काल्पनिक नरक / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

शावाकीज नगर में एक राजा रहता था। सब उसे प्यार करते थे-आदमी, औरत, बच्चे यहाँ तक कि जंगल के जानवर भी उसके प्रति सम्मान प्रगट करने आते थे; लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना था कि रानी राजा को नहीं चाहती है; बल्कि उससे नफरत करती है।

एक दिन पड़ोस के नगर की रानी शावाकीज की रानी से मिलने आई। वे दोनों बातें करने लगीं और बातों में ही पतियों के बारे में बात छिड़ गई।

शावाकीज की रानी ने उत्तेजित स्वर में कहा, तुम्हारे विवाह को इतने वर्ष हो गए, फिर भी तुम्हारा वैवाहिक जीवन कितना सुख भरा है। मुझे तो तुमसे ईर्ष्या होती है। मुझे अपने पति से नफरत है। निःसंदेह मैं सबसे दुखी औरत हूँ।"

आगन्तुक रानी ने उसकी ओर देखते हुए कहा, "प्रिय, सच्ची बात तो यह है कि तुम अपने पति को बहुत प्यार करती हो; क्योंकि उसके लिए तुम अभी भी हरदम सोचती रहती हो। यह बहुत बड़ी बात है। तुम्हें तो मुझ पर और मेरे पति पर तरस खाना चाहिए; क्योंकि हम तो एक दूसरे को चुपचाप सहे जा रहे हैं। तुम और दूसरे लोग इसी को वास्तविक सुख समझते हो।"