का वासुदेव यादव / सुरेन्द्र प्रसाद यादव
है क्षेत्रों रोॅ लेलिन वाद छेलै। सामंतवादी विचारोॅ रोॅ लोगे ने वासुदेव यादव रोॅ हत्या करि देलकै। यै क्षेत्रों रोॅ लोग विधवा होय गेलै। उनको शव देखैलं 30 हजार रोॅ भीड़ जुटी गेलै। सभै रोॅ आखों में गंगा-यमुना बहै छेलै। सभैनेॅ छाती पर मारै मुक्का। मुक्का मारी क निकालै छेलै दुख रोॅ धार।
धौरैया प्रखंडो केॅ वनावै में, सवारने में, दलितोॅ पीड़ितोॅ भूखा-नंगा, अल्पसंख्याको केॅ थामी राखने छेलै। उन्नीस सौ नवासी में भागलपुर जिला में दंगा फसाद गिलफिल समूचे जिला में फैली गेलो छेलै। मतरकि धोरैया क्षेत्रों के यादव जी नेॅ सभै लोगों का मिलायजुलाय केॅ भाय-गोतिया नाँखी राखलकै। पूरे धौरैया में अमन शातिर माहौल बनायदेलकै, सभै नेॅ उनको यशोगान करै छेलै। सगरे धधकै छेलै मतरकि दंगा रोॅ आग तनियो टा नै धधकै ले ॅ देलकै। एक भी आदमी, एक भी झोपड़ी नेॅ भरैलेॅ देलकै आरो नै जलै ले ॅ देलकै।
बाँका जिला में धोरैया बड़ी पिछड़लोॅ छै, भुखमरी छै, गरीबी छै, केन्हो क दिन कुल काटै छै। बिहारो रो ॅ मुख्य श्री लाल यादव पैलो ॅ छेलै, सताईस तारीक तीन महीना उनीस सौ एकानवे में, तीन घंटा विलम्ब से ऐलौ छेलै। तब सभै रोॅ मन उदास होय गेलै। सभै लोग बोलेॅ लागलै एक बार का।वासुदेव यादव के श्राद्ध में आवै वाला छेलै " मतरकि ने आवे पारलो छेलै। अबकी भी लागै छै नै आबेॅ पारतै। सभै लोग घुन सुन करेॅ लागेले।
रंग मंचो रोॅ बगलो में भीड़ कम छेलै, अधिक भीड़ छेलै जहाँ पर हेलीकेफ्टर गिरतै, वहाँ पर लोगो रोॅ 30 हजार रोॅ भीड़ छेलै। पहले ऐतै जहाज यहाँ, आ रो जन्हे तन्हें घूमै फिरै में धक्कम धुक्का होय रहिलो छेलै। पहले त ऐतै जहाज यहीं पर पहले देखवै जहाज, तवे जैवे रंगमंचो रोॅ पास, भाषण सुनबै दिल जुड़ैतै। जहाज उतरतै वही लोगोॅ रोॅ भीड़ गिल-फिल होय गेलै, लोग सब्भै दौड़े लागलै मिरचैनिया प्रराटो रोॅ ओर जहाँ पर रंगमंच बनलो छै, पहलै पुलो रोॅ उद्घाटन आरो का। वासुदेव बाबू के मूर्ति रोॅ अनावरण करलकै। उद्घाटन आरो अनावरण देखी केॅ सब्भै टेॅ लोग खुशी से मनभोर होय गेलै।
आवे मुख्य मंत्री जी रंगमंचो पर दाखिल होय गेलै। भाषणो रोॅ बाढ़ो में सब्भे लोग नहावेॅ लागलै, खुशी सेॅ सीना फुलावेॅ लागलै, आजादी से आभी तक कोय मुख्यमंत्री नै ऐलो छेलै, लालू भैया नें पहलो कदम रखलकै, इनको इतिहास बनी गेलै, धोरेया क्षेत्र रोॅ एक बड़ो उपलब्धि छेकै।
चैत महीना रोॅ दिन छेलै, सब्भे मजदूर किसान बहियारो में चैता अलगाय, आरो अलगवाय छेलै। मतरकि सब्भै मजदूर रोॅ ध्यान छेलै, धोरैया रोॅ मिरचैंनियाँ मैदानोॅ पर जेवेॅ जहाजो रोॅ आवाज सरंगो में देखलकै छोटका जहाज एक दो माइलो रोॅ दूरी में चैता अलगावैल छोड़ी केॅ कचिया, मुट्ठी पांजो, बोझो जूना, छोड़ी छाड़ी दरबन देलकै मिरचैनियां परोटारे रोॅ तरफ। वादो में किसान छतरी लै केॅ हाथो में लाठी उठैलकै, कुछ बैठलो छेलै, कुछ मेढ़ोॅ पर खड़ा छेलै, मेढ़ो आरो पगडंडी पर झटकनिया देलकै, हपसलो धपसलो, गिरलो पछड़ेला छतरी थामने पहुँची गेलै निरचैनिय परॉट।
सब्भै में लहर छेलै कि मंडल, कमंडल में झगड़ा कैन्हे, जवेॅ उच्चजाति अमीर, पहले गरीब तवे अमीर पहले पेट तवे पूजा जेकरो पेट भरलो छै, होकरा सूझै छै पूजा पाठ, जेकरो पेट खाली छै होकर सूझे छै भूख।
खाली पेट वाला केॅ सूझै छै मंडल कमीशन, मंडल कमीशन लागू होवेॅ तेॅ हमरो मिलतै काम धंधा रोॅ सही अधिकार, रोजगार, हक, तवेॅ हमरो सूझतै मंदिर ही मंदिर, अखनी सूझै छै सिर्फ़ खंडहर ही खंडहर। पेट छै खाली, सूझै छै नै पूजा पाठ।