किस्सा कल्कि अवतार का / गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर'
सुबह-सुबह ‘गिरगिट’ मेरे पास दौड़ा-दौड़ा आया और बोला, अमायार! अब तो हद ही हो गई। लोग दूध चुराने लगे। अगर इस पर जल्द रोक नहीं लगी तो कल को कोई मेरी बकरी भी दुह ले जा सकता है।
द्वापर में भगवान कृष्ण माखन चुराया करते थे। हमारे समाजवादी मित्र कहते हैं कि वे समाज में बराबरी लाने के उद्देश्य से ऐसा करते थे। हो न हो कलियुग में भी कृष्णावतार का यह नया रूप हो, जिसमें वे दूध चोर की भूमिका निभा रहे हों ।
सुना है कि मुंबई की झोपड़पट्टियों के तमाम बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। लगता है उन्हीं के पोषण के लिए यह कलियुगी कृष्णावतार है। अगर महँगाई की सुरसा इसी तरह मुँह बाए रही तो मनमोहन को लौकी, गोभी, आलू, हरी मिर्च और धनिया को भी चुरा-चुराकर गरीबों में बाँटना पड़ेगा।
आगे चलकर आलू-टमाटर कोल्ड स्टोरों में नहीं बैंक के लॉकरों में रखे जाएँगे। लोग सोने के बजाय आलू, प्याज, टमाटर और लहसुन में निवेश करेंगे। शेयर मार्केट सोने-चाँदी या तेल से नहीं आलू-प्याज, टमाटर और गोभी से निर्देशित होंगे। सीएनबीसी या ऐसे ही अन्य व्यावसायिक चैनलों पर विशेषज्ञ लहसुन शेयर, टमाटर शेयर या आलू शेयर खरीदे-बेचेंगे। रेलवे स्टेशन से लेकर मुय बाजारों पर बड़ी-बड़ी विज्ञापन पट्टियों पर यही खबरें तैरेंगी कि लहसुनिया शेयर लुढ़का या पियाजी शेयर हुआ सुर्ख। लौकी ढेर। तेजपत्ता उड़ा। पातगोभी के शेयरों ने छुआ आसमान। सारे देश की देशी दुद्धी पर मुकेश अबानी का कजा।
ऐसा भी हो सकता है कि लिकर-सरदार माल्या आसमान के पाँचों एकड़ में बोएं हरी मिर्च और धनिया। इसका कारण यह होगा कि शुरू-शुरू में धनिया-मिर्च के तस्करों के पास वायुयान अफोर्ड करने की क्षमता तो होगी नहीं। संभव यह भी है कि अंबानीज अपने आलीशान महल की छत पर बोएँ लौकी और कद्दू।
मेरी राय में तो दूध चोरी के प्रसंग पर हमारे धर्माचार्यों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। हो न हो धर्म के पतन और अधर्म के उत्थान के इस कलिकाल में दूध-चोर के रूप में कल्कि अवतार हो चुका हो। पुलिस वालों को भी प्रभु की इस लीला को सिर-माथे लगाना चाहिए और लीला-पुरुषोत्तम दुग्ध चोर को यही सोचकर मुक्त कर देना चाहिए कि-
‘जब-जब होहिं धरम की हानी,
बाढ़इँ असुर अधम अभिमानी।
तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा,
आइ चोरवइँ ककरी, खीरा...।।’