कुत्ता कौन? / सपना मांगलिक

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मोहिनी ने किशोरावस्था में कदम क्या रखा, राह चलते आते-जाते आवारा मनचलों की फब्तियां, नाजुक अंगों से जानबूझकर टकराना, और चुटकियों की आये दिन शिकार बनने लगी। अपमानित असहाय मोहिनी के साथ जब-जब भी ऐसा होता मारे अपमान और शर्म के उसकी आँखें छलछला उठती। राह चलते या घर के आस-पास जब भी पुरुष जाती का कोई जीव आँखों के सामने आता मोहिनी काँप उठती थी। एक रोज स्कूल जाते हुए उसने देखा नगर निगम की गाडी कुत्तों को भरकर ले जा रही थी। मोहिनी कल्पना करने लगी कि काश नगर निगम की यह गाड़ी कुत्तों की जगह इन आवारा मनचलों को पकड़ कर ले जाती।