किसान-मजूरों का मेल / सहजानन्द सरस्वती
सभा को यह उल्लेख करने में खुशी है कि मुल्क में और बाहर दूसरी भी जबर्दस्त शक्तियाँ और बातें हैं जो न सिर्फ किसानों को बल्कि भारतीय जनता को भी इन्हीं एवं ऐसे ही लक्ष्यों की ओर तेजी से खींच रही हैं। युध्द में किसानों के साथी और क्रांति के अग्रदूत जो कारखानों के मजूर हैं उनके संगठन और संघर्ष उस हद्द को पहुँच गए हैं जहाँ पहले कभी पहुँचे न थे। मजूरों के संगठन आंदोलन में ज्यादा ताकत आई है और मजूरों की राजनीतिक चेतना बढ़ी है। सभा चाहती है कि मजूरों और किसानों के संगठनों एवं आंदोलनों के बीच निकटतर संबंध की लड़ी जुटें। इसलिए यह अखिल भारतीय संयुक्त किसान कमिटी को आदेश देती है कि एतदर्थ उचित कार्यवाही करे। साथ ही मुल्क में मजूर आंदोलन की इस बढ़ती हुई शक्ति को छिन्न-भिन्न करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस तथा दूसरे भेदकारी लोग जो कुचक्र चला रहे हैं उसकी भर्त्सना यह सभा करती है।