपीयर का जन्मदिन है और बावन वर्ष पश्चात उनकी मृत्यु भी उसी दिन हुई थी। आज इंग्लैंड में उनके जन्म स्थान स्ट्रेटफोर्ड अपॉन एवोन पर मेला लगेगा और अंग्रेजी भाषा जानने वाले लोग किसी भी देश में रहते हों, आज शेक्सपीयर को नमन करेंगे। अगर कोई ऐसी स्थिति बने कि इंग्लैंड को अपनी संपत्ति और शेक्सपीयर साहित्य में किसी एक बचाना हो तो वे शेक्सपीयर के साहित्य को बचाना पसंद करेंगे। एक लेखक अपने देश का इस तरह प्रतिनिधित्व करे, यह कम ही देखा गया है। हमारे अजीबोगरीब वर्तमान में तो लेखक की हत्या कर दी जाती है जैसाकि गौरी लंकेश और नरेंद्र दाभोलकर के साथ हुआ। कातिलों को दिया गया दंड हटाकर उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि यही प्रवृत्ति बच्चियों के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या द्वारा भी अभिव्यक्त हो रही है।
शेक्सपीयर ने 36 नाटक और 150 सोनेट लिखे हैं, जिनमें से कुछ उनकी अनाम अश्वेत प्रेमिका को समर्पित हैं। उनका प्रिय पात्र ऑथेलो भी अश्वेत है गोयाकि शेक्सपीयर रंगभेद की मुखालफत कर रहे हैं। शेक्सपीयर के जन्म, मृत्यु और जीवन के अधिकांश भाग अज्ञात हैं और कुछ वर्ष ऐसे भी हैं, जो उन्होंने जाने कहां वनवास में काटे हैं। प्राय: कवि अपनी प्रतिभा से ही डर जाते हैं और अज्ञात स्थानों पर छिप जाते हैं गोयाकि वे स्वयं के खिलाफ ही गुरिल्ला युद्ध लड़ रहे हैं। इससे अधिक भयानक बात कोई और नहीं हो सकती। इसीलिए उन्होंने लिखा, 'ट्रेजेडी ऑफ एटेरस, गॉड वॉट! द एनिमी लाइज विदिन द मैन'। महान कवि एजरा पाउंड को एक गुनाह से बचाने के लिए कुछ समय पागलखाने में रखा गया। स्वदेश लौटने पर उनसे पागलखाने में रहने के अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि अमेरिका ही सबसे बड़ा पागलखाना है।
दुनिया के तमाम देशों में शेक्सपीयर साहित्य प्रेरित फिल्में बनी हैं। हमारे देश में सबसे पहले किशोर साहू ने 'हेमलेट' बनाई थी, जिसके संवाद पद्य में ही लिखे गए थे। एक बानगी देखिए कि हेमलेट के आगे पीछे सुरक्षाकर्मी चल रहे हैं तो वे विरोध करते हैं। सुरक्षाकर्मी कहता है, 'हुजूर हमारा तो फर्ज है कि आपको आवारा लड़कियों से बचाएं' हेमलेट कहता है कि क्या मैं कब्र में चला जाऊं'। गोयाकि वही जगह पूरी तरह महफूज है। आश्चर्य है कि सोहराब मोदी और पृथ्वीराज ने शेक्सपीयर नाटक मंचित नहीं किए। पृथ्वीराज कपूर तो 'किसान' 'पठान' व 'दीवार' जैसे नितांत भारतीय नाटक मंचित करते थे। पारसी लेखक अर्जी मर्दबान ने शेक्सपीयर को अपने ढंग से प्रस्तुत किया है। हिंदुस्तानी सिनेमा पर पारसी थिएटर का गहरा प्रभाव रहा है।
गुलजार ने 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' बनाई थी, जिसमें विलक्षण प्रतिभा के धनी संजीव कुमार की मौजूदगी के बावजूद आप मौसमी चटर्जी से निगाह नहीं हटा सकते। मौसमी चटर्जी बंगाल की वह शेरनी है, जो अधिक समय अपनी मांद में ही रहीं। इस फिल्म के प्रारंभ में गुलजार ने एक शॉट शेक्सपीयर के चित्र का लिया है, जिसमें शेक्सपीयर आंख मारते नज़र आते हैं मानो शरारत को इज़ाजत दे रहे हों। गुलजार के मानसपुत्र विशाल भारद्वाज ने मैकबेथ प्रेरित 'मिया मकबूल' बनाई, हैमलेट प्रेरित 'हैदर' बनाई और ऑथेलो प्रेरित 'ओंकारा' बनाई। शेक्सपीयर का अॉथेलो श्वेतों की रक्षा करने वाला अश्वेत योद्धा है परंतु जैसे ही एक श्वेत कन्या उनसे प्रेम करने लगती है तो सारे श्वेत अपने रक्षक के खिलाफ षड्यंत्र करते हैं। विशाल की 'अोंकारा' के पहले दृश्य में ही नायक डाका डालता है, हत्या करता है। अब भला ऐसा पात्र भ्रमवश अपनी पत्नी को मार दे तो दर्शक उसके साथ सहानुभूति कैसे रख सकते हैं। विशाल ने अपने ऑथेलो को डाकू व हत्यारा बता दिया और फिल्म का क्लाइमैक्स ही बिगाड़ दिया। इस तरह की भूल से ऐसा लगता है कि विशाल ने मूल रचना नहीं पढ़कर उसकी कोई सस्ती टीका पढ़ ली है। इसी तरह उन्होंने अपने हैदर (हेमलेट) को कश्मीर की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया। 'धरती पर स्वर्ग' कश्मीर दशकों से धधक रहा है और फिल्मकार उसे अपने डेनमार्क की तरह प्रस्तुत कर रहा है। प्रचलित है कि डेनमार्क के बिना हेमलेट का कोई व्यक्तित्व ही नहीं है। हम तो विशाल भारद्वाज के 'सात खून माफ' कर सकते हैं, 'माचिस' के माधुर्य के कारण।
यह संभव है कि बाइबिल के बाद शेक्सपीयर साहित्य ही सबसे अधिक पढ़ा गया हो। उनके जीवन के उन वर्षों के बारे में आज भी शोध हो रहा है, जिसमें वे अज्ञातवास में चले गए थे। पांडव अपने वनवास में आगामी युद्ध के लिए शस्त्र और मित्र एकत्रित करते रहे और कुछ विवाह भी किए विशाल भारद्वाज चाहे तो ऐसी रचना कर सकते हैं कि अपने अज्ञातवास में शेक्सपीयर भारत आ गए थे और मुगल दरबार में बीरबल के लिए चुटकुले लिखते थे। यह भी आकल्पन किया जा सकता है कि शेक्सपीयर अपने अज्ञातवास में उज्जैन आकर अपने समान प्रतिभाशाली कालिदास की रचनाएं पढ़ रहे हों। शेक्सपीयर और कालिदास की मुलाकात कितनी रोचक हो सकती है। मौजूदा समय में शेक्सपीयर और कालिदास से आधार कार्ड मांगे जाएंगे और न होने पर दोनों को देश से निष्कासित कर दिया जाएगा।