कितने अजीब रिश्तें हैं यहाँ के / ममता व्यास
उस दिन एक दोस्त मेरे पास आई उनके हाथ में एक बड़ा सा पेकेट था जिस पर कोरियर कंपनी की सील लगी हुयी थी। उनकी आँखों में आंसू थे उन्होंने बताया की, कई महीनों से फेसबुक पर उनकी किसी दोस्त से बात हो रही थी, दोस्ती से प्रेम तक बात पहुँच गयी और फिर अचानक लड़के ने बीमारी का बहाना बनाकर दूरी बना ली, मेरी दोस्त ने उस दोस्त को बहुत सी दवाइयां आदि जिस पते पर भिजवाये वो फ र्जी था। पैकेट वापस आ गया और वो सदमे में आ गयी। किसी तरह उन्हें समझाया। ऐसे हजारों किस्से रोज हो रहे हैं सिर्फ महिलाएं ठगी जा रही हों ऐसा भी नहीं है एक दोस्त हैं जिन्हें भी फेसबुक पर प्रेम हुआ, वो लड़की कई सालों तक भावनाओं से खेलती रही। मेरे दोस्त ने किसी दिन ये सुना कि उसका विदेश में ऑपरेशन है तो वो सारी रात जागकर उसकी लम्बी उम्र की दुआ माँगते रहे और एक दिन पता चला वो नाम वो फोटो सब फेंक था फ र्जी था दोस्त इस सदमे से कई सालों में बाहर निकल सके।
इन सोशल साइट्स पर पहले दोस्त बनाये जाते हैं फि र प्यार का खेल खेला जाता है फिर बात शादी तक पहुँचती है और फि र तलाक। यहाँ तक भी बात हो तो ठीक, अपने साथी की बेरुखी, बेवफाई से दुखी होकर रोज कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं। इसका सबसे वीभत्स रूप तो भुवनेश्वर की घटना है जिसमें कुछ दोस्त फेसबुक के जरिये मिले और लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया। ऐसी हजारों घटनाएँ रोज हो रही हैं।
आज का युग तकनीक का युग है, जिसे भी देखिये वो तकनीक के संग है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, कामकाजी महिलाओं से लेकर घरेलू महिलाओं तक सभी व्यस्त हैं, यही नहीं मजदूर महिलाओं को भी काम छोड़कर मोबाइल पे बतियाते खूब देखा है। आज के समय की मांग है ये और क्या बुरा है जब ऊंगली की एक हल्की सी छुअन आपको दूर बैठे किसी अपने से जोड़ रही है तो 'सुख दुख, साझा हो रहे हैं, सच्चे-झूठे वादे हैं, झूठी-मूठी कसमे हैं आज जो अपना है कल वो किसी और का है सब लोग सब जानते हैं फि र भी आकर्षण इतना तीव्र की कोई भी इस माया से अछूता नहीं। बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं, लेकिन फेसबुक पे खाता अनिवार्य है। सब जानते है यहाँ फ रेब है, धोखे हैं।
लेकिन फि र भी लोग इस दुनिया में खो जाना चाहते हैं इस मायावी दुनिया में, इस दुनिया में एक नशा है यहाँ कोई बंदिशें नहीं कोई शर्तें नहीं, यहाँ लोग खुद को चाहे जैसे प्रस्तुत कर सकते हैं अपनी कमजोरियों को खूब छिपाया जाता है-पुरुष है तो स्त्री बनकर, स्त्री है तो पुरुष बनकर, उमरदराज हैं तो युवा बनकर, खुद को सिंगल बताकर आप ज्यादा लोगों का साथ पा सकते हैं।
यानि सब-कुछ चलता है झूठी फ ोटो, झूठी प्रोफाइल, झूठी बातें, झूठे वादे, खुद के अवगुणों को छुपा कर गुणों का बखान और भी ना जाने क्या क्या है यहाँ.. वास्तविक दुनिया के खुरदरेपन में आपके साथ कोई हो, ना हो लेकिन इस मायावी संसार में आपके पास हर पल हर क्षण कोई ना कोई होगा ही वो भी बस माउस पर हाथों की उँगलियों की एक हल्की सी छुअन मात्र ही आपको किसी से जोड़ देती है।
और बस लोग हो जाते हैं बाहरी दुनिया से बेखबर। पहले जहाँ प्यार के दो बोल कहने में।
सदियाँ लगती थी वहीं अब इक क्लिक पर प्यार का इजहार हो जाता है प्यार दोस्ती रिश्तों के मायने ही बदल गए इक पल में रिश्ते बनते हैं दूजे पल बिखर भी जाते है, कमाल ये कि किसी को इसका मलाल भी नहीं इक साथी रूठ गया तो बहुत सी हरी बत्तियां आपको बुला रही होती हैं खूब धोखे खूब भ्रम का खेल है ये, अपनी सुविधा, अपनी मर्जी के सब बादशाह हैं, जब जैसा टाइम होगा उपलब्ध हो जायेंगे नहीं होगा गायब हो जायेंगे। क्या सच-क्या झूठ कौन? किसके? हिसाब रखने की।
सवाल ये नहीं कि ये रिश्ते कितने सच्चे और कितने? सवाल ये कि आखिर लोग क्या तलाशते हैं इन रिश्तों में? सच्चा प्यार? सच्ची दोस्ती? अपनापन? या अकेलेपन को दूर करने के लिए सिर्फ टाइम? या खुद की? या वास्तविक दुनिया के सताए हुए आकंठ निराशा में डूबे अवसाद और विषाद से घिरे लोगों का समूह है ये सोशल साइट्स?
ऐसा नहीं है कि यहाँ सिर्फ धोखे बाजियाँ ही हैं अच्छे रिश्ते भी बनते है, पर उनका प्रतिशत बहुत कम है वरना भावनाओं का जितना शोषण इन सोशल साइट्स पर हो रहा है इतना कभी नहीं हुआ खूब मीठी-मीठी बातें, झूठी तारीफे खूब बहाने बनाए जाते हैं। इक साथी से बात करते समय कोई अन्य बात करना चाहे और आप ना चाहे तो बड़े खूबसूरत बहाने बनाए जाते हैं देखिये इस तरह से मीटिंग में हूँ, फ ोन पर हूँ, कोई आया है वेट प्लीज, माफ करना मैंने आपको देखा नहीं, ओ हो; आप थे क्या ऑन लाइन? मेरा ध्यान नहीं गया आदि आदि।
सब जानते हैं इस दुनिया का सच और झूठ फि र भी जुड़े है कमाल है...
इनमें वही लोग ज्यादा है जिन्हें अपनी रोजी रोटी की फि कर नहीं अपनी बड़ी-सी गाड़ी में चलते हैं बड़े से ऑफि स में बैठते हैं और अपने कम्प्यूटर से चिपक कर दोस्तों की लम्बी लिस्ट देखकर सामाजिक होने का दम भरते हैं
इन्हें किसी के दर्द और दुख से कोई सरोकार नहीं।
इक क्लिक से शुरू हुआ रिश्ता इक पल में दूसरी क्लिक से खत्म भी किया जा सकता है। इस पल आपके सामने जीने मरने का दावा करने वाला, प्यार की कसमे खाने वाला आपको अगली बार कब मिलेगा आप ही नहीं जानते। आप समझते हैं आप का सच्चा साथी बस आपका है। आप नहीं जानते की वो अपनी फेंक आईडी बनाकर टीना मीना डीका को भी धोखे दे रहा है या दे रही है। सब चलता है इस दुनिया में-लेकिन क्या हजारों आभासी दोस्तों से एक वास्तविक करीबी दोस्त बेहतर? आभासी दुनिया में मिली शाबासी, तारीफ, लाइक्स, कमेन्ट आपको क्षण भर की खुशी तो दे सकते हैं, लेकिन असली संतुष्टि आपको आपकेकंधे पे रखा किसी अपने का हाथ ही दे सकता है या किसी अपने की प्यार भरी आवाज आपको जीवंत कर सकती है। इस तकनीक ने हमारी सामाजिकता हमसे छीन ली, लेकिन फिर भी इससे जुड़े लोग ज्यादा सामाजिक होने का दम भरते हैं बहुत खुश हुए तो मस्ती वाला गीत शेयर कर लिया, दुखी हुए तो दुख भरा, देश प्रेम जग गया तो देश भक्ति गीत बजा लिए, यहाँ तक साझेदारी हो तो भी ठीक है। मामला तो तब गड़बड़ा जाता है जब लोग अपनी कोमल भावनाएं अपने पवित्र अहसास साझा करने लगते हैं । दुख के क्षण, पीड़ाओं की बात कहने लगते हैं और आभासी रिश्तों में खुद को डुबाने लगते हैं ।
तकनीकी संदेशों के जरिये लोग अपने भाव अहसास और प्रेम का लेन-देन करते हैं इन संदेशों में कितनी सच्चाई है कितनी गहराई है इस पर भी सोचा जाए। तकनीकी संदेश हमें ये बताते हैं कि सामने वाला क्या कहना चाहता है लेकिन सामने वाला किस मनोभाव से कह रहा है ये नहीं बता पाते। आपकी बात को किस तरह से लिया जा रहा है उस पर मजाक बन रहे हैं या आपकी हंसी उड़ाई जा रही है या कोई दिल से लगा बैठा ये कैसे पता चले? ये भी तो हो सकता है कि लोग टाईम पास करन के लिए आपकी भावनाओं से खेल रहे हो। जो स्माइली भेजा जा रहा है उसके पीछे कोई शातिराना मुस्कान हो। आप जिसे दोस्त कह रहे हैं क्या वो आपके भेजे स्माइली के पीछे छिपे दर्द को समझा? आभासी दुनिया का कितना भी गहरा रिश्ता हो वास्तविकता से कोसों दूर है, यहाँ ये बात गौर करने जैसी है की तकनीकी रिश्तों में कभी भी मानवीय ऊष्मा संचारित नहीं हो सकती, जो बात आमने-सामने बैठकर की जाती है, आँखों में गहराई आंकी जाती है उसका कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता।
आखिरी बात, कुछ पल के रोमांच और वास्तविकता से भाग कर इस मायावी दुनिया में गोते लगाने से पहले इक बार जरूर सोच ले कि कहीं आपका टाइम पास, आपका झूठ, आपकी होशियारी किसी की भावनाओं को आहत ना कर दें रिश्ते चाहे जो भी बनाए जाये ऑनलाइन या ऑफ लाइन मिट्टी तो दिल की लगती है और आंसुओं के पानी के बिना कोई मूरत नहीं बनती भाव के संवेदना के गारे से ही कोई रिश्ता जन्म लेता है उसे माउस की इक छुअन से बनाने की कोशिश ना करे और ना इक छुअन से मिटाने की।